December 23, 2024

गलवान पर भारत के साथ अमेरिका, बोला- हमारी रणनीति चीन को हर मोर्चे पर पीछे धकेलने की

0
गलवान पर भारत के साथ अमेरिका, बोला- हमारी रणनीति चीन को हर मोर्चे पर पीछे धकेलने की

वॉशिंगटन
लद्दाख के गलवान में 15 जून को हुई हिंसक झड़प पर अमेरिका ने एक बार फिर भारत का खुला समर्थन किया है। अमेरिका के उप विदेश मंत्री स्टीफन बिगन ने कहा कि चीन अपने हितों के हर मोर्चे पर लड़ाई तेज कर रहा है। अमेरिका की रणनीति भारत के पर संप्रभुता के दावे सहित सभी मोर्चों पर चीन को पीछे धकेलने की है। चीन ने 29-30 अगस्त को भी पैंगोंग झील इलाके में कब्जे का प्रयास किया था, जिसे भारतीय सेना ने विफल कर दिया।

हर क्षेत्र में चीन को पीछे ढकेलने की रणनीति
तीसरे भारत-अमेरिका नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिकी उप विदेश मंत्री स्टीफन बिगन ने कहा कि तार्किक संतुलन और साझे हित की तलाश करने के बजाय चीन ने प्रौद्योगिकी की चोरी या अन्य देशों के जमीन और समुद्री इलाकों पर राष्ट्रीय संप्रभुता का दावा कर जितना हो सकता था उतना दोहन किया। इसलिए, अमेरिका सभी मोर्चों पर चीन को पीछे धकेलने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है।

गलवान में भारत के दावे के साथ अमेरिका
उन्होंने कहा कि हमारी रणनीति चीन को वस्तुत: हर क्षेत्र में पीछे धकेलने की है। हम यह सुरक्षा के क्षेत्र में कर रहे हैं। हम यह पर संप्रभु इलाकों पर दावा जताने की उसकी बेमानी मांगों के संदर्भ में कर रहे हैं, चाहे भारत-चीन सीमा पर भारत की गलवान घाटी का मामला हो या फिर दक्षिण प्रशांत सागर का। ट्रंप प्रशासन भी आर्थिक मामलों में यही कर रहा है।

चीन के खिलाफ कार्रवाई कर रहा यूएस
भारत में अमेरिकी राजदूत रह चुके रिचर्ड वर्मा से बात करते हुए बिगन ने कहा कि ट्रंप ने चीनी अर्थव्यवस्था के अनुचित और दमनकारी तौर-तरीकों के खिलाफ कार्रवाई की है। अमेरिका का पहले चरण का व्यापार समझौता इस दिशा में बस पहला कदम है। आने वाले वर्षों में अमेरिका-चीन आर्थिक संबंधों में संतुलन लाने के लिए ढेर सारे कदम उठाए जाएंगे। बहुत लंबे समय से चीन को विशेष विशेषाधिकार और लाभ मिलते रहे हैं। इसको चीन ने बखूबी भुनाया है।

चीन को लेकर विफल साबित हुई पहले की अमेरिकी नीति
बिगन ने कहा कि बीस साल पहले जब चीन को विश्व व्यापार संगठन में लाने के लिए पहल की गई तो नीति निर्माताओं को मानना था कि चीन जिन संस्थानों से जुड़ रहा है उससे उसकी राजनीतिक प्रणाली और चीनी हितों में बदलाव होगा और वह अधिक नियम आधारित व्यवस्था बनेगा। लेकिन, दुर्भाग्य से अमेरिकी प्रशासन इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सभी मोर्चो पर यह प्रयोग असफल रहा है और मैं यह उल्लेख करना चाहता हूं कि हम चीन को दोबारा पीछे धकेलेंगे।

चीन ने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में किया बदलाव
यह सबसे असफल धारणा रही कि चीन के संस्थानों से जुड़ने से अंतत: चीन बदल जाएगा। अमेरिका ने पाया कि इस शताब्दी में चीन ने तेजी से विकास किया और इन संस्थानों में अपने प्रभाव का इस्तेमाल इन संस्थानों में चीन के हितों में बदलाव के लिए कर रहा है। यह अमेरिका के नजरिये से अस्वीकार्य है और विश्व स्वास्थ्य संगठन या विश्व बौद्धिक संपदा संगठन जैसे संस्थानों में हम उसे पीछे धकेल रहे हैं। हम जोरदार धक्का दे रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि ये संगठन अपने मूल सिद्धांतों का पालन करें या हम स्पष्टकर देंगे कि हम उन कोशिशों का हिस्सा नहीं बनेंगे, लेकिन यहां सरकार की पूरी कोशिश पुरानी स्थिति पर लाने की है।

तिब्बत की पहचान मिटा रहा चीन
बिगन ने आरोप लगाया कि चीन तिब्बत की सांस्कृतिक पहचान मिटाने की कोशिश कर रहा है। वह सैकड़ों हजारों, अगर लाखों नहीं तो उइगर मुस्लिमों को उनकी आस्था और ऐतिहासिक परंपरा से अलग करने की कोशिश कर रहा है। चीनी सरकार ने ब्रिटेन-चीन के बीच हांगकांग के हस्तांतरण को लेकर हुए समझौते का उल्लंघन किया है और इस द्वीप को बीजिंग से सीधे नियंत्रित करना एक चीन दो प्रणाली के सिद्धांत को खत्म करना है, जिसकी प्रतिबद्धता चीन ने ब्रिटेन और हांगकांग के लोगों से जताई थी और वर्ष 2049 तक इसे कायम रखना था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed