यूनिसेफ ने दी चेतावनी, कहा- ‘कोरोना से पूरी एक पीढ़ी का भविष्य खतरे में’
अमेरिका: कोरोना वायरस की कुछ छोटी दयालुताओं में से एक यह भी है कि बच्चों में गंभीर बीमारी होने का खतरा अपेक्षाकृत कम है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मौत भयानक नहीं है। यूनिसेफ ने भी जल्द वेक्सीन उपलब्ध होने के वादे के साथ अपनी नई रिपोर्ट में पूरी एक पीढ़ी का भविष्य खतरे में होने की चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली इकाई का मानना है कि बच्चों के लिए खतरा घटने के बजाय बढ़ा है, क्योंकि विश्व महामारी के कारण होने वाली आर्थिक गिरावट से जूझ रहा है। बता दें 140 देशों में किए गए सर्वे पर आधारित रिपोर्ट एक पीढ़ी के सामने मौजूद तीन तरह के खतरों की चेतावनी देने वाली तस्वीर खींचती है। इन खतरों में महामारी के सीधे परिणाम, आवश्यक सेवाओं में रुकावट और बढ़ती गरीबी व असमानता को शामिल किया गया है।
यूनिसेफ का कहना है कि यदि टीकाकरण और स्वास्थ्य समेत सभी बेसिक सेवाओं में आ रही बाधाओं को नहीं सुधारा गया तो करीब 20 लाख बच्चे अगले 12 महीने में मौत का शिकार हो सकते हैं और अतिरिक्त दो लाख अभी जन्म ले सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि स्कूलों को बंद रखने से वायरस के फैलाव की गति थोड़ी धीमी हुई है, लेकिन लंबे समय में यह नुकसानदायक हो सकता है। हालांकि उच्च शिक्षा संस्थानों ने महामारी के सामुदायिक प्रसार में एक भूमिका निभाई है, रिपोर्ट में शामिल 191 देशों में किए गए अध्ययनों के डाटा से पता चला है कि स्कूलों के दोबारा खुलने की स्थिति और कोविड-19 संक्रमण दर के बीच कोई सुसंगत संबंध नहीं है। यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि वैश्विक समुदाय के तत्काल अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव लाने तक शायद युवा पीढ़ी अपनी क्षमता खो सकती है। यूनिसेफ के मुताबिक, बच्चे और स्कूल सभी देशों में महामारी प्रसार के मुख्य वाहक नहीं हैं। इस बात के सबूत हैं कि स्कूलों को खुला रखने का शुद्ध लाभ उन्हें बंद रखने के मोल को कम कर देता है।