December 25, 2024

Exclusive Video: इंद्रावती पुल के नुकसान की जाँच के लिए वैज्ञानिकों की 6 सदस्यीय टीम पहुँची बस्तर, कमजोरी को नापने के लिए किया जाएगा कार्बोनेशन टेस्ट

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संवाददाता: विजय पचौरी

बस्तर : छत्तीसगढ़ जगदलपुर बस्तर इंद्रावती नदी पर बने नए पुल का फुटपाथ पिछले महा एकाएक धराशाई हो गया था जिसे अब तक सुधारा नहीं जा सका इसकी जांच के लिए पहले एक टीम आई थी जो जांच कर चली गई अब वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारत के 6 सदस्यों की टीम दिल्ली से जगदलपुर पहुंची है 3 दिनों तक यहां जांच प्रक्रिया चलेगी जांच में प्राप्त परिणामों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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इंद्रावती नदी पर लगभग 33 वर्ष पूर्व बने पुल से लगे फुटपाथ का हिस्सा पिछले महा एकाएक टूट कर नीचे गिर गया था जिसके बाद से ही पुलिया पर आवागमन बाधित हो रही थी एक हिस्से को यातायात पुलिस द्वारा बैरिकेड लगाकर बंद कर दिए जाने से कई बार जाम की स्थिति निर्मित हो रही थी इस पुल की जांच के लिए राज्य स्तरीय एक दल पहले जांच कर चली गई लेकिन सुधार का कार्य अब तक नहीं हो सका अब वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारत नई दिल्ली के छह सदस्य का जांच दल जगदलपुर पहुंचा है इस जांच दल के सदस्य द्वारा पूरे पुल की जांच की जा रही है पुल के 13 पिलरों के साथ अन्य भागो के भी मजबूती की जांच अल्ट्रासाउंड प्लस मशीन एवं अन्य आधुनिक उपकरण एवं तकनीक से किया जा रहा है।

पुल की जांच के लिए ट्रॉली युक्त विशेष वाहन को भी बुलाया गया है जिसके माध्यम से विशेषज्ञ पुल की मजबूती की जांच के लिए ट्राली पर उतरकर पुल के नीचे हिस्से की बारीकी से जांच कर रहे हैं इस जांच प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए जांच दल के नायक वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक सेतु अभियांत्रिकी एवं सर्चचनाए गणेश कुमार साहू ने बताया कि जिस तरह अपने शरीर की पूरी जांच की जाती है उसी तरह 10 वर्ष के अंतराल में पूरे पुल की भी जांच एक जीवित शरीर की तरह की जाती है और यह जांच उनको किसी तरह की हानि बगैर पहुंचाए ही की जाती है इसके लिए अल्ट्रासाउडा प्लस मशीन रिमांड हैमर कवर मीटर और समय के साथ पुल में आई कमजोरी को नापने के लिए कार्बोनेशन टेस्ट भी किया जाता है उन्होंने बताया कि क्षतिग्रस्त भाग पुल से अलग है इसे लोगों की सुविधा के लिए अतिरिक्त बनाया गया है लेकिन लोग को पुल पार करने के लिए फुटपाथ भी जरूरी है इसे शीघ्र ही सुधार लिया जाएगा

बाइट: गणेश कुमार साहू (वरिष्ठ वैज्ञानिक)

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