टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर कोरोना जांच के लिए लॉन्च किया एक नया टेस्ट
नई दिल्ली: टाटा समूह की हेल्थकेयर यूनिट टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर कोविड-19 के जांच के लिए एक नया टेस्ट लॉन्च किया है। यह दिसंबर से प्रयोगशालाओं और हॉस्पिटल में उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी मदद से आरटी-पीसीआर टेस्ट से ज्यादा जल्दी नतीजे हासिल हो सकेंगे। इसके साथ ही इसमें रैपिड एंटीजन टेस्ट से अधिक विश्वसनीय रिपोर्ट भी मिलेगी। इस टेस्ट किट को कंपनी जल्द ही चेन्नई स्थित अपनी फैक्टरी में इसके 10 लाख किट भी बनाना शुरू कर देगी। इस टेस्ट का नाम टाटाएमडी चेक है।
कंपनी के सीईओ गिरीश कृष्णमूर्ति ने बताया कि इससे 90 मिनट में जांच के नतीजे मालूम किए जा सकते हैं। अगले महीने से अस्पताल और लैब के जरिए इसकी बिक्री शुरू होगी। शुरू में इसे सिर्फ देश में ही बेचा जाएगा। उनका कहना है कि कि इसके लिए कोई बड़े और महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं है। इसमें सैंपलों की जांच के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन पर आधारित एक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाएगा। टाटा ग्रुप द्वारा बनाए इस टेस्ट में नाक से लिए गए सैंपल को लैब तक ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि जब सैंपल लिया जाता है उसी वक्त वहीं जांच की जाती है। इसमें महज 15 से 30 मिनट में लगते हैं।
वही दूसरी ओर RT-PCR टेस्ट में टेस्ट रिजल्ट आने में तीन से पांच घंटों लगते हैं। विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय ने कहा कि टाटा सीआरआईएसपीआर टेस्ट को डीसीजीआई की ओर से आम लोगों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। इस टेस्ट के नतीजे 98 फीसदी हैं। वहीं, ये 96 फीसदी संवदेनाशीलता के साथ नोवल कोरोना वायरस की पहचान करता है। कंपनी की बात को दोहराते हुए मंत्रालय की ओर से भी कहा गया है कि टाटा सीआरआईएसपीआर टेस्ट सीएएस-9 प्रोटीन का इस्तेमाल करने वाला दुनिया का पहला ऐसा परीक्षण है, जो सफलतापूर्वक कोविड-19 महामारी फैलाने वाले वायरस की पहचान कर लेता है। इस टेस्ट में SARS-CoV-2 वायरस के जेनॉमिक सीक्वेंस का पता लगाने के लिए स्वदेशी सीआरआईएसपीआर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। भविष्य में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दूसरी महामारियों के टेस्ट में भी किया जा सकेगा। कंपनी के अनुसार टाटा सीआरआईएसपीआर टेस्ट सीएएस-9 प्रोटीन का इस्तेमाल करने वाला दुनिया का पहला ऐसा परीक्षण है, जो सफलतापूर्वक कोविड-19 महामारी फैलाने वाले वायरस की पहचान कर लेता है।