CG Lok Sabha Election: सीएम साय ने छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्यों में भी संभाला चुनावी मोर्चा, आदिवासियों की बोली-भाषा में ही कर रहे प्रचार
CG Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ में महज चार महीने पहले भाजपा सरकार में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से वह प्रदेश के पहले निर्विवादित आदिवासी मुख्यमंत्री चेहरा बनकर उभरे हैं।
रायपुर। CG Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ में महज चार महीने पहले भाजपा सरकार में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से वह प्रदेश के पहले निर्विवादित आदिवासी मुख्यमंत्री चेहरा बनकर उभरे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले साय ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ ,बल्कि देश के अन्य आदिवासी बहुल राज्यों में भी लोकसभा की चुनावी सभाएं तेज कर दी हैं। आदिवासियों की भौगोलिक एकाकीपन, संकुचित स्वभाव, विशिष्ट संस्कृति और बोली-भाषा को करीब से समझने वाले साय उनकी ही बोली-भाषा में अपनी बात रखकर उनसे संपर्क साधने में अधिक मजबूत साबित हो रहे हैं।
वह छत्तीसगढ़ में कहते हैं कि ”छत्तीसगढ़ में विकास होही सांय सांय” अर्थात प्रदेश में जल्दी-जल्द विकास के काम होंगे। अपने सहज और विनम्र स्वभाव के कारण साय देश के आदिवासी इलाकों में अच्छी छाप भी छोड़ रहे हैं। आदिवासी क्षेत्रों में मोदी सरकार की योजनाओं को गिनाते हुए चावल, स्वास्थ्य, आवास आदि की समुचित व्यवस्था, तेंदूपत्ता की अधिकतम क़ीमत पर खरीदी समेत ऐसे विषय जब आंकड़ों के साथ साय उन्हीं की भाषा में रखते हैं तो अच्छे से कनेक्ट कर पाते हैं
पार्टी ने अपने राष्ट्रीय संकल्प पत्र समिति में भी इन्हें स्थान दिया तो उसका संदेश भी स्पष्ट है। साय आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश, झारखंड, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों में लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी हित और मोदी की गारंटी के अजेय मंत्र की बदौलत समीकरण साधने में लगे हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के संदेश को आदिवासियों तक पहुंचाने और आदिवासी समाज में पैठ मजबूत कर समीकरण साधने में
साय सबसे सटीक चेहरा बन चुके हैं। साथ ही सरल और सौम्य विष्णुदेव राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे के रूप उभर रहे हैं। इनका अधिक से अधिक उपयोग भाजपा अब देश भर के आदिवासी समाज को साधने में कर रही है। लगातार सीएम विष्णुदेव की सभाएं पड़ोसी यथा मध्य प्रदेश से लेकर तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड आदि में हो रही है। अभी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में भी उनकी सभाएं होनी हैं।
राष्ट्रीय नेताओं के भाषणों का हिस्सा राष्ट्रपति और साय
लोकसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय नेता आदिवासी वोटरों को साधने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ और उसके पड़ोसी राज्यों में छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नजीर भी पेश की जा रही है।
बस्तर में चुनावी सभा करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी देश में महिला आदिवासी राष्ट्रपति और छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता के मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात का जिक्र किया था। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति देने का श्रेय भी भाजपा को जाता है और छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री भी पहली बार आदिवासी बनाने का श्रेय भी भाजपा लेना चाहेगी।
विधानसभा चुनाव में ही मिला था संकेत
साय को पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का भरोसा कितना अधिक हासिल है, यह संकेत तभी मिल गया था जब चुनाव के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कुनकुरी की सभा में जनता से यह कहा था कि साय को जिताइये, इन्हें बड़ा आदमी बनाएंगे। हाल में एक चैनल में साय के विरुद्ध लड़े कांग्रेस के उम्मीदवार ने यह कहा कि विष्णुदेव साय से हारना भी उनका सौभाग्य है। इससे आदिवासी समाज में साय की लोकप्रियता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
इन राज्यों में निर्णायक की भूमिका में आदिवासी
देश में आदिवासी बाहुल्य राज्यों में आदिवासी समाज एक निर्णायक की भूमिका में हैं। इस समाज को भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में “अनुसूचित जनजाति” के रूप में मान्यता मिली है। 2011 जनगणना के अनुसार भारत में आदिवासी भारत की जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत हैं। साथ ही मध्यप्रदेश में 21.1 प्रतिशत, ओडिशा में 22.85 प्रतिशत और झारखंड में 26.2 प्रतिशत।
छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां 32 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं। प्रदेश की कुल 11 लोकसभा सीटों में से पांच आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। आदिवासी हमेशा से भाजपा की प्राथमिकता में रहा है। पार्टी ने दो राज्य छत्तीसगढ़ और झारखंड बनाया तो इसका कारण इसका आदिवासी बहुल होना ही था। पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अलग से एक आदिवासी मंत्रालय भी बनाया था।