December 23, 2024

मध्यप्रदेश : प्रदेश में आगामी 3 वर्षों में “आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” की दिशा में होगा क्रांतिकारी बदलाव

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मध्यप्रदेश : प्रदेश में आगामी 3 वर्षों में “आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” की दिशा में होगा क्रांतिकारी बदलाव

भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में आगामी 3 वर्षों में “आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” बनाने की दिशा में क्रान्तिकारी बदलाव होगा। इसके लिए रोडमैप तैयार कर लिया गया है, जिसे आगामी कुछ दिनों में नीति आयोग से विमर्श उपरांत राज्य में लागू कर दिया जाएगा। इसे आगामी 1 नवम्बर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य कैबिनेट की बैठक में संबंधित विभागों द्वारा प्रस्तुत किए गए “आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” के रोडमैप पर चर्चा कर रहे थे। बैठक में मंत्रीगण तथा संबंधित समस्त अधिकारी उपस्थित थे।

चार मंत्री समूहों ने तैयार किया रोडमैप

विषय विशेषज्ञों एवं आमजन द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ का रोडमैप तैयार करने के लिए मंत्रीगणों के नेतृत्व में 4 मंत्री समूह गठित किए गए थे, जिन्होंने आज कैबिनेट में अपने विभागों से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया। समूह – 1 “भौतिक अधोसंरचना विकास” के अध्यक्ष लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री गोपाल भार्गव तथा प्रभारी अधिकारी श्री आई.सी.पी. केशरी, समूह -2 “सुशासन” के अध्यक्ष गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि एवं विधायी कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा एवं प्रभारी अधिकारी श्री एस.एन. मिश्रा, समूह-3 “स्वास्थ्य एवं शिक्षा” के अध्यक्ष मंत्री चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास श्री विश्वास सारंग एवं प्रभारी अधिकारी श्री मोहम्मद सुलेमान तथा समूह-4 “अर्थव्यवस्था एवं रोजगार” के अध्यक्ष वाणिज्यिक कर, वित्त, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री श्री जगदीश देवड़ा एवं प्रभारी अधिकारी श्री राजेश राजोरा थे। प्रस्तुतीकरण समूह प्रभारी अधिकारियों द्वारा किया गया।

सुशासन के लिए महत्वपूर्ण अनुशंसाएं

  • नागरिकों के लिए एकल डेटाबेस (सिंगल सिटीजन डेटाबेस)।
  • सेवा प्रदाय के लिए एकल पोर्टल।
  • सार्वजनिक सेवा के लिए एम-गवर्नेंस का उपयोग।
  • सीएम हेल्पलाइन से CM Citizen Care@ MP
  • सेवा प्रदाय के लिए आवश्यक दस्तावेजों का डिजिटल सत्यापन।
  • सेवाओं के भुगतान के लिए बहु-भुगतान प्रणाली का विकल्प।
  • शासकीय कर्मियों को आईटी के उपयोग के लिए दक्ष बनाना।
  • वल्लभ भवन में ई-ऑफिस/केन्द्रीकृत डाक व्यवस्था का क्रियान्वयन।
  • सभी विभागों और जिला कलेक्टरों के प्रभावी उपयोग के लिए डैशबोर्ड विकसित किया जाना।
  • शासन में बेहतर पारदर्शिता (डिजिटलीकरण, नोलेज मैनेजमेंट, हितग्राहियों की सूची)।
  • आम नागरिकों की समझ एवं उपयोग के लिए नियमों एवं कानूनों का सरलीकरण।
  • नागरिकों के लिए Ease of Living (know your entitlement, लैंड टाइटल, लाइसेंस/परमिट, फेसलेस संपर्क।)
  • शासकीय सेवकों के लिए आवश्यकता एवं सक्षमता का आंकलन।
  • पदोन्नति के लिए कौशल क्षमता में वृद्धि को तरजीह।
  • सेवानिवृत्ति पर देय स्वत्यों का एकमुश्त भुगतान।

भौतिक अधोसंरचना विकास के लिए महत्वपूर्ण अनुशंसाएं

  • चंबल
    प्रोग्रेस-वे एवं नर्मदा एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं के लिए वन
    भूमि एवं खनिज आदि स्वीकृतियों पर शीघ्र कार्यवाही करना।
    एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा ऑनलाईन पोर्टल का विकास।
  • सड़कों के विकास की बेहतर योजना निर्माण तथा 200 सड़कों का सांईटिफिक ट्रैफिक सर्वे।
  • आगामी 6 माह में प्रदेश के सभी टोल प्लाजा का कम्प्यूटरीकरण एवं फास्ट टैग के क्रियान्वयन के माध्यम से ऑटोमेशन।
  • 500 करोड़ रूपए ऑफ बजट के रूप में बाजार ऋण के रूप में लिये जायेंगे।
  • सड़कों
    की प्राथमिकता निर्धारित करने तथा तकनीकी आधारित स्थिति का
    आंकलन करने के लिए रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम (RAMS)।
  • राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों में “बफ़र में सफर” कार्यक्रम प्रांरभ करना।
  • 2 टाइगर सफारी प्रारंभ करना।
  • रामायण सर्किट, तीर्थंकर सर्किट तथा नर्मदा परिक्रमा जैसे थीम आधारित सर्किट विकसित करना।
  • अनुभव आधारित टूर- डायमण्ड, साड़ी, राम पथ गमन का प्रारंभ।
  • ग्रामीण पर्यटन, ट्राईबल पर्यटन, होमस्टे, स्मॉल टूर आदि को बढ़ावा।
  • वन
    तथा पर्यटन आधारित व्यवसायों में राष्ट्रीय उद्यानों के समीप
    स्थित क्षेत्रों के 25 हजार युवाओं का कौशल संवर्धन करना।
  • इंदौर एवं भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कोरिडोर का कार्य पूर्ण करना।
  • वर्ष 2020-21 में दीनदयाल रसोई योजना को विस्तारित करते हुये सभी जिला मुख्यालयों तथा पवित्र स्थलों को जोड़ना।
  • मार्च
    2021 तक 5 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को पंजीकृत कर प्रमाण पत्र
    वितरण तथा 3 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को दस-दस हजार रूपये का ऋण
    स्वीकृत करना।
  • आगामी 3 वर्षों में नगरीय क्षेत्रों में समस्त नागरिक सुविधाओं को ऑनलाईन करना।
  • ऊर्जा की बचत के लिए सभी शहरों/टाउन में ESCO Model के माध्यम से एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट स्थापित करना।
  • सात शहरों में स्टार्टअप इंक्यूबेशन केन्द्रों का विकास एवं 15 लाख बेरोजगार युवाओं का कौशल विकास।
  • 10
    लाख से अधिक के शहरों में जन निजी भागीदारी से ई-व्हिकल
    चार्जिंग स्टेशन एवं लोक परिवहन हेतु ई-व्हिकल का उपयोग।
  • भवन निर्माण अनुमति के साथ टाऊन प्लानिंग की ई-सेवाओं का एकीकरण।
  • मार्च, 2021 तक ग्रामीण क्षेत्रों में पाईप वाटर सप्लाई की उपलब्धता को राष्ट्रीय औसत 26 प्रतिशत से अधिक बढ़ाना।
  • वर्ष 2024 तक मध्यप्रदेश के 100 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • नल, बिजली आदि की मरम्मत के लिए 50 हजार मैकेनिकों को 3 वर्षों में प्रशिक्षित करना।
  • आगामी 2 वर्षों में सभी परियोजनाओं को स्वीकृत कर 18.25 एम.ए.एफ. नर्मदा जल के आवंटन का उपयोग कराना।
  • आगामी 3 वर्षों में सिंचाई क्षमता 40 लाख हेक्टेयर से 53 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना।
  • नर्मदा
    परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आगामी 3 वर्षों में लगभग 15
    हजार करोड़ ऑफ बजट ऋण के माध्यम से एन.बी.पी.सी.एल. द्वारा अतिरिक्त
    राशि उपलब्ध कराना।
  • टी.बी.सी.बी.
    रूट के माध्यम से ओंकारेश्वर में 600 मेगावाट के फ्लोटिंग
    सोलर प्रोजेक्ट का विकास करना। अनुमानित निवेश 3 हजार करोड़ रूपये।
    यह विश्व का “सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट” होगा।
  • मुरैना, छतरपुर, आगर, नीमच, शाजापुर में 4400 मेगावाट सोलर प्लांट का विकास।
  • आगामी एक वर्ष में 4 हजार करोड़ रूपये लागत की ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर परियोजना को पूर्ण करना।
  • देश में मध्यप्रदेश को “मल्टी मोडल लॉजिस्टिक हब” के रूप में विकसित करना।
  • समस्त विधायकों को एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के लिए ई-लॉजिस्टिक के माध्यम से राज्य स्तरीय बाजार की स्थापना।
  • एयर कार्गों के लिए पॉलिसी बनाना, जिससे शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं को शीघ्र बाजार पहुँचाया जा सके।
  • इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा।
  • मध्यप्रदेश लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग का गठन।

स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधित महत्वपूर्ण अनुशंसाएं

  • आयुष्मान भारत की आउटरीच और क्षमता में वृद्धि।
  • राज्य बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन में 8 प्रतिशत तक वृद्धि।
  • 10
    हजार उप स्वास्थ्य केन्द्रों (SHCs) और 1200 प्राथमिक स्वास्थ्य
    केन्द्रों (PHCs) को व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदाय
    करने केलिए “हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर्स” (एच.डब्ल्यू.सी.) में
    विकसित करना (POC डायग्नोस्टिक सहित)।
  • 363 आयुष हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर्स (एच.डब्ल्यू.सी.) की स्थापना।
  • राज्य
    भर में 1600 अत्याधुनिक प्रसव केन्द्रों और सामुदायिक
    स्वास्थ्य केन्द्रों में विशेष नवजात देखभाल इकाइयों (एस.एन.सी.यू)
    की स्थापना।
  • पांच साल से कम उम्र के सभी बच्चों का पूर्ण टीकाकरण।
  • मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम में परिवार कल्याण कार्यक्रमों का विलय।
  • 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए एकीकृत कार्ययोजना का क्रियान्वयन।
  • भोपाल और इंदौर में “आयुष सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों” की स्थापना।
  • आयुर्वेद और यूनानी औषधालयों का उन्नयन।
  • प्रत्येक
    जिला अस्पताल में रेफरल को कम करने के लिए क्रियाशील आई.सी.यू,
    एच.डी.यू. वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, डायग्नॉस्टिक्स सुविधाएं और
    विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता।
  • 120 कॉलेजों के लिए नवीन भवन और 200 कॉलेजों का अधोसंरचनात्मक सुदृढ़ीकरण।
  • 10 हजार सर्व संसाधन संपन्न – CM RISE स्कूलों की स्थापना।
  • लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग का समविलयन।
  • स्कूल शिक्षा विभाग के साथ आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों का विलय।
  • STEM
    (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को बढ़ावा
    देने के लिये शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग के बीच भागीदारी।
  • शासकीय महाविद्यालयों अंतर्गत “जनभागीदारी समिति व्यवस्था” पर पुनर्विचार।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (PHCs) और उप स्वास्थ्य केन्द्रों (SCHs) में विशेषज्ञ परामर्श के लिए टेलीमेडिसन।
  • नागरिक पंजीकरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण और एचएमआईएस (HMIS) के साथ एकीकरण।
  • स्कूलों में शिक्षा के परिणामों का आई.टी. आधारित थर्ड पार्टी मूल्यांकन।
  • आई.टी. आधारित स्कूल एवं शिक्षा प्रबंधन प्रणाली।
  • 200 सरकारी कॉलेजों में वर्चुअल लर्निंग सुविधा और स्मार्ट कक्षाएं स्थापित करना।
  • उच्च शिक्षा संचालनालय और महाविद्यालयों के लिए एकीकृत पोर्टल का निर्माण।
  • लोक स्वास्थ्य प्रबंधकों के लिए तथा अस्पताल प्रबंधकों के लिए कैडर कानिर्माण।
  • शिक्षक प्रशिक्षण के लिए राज्य स्तरीय नीति का निर्माण।
  • कार्य आधारित मूल्यांकन, शिक्षकों और आई.टी.आई. कर्मचारियों की डिजिटल दक्षता संवर्धन।
  • गैर संचारी बीमारियों के लिए आयुष दवाओं का अनुसंधान और विकास।
  • नवाचार, सुधारों और प्रोद्योगिकी विकास के लिए एम.पी. नॉलेज कॉरपोरेशन की स्थापना।
  • निवारक देखभाल (प्रिवेन्टिव केयर) के लिए आयुष दवाओं पर जोर।
  • 50
    कॉलेजों के लिए NAAC “A” ग्रेड और 20 कॉलेजों के लिए A+ ग्रेड,
    राज्य के HEls को NIRF के पहले 100 संस्थानों में लाने के लिए
    सम्यक प्रयास।
  • स्कूलों के लिए सी.बी.एस.ई. मान्यता प्राप्त करना एवं एक अंग्रेजी माध्यम सैक्शन प्रारंभ करना।
  • प्रतिभाशाली बच्चों के लिए विशेष योजना – “प्रखर”।
  • प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ “नॉलेज पार्टनरशिप” और सहयोग के लिए सहभागिता।
  • JEE, NEET, CLAT आदि के लिए 3000 छात्रों को कोचिंग प्रदायगी।
  • इंजीनियरिंग
    कॉलेजों और सभी जिला स्तर के आई.टी.आई. में हब और स्पोक मॉडल
    आधारित कैरियर और प्लेसमेंट सैल की स्थापना। 200 कॉलेजों में
    प्लेसमेंट और उद्यमिता सैल की स्थापना।
  • 6 राज्य विश्वविद्यालयों, 10 संभाग स्तरीय आई.टी.आई. इन्क्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना।
  • शासकीय अस्पतालों में उच्चस्तरीय डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
  • पी.पी.पी. मोड पर नए मेडिकल कॉलेजों और सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों की स्थापना।
  • प्रशिक्षण उपरांत रिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आयुष चिकित्सा अधिकारी की पदस्थापना।
  • 50 शासकीय महाविद्यालयों का बहु-विषयक (Multi-disciplinary) संस्थाओं के रूप में उन्नयन।
  • उच्च शिक्षा संस्थानों तक पहुँच बढ़ाने के लिए 150 नए ओपन डिस्टेंस लर्निंग (ODL) केन्द्रों की स्थापना।
  • ग्लोबल स्किल पार्क और 10 मेगा आई.टी.आई. के लिए उद्योग भागीदारी।
  • उच्च शिक्षा में उद्यम को एकीकृत करने के लिए उद्योगों के साथ भागीदारी।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा के चयनित क्षेत्रों में उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना।
  • चिन्हित 150 महाविद्यालयों को क्वालिटी लर्निंग सेंटर्स (OLCs) के रूप में विकसित करना।

आत्मनिर्भर म.प्र- अर्थव्यवस्था एवं रोजगार

  • 75 हजार हेक्टेयर चम्बल के बीहड़ों के विकास के लिए मिशन।
  • सूक्ष्म सिंचाई (Micro-irrigation) योजनाओं के लिए “म.प्र. ग्रीन रिवोल्यूशन कम्पनी” का गठन।
  • प्रदेश के समस्त ग्रामों की फर्टीलिटी मैपिंग।
  • 100 उद्यानिकी नर्सरियों का पीपीपी मोड पर सुदृढ़ीकरण।
  • 20 ग्रीन हाऊस क्लस्टर्स का विकास।
  • सुदूर संवेदन तकनीक से फसलों के क्षेत्रफल तथा संभावित उत्पादन का आंकलन।
  • 1,000 क्लाइमेट स्मार्ट विलेजेस का विकास।
  • नरवाई जलाने वाले क्षेत्रों में नवीन कृषि उपकरणों (हैप्पी सीडर, बेलर) के उपयोग को बढ़ाकर।
  • 10 बीज गुण नियंत्रण एवं 10 खाद गुण नियंत्रण प्रयोगशालाओं का संचालन।
  • कृषि यंत्रीकरण के 10 बड़े निर्माताओं के साथ 10 कृषि यंत्र कौशल विकास संस्थानों की स्थापना।
  • तीन हजार नवीन कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना।
  • तीन हजार एग्री-क्लीनिक एवं एग्री-सर्विस केन्द्र।
  • प्रमाणीकृत जैविक खेती के क्षेत्रफल को बढ़ाकर 4 लाख हेक्टेयर करना।
  • 30 निजी मार्केट यार्ड और 100 डायरेक्ट परचेज सेंटर्स की स्थापना।
  • प्रदेश की समस्त मण्डियों को e-NAM से जोड़ना।
  • मण्डियों के समस्त रिकार्ड एवं प्रक्रिया को ऑनलाइन कर पेपरलैस मण्डियों में परिवर्तन।
  • 30 मण्डियों को Hightec आधुनिक मण्डियों में बदलना।
  • GI Tag – शरबती गेहूं, जीराशंकर धार, पिपरिया तूअर आदि के लिए।
  • पवारखेड़ा की तर्ज पर 3 नवीन लॉजिस्टिक हब की पीपीपी माडल पर स्थापना।
  • 20 क्लस्टर्स का चयन कर उनमें FPC के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना।
  • भोपाल एवं इंदौर एयरपोर्ट से एयर कार्गों फैसिलिटी।
  • नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों के साथ 6 कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना।
  • 3 लाख पशुपालकों को केसीसी प्रदाय।
  • 800 नवीन दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन।
  • नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों अंतर्गत 2 डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज की स्थापना।
  • मत्स्य
    उत्पाद 2 लाख एम.टी. से बढ़ाकर 3 लाख एम.टी करना तथा 4 हजार
    हेक्टयर नवीन क्षेत्रफल का मलबरी सिल्क उत्पादन से लिंकेज।
  • “एक
    जिला एक उत्पाद” के अंतर्गत प्रत्येक जिले के एक
    औद्योगिक/परम्परागत उत्पाद का चिन्हांकन तथा उसका जिले में विकास
    तथा देश में ब्रांडिंग।
  • अटल
    प्रोग्रेस-वे तथा नर्मदा एक्सप्रेस-वे के आसपास विश्वस्तरीय
    औद्योगिक गलियारों (Industrial corridors) तथा MSME Clustures की
    स्थापना।
  • नवीन औद्योगिक क्षेत्रों के लिये “लैण्ड पूलिंग पॉलिसी”।
  • 3 औद्योगिक क्षेत्रों में “प्लग एण्ड प्ले” अधोसंरचना।
  • 3 नवीन इन्लैण्ड कंटेनर डिपो।
  • 10 नवीन एम.एस.एम.ई. क्लस्टर्स।
  • मोहासा बावई में विश्वस्तरीय फार्मा पार्क।
  • खाद्य तेलों के उत्पादन को प्रदेश में बढ़ावा देने के लिए नीति।
  • श्रम आधारित उद्योगों जैसे खाद्य प्रसंस्करण, गार्मेन्ट, वस्त्र, आदि के लिये आकर्षक निवेश प्रोत्साहन नीति।
  • खाद्य प्रसंस्करण विभाग का एम.एस.एम.ई. में हस्तांतरण।
  • संर्पूण औद्योगिक भूमि के आवंटन को ऑनलाईन कर जीरो वेटिंग टाईम पॉलिसी।
  • इन्वेस्ट
    एमपी पोर्टल पर समस्त उद्योग, पर्यावरण, श्रम, नगरीय विकास,
    फायर आदि की अनुमतियां तत्काल ऑनलाईन प्रदान की प्रणाली।
  • श्रम
    कानूनों में सुधार को अंतिम रूप देकर एक हजार दिवस में आने
    वाले निवेश पर एक हजार दिवस के लिये विभिन्न श्रम कानूनों मे छूट।
  • 100 नवीन खाद्य प्रसंस्करण तथा कृषि आधारित स्टार्ट-अप।
  • ग्लोबल स्किल पार्क, भोपाल को प्रारंभ कर प्रतिवर्ष 6 हजार युवाओं का कौशल विकास प्रशिक्षण।
  • महाकौशल तथा मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 2 स्पेशन SEZ जोन की स्थापना (काष्ठ एवं गैर काष्ठ के लिए।)
  • मधुमक्खी पालन, लाख उत्पादन एवं रेशम उत्पादन के कार्य में 25 हजार किसानों को जोड़ना।
  • 31 मुख्य खनिजों को गौण खनिज की श्रेणी में शामिल किये जाने के लिए नवीन नीति।
  • मध्यप्रदेश एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल का गठन।
  • प्रदेश के उत्पादों को “ग्लोबल वैल्यू चैन” में जोड़ने के लिए टास्क फोर्स का गठन।
  • देश के एक बंदरगाह से प्रदेश के उत्पादों के निर्यात के लिए दीर्घकालीन समझौता।
  • अमेजन, स्नेपडील, फ्लीपकार्ट आदि पर मृगनयनी, कबीरा, विंध्यावेली, प्राकृत आदि के उत्पादों की ऑनलाईन मार्केटिंग।

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