दुस्साहस अब बर्दाश्त नहीं, जानें चीन और पाक सीमा पर मोर्चा संभालने जा रहा पिनाक कितना खतरनाक
एक ओर जहां लद्दान में चीन लगातार भारत को आंखें दिखाने की कोशिश कर रहा है, और दूसरी ओर जहां पाकिस्तान घुसपैठ की कोशिशों में लगा है, वहीं भारत ने बड़ा फैसला लेते हुए चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर पिनाक मिसाइल को तैनात करने का फैसला किया है। रक्षा मंत्रालय ने छह मिलिटरी रेजिमेंट के लिए 2580 करोड़ रुपये की लागत से पिनाक रॉकेट लॉन्चर के निर्माण को लेकर सोमवार को दो अग्रणी घरेलू रक्षा कंपनियों के साथ समझौता किया है। इसी के साथ भारत ने ये साफ संकेत दे दिए हैं कि पाकिस्तान हो या चीन, सीमा पर किसी का भी दुस्साहस बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भगवान शिव के धनुष के नाम पर स्वदेशी रूप से विकसित इस मिसाइल सिस्टम के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और लार्सन ऐंड टूब्रो (एल ऐंड टी) के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया गया है। पिनाक को बनाने का काम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा 1980 के दशक के अंत में शुरू किया गया था। इसे रूस के मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम ‘ग्रैड’ के एक विकल्प के रूप में देखा जाता है। आपको बता दें कि ‘ग्रैड’ अभी भी उपयोग में है। तो आइए, जानते हैं इस पिकान मिसाइल सिस्टम से जुड़ी कुछ खास बातें…
करगिल में पाकिस्तान के छुड़ाए थे छक्के1990 के अंत में पिनाक मार्क -1 का सफल परीक्षण किया गया था। इसके बाद, इसे पहली बार 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया था, जो सफल भी रहा था। मुख्य रूप से मल्टि-बैरल रॉकेट सिस्टम (MBRL) पिनाक 44 सेकंड में 12 रॉकेट लॉन्च कर सकता है। पिनाक की एक बैटरी में 6 लॉन्चर होते हैं, जिसमें लोडर सिस्टम, रडार और नेटवर्क बेस्ड सिस्टम एक कमांड पोस्ट के साथ लिंक होते हैं।
हाल ही में पोखरण में हुआ सफल परीक्षणपिनाक की एक बैटरी एक स्कॉयर किलोमीटर इलाके को पूरी तरह से ध्वस्त कर सकती है। लॉन्ग रेंज आर्टिलरी बैटल की अहम रणनीति के तौर पर, लॉन्चर को ‘शूट ऐंड स्कूट’ करना पड़ता है ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि वे ख़ुद टारगेट न बनें। पिनाका के मार्क- I वर्जन में करीब 40 किलोमीटर की रेंज तक मार करने की क्षमता थी, वहीं मार्क-II वर्जन 75 किलोमीटर तक फायर कर सकता है। DRDO की ओर से 2010 के बाद मार्क- II वर्जन के कई सफल परीक्षण किए गए। इसी महीने पोखरण में भी इसका हालिया परीक्षण किया गया।
नए वर्जन में बेहतर नेविगशन सिस्टमरॉकेट के मार्क- II वर्जन में बेहतर नेविगेशन, कन्ट्रोल और गाइडेंस सिस्टम के साथ अपग्रेड किया गया है। इससे इसकी रेंज और सटीकता बढ़ गई है। मिसाइल का नेविगेशन सिस्टम इंडियन रीजनल सैटलाइट सिस्टम से लिंक है। पिनाक मार्क-II अपग्रेड होने के बाद ‘नेटवर्क केंद्रित युद्ध’ में काफी अहम भूमिका निभा सकता है। रॉकेट सिस्टम अलग-अलग मोड को ऑपरेट कर सकता है और विभिन्न प्रकार के वॉरहेड कैरी कर सकता है।
2024 तक शुरू होगा संचालनजिस समय भारत दोनों मोर्चों पर दुश्मनों का सामना कर रहा है, उस समय लॉन्ग रेंज आर्टिलरी क्षमताओं को बढ़ाने वाली घोषणा को एक मजबूत जवाब के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि 6 पिनाक रेजिमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग ऐंड पोजिशनिंग सिस्टम’(एजीएपीएस) के साथ 114 लॉन्चर और 45 कमान पोस्ट भी होंगे। बयान में कहा गया था कि मिसाइल रेजिमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है ।
पिनाक में 70% स्वदेशी मटीरियलरक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक, वेपन सिस्टम में 70 प्रतिशत स्वदेशी मटीरियल होगा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी है। पिनाका मल्टीपल लांच रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) को डीआरडीओ ने डिवेलप किया है। मंत्रालय ने बताया, ‘यह एक महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट है जो ‘आत्मनिर्भर’ बनने के लिए अत्याधुनिक टेक्नॉलजी के क्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर की पार्टनरशिप को प्रदर्शित करती है।’