December 25, 2024

छत्तीसगढ़ बजट 2022-23: संक्रमण की वजह से टला बजट सेशन, मार्च में आ सकता है छत्तीसगढ़ का ‘युवा बजट’

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छत्तीसगढ़ बजट 2022-23 (Chhattisgarh Budget 2022-23) को लेकर इस बार भी लोगों को उम्मीदें हैं।

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रायपुर। छत्तीसगढ़ बजट 2022-23 (Chhattisgarh Budget 2022-23) को लेकर इस बार भी लोगों को उम्मीदें हैं। सबसे ज्यादा उम्मीद कोरोना की मार से अब तक जूझ रहे बाजार को है। कोरोना की पिछली लहर के बाद से बाजारों में कुछ हद तक गतिविधियां दिखी तो हैं, लेकिन अब भी कोई खास बदलाव नहीं आया है। ऐसे में व्यापारी वर्ग को सरकार से उम्मीद है। प्रदेश का बजट फरवरी में आने वाला था, लेकिन ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले (Increasing cases of omicron) को देखते हुए छत्तीसगढ़ बजट सत्र 2023 (Chhattisgarh Budget Session 2023) को आगे बढ़ा दिया गया है। अब मार्च में ये सत्र होने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ का गठन हुए 21 बरस हो चुकें हैं तो इस लिहाज से ये कहा जा सकता है कि सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) विधानसभा में मार्च में युवा बजट पेश करेंगे। बजट प्रस्तुत करने का अवसर बघेल से पहले स्व. रामचंद्र सिंहदेव, अमर अग्रवाल और डॉ. रमन सिंह को मिला है। बजट सत्र इस बार फरवरी के बजाय मार्च में होगा। बजट के प्रस्तावों को लेकर सीएम पहले ही सभी मंत्रियों के साथ मंथन कर चुके हैं।

1 लाख करोड़ से ज्यादा का बजट!

इस बार 1 लाख 2 करोड़ रुपये तक का हो सकता है। क्योंकि सरकार ने पहले ही विभागों से कह दिया था कि इस बार बजट के प्रस्तावों में 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं करेंगे। हालांकि देखा जाए तो प्रदेश के गठन के बाद से यहां के बजट का ग्राफ हमेशा बढ़ा ही है। छत्तीसगढ़ के साथ गठित झारखंड और उत्तराखंड का बजट अब भी कम है। झारखंड का बजट पिछले साल जहां 91 हजार करोड़ था, वहीं उत्तराखंड का बजट 57 हजार करोड़ का था।


केंद्रीय बजट पर सरकार की नजर

प्रस्तावों पर चर्चा के बाद जिन विषयों पर सहमति दी गई है, उन्हें वित्त विभाग के अधिकारी नए बजट में शामिल कर रहे हैं। 1 फरवरी से संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर भी प्रदेश सरकार की नजर रहेगी। केंद्रीय बजट में राज्य की हिस्सेदारी पर फोकस होगा। उसे भी नए बजट में एडजस्ट किया जाएगा। कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद इसे प्रकाशन के लिए सरकारी प्रेस भेजा जाएगा। इस वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि बजट सत्र 4 या 5 मार्च से हो सकता है।


सरकार के पास ये विकल्प

जानकारों की मानें तो बजट सत्र के समय में फेरबदल नई बात नहीं है। ज्यादातर ऐसा तब होता है जब राज्य या केंद्र में सरकारें बदलती हैं। तब भी 3-4 महीनों के लिए टेंटेटिव बजट पास कर काम चलाया जाता है। मुख्य बजट बाद में पारित किया जाता है। इसी तरह अगर सरकार चाहे तो लंबे बजट सत्र की जगह (Guillotine) ला सकती है। ये छोटे बजट सत्र का विकल्प है। इसका मकसद ये है कि 4-5 मुख्य मदों को सदन में एक साथ प्रस्तुत कर चर्चा के बाद पारित कर लिया जाता है। इसमें सामान्यत: पीडब्लूडी, वन, पीएचई, आवास आदि विभागों की मांगें या बजट प्रस्ताव शामिल होती है। बाकी बजट को बिना छेड़छाड़ किए या लघु चर्चा के बाद पास कर दिया जाता है।

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