जब न्यायाधीश खुद ही चलकर पहुंचे फरियादी के पास, मौके पर ही सुनाया फैसला
यहां चल रहे लोक अदालत के दौरान न्यायाधीश खुद ही चलकर फरियादी के पास पहुंचे।
कोरबा। यहां चल रहे लोक अदालत के दौरान न्यायाधीश खुद ही चलकर फरियादी के पास पहुंचे। अपंग हो चुके फरियादी का पक्ष जानने के बाद न्यायाधीश ने मौके पर ही पीड़ित को 20 लाख रूपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया।
दूसरे पक्ष को भी मौके पर बुलाया
दरअसल एक सड़क दुर्घटना में तीन साल पहले अपंग हुए युवक ने बीमा कंपनी के खिलाफ अर्जी लगाई थी। कोरबा में आयोजित लोक अदालत में युवक के मामले की सुनवाई थी। न्यायलय परिसर में पहुंचा दिव्यांग युवक चल नहीं सकता था।
जिला सत्र न्यायाधीश BP वर्मा को युवक के संबंध में जानकारी मिली तो वे खुद उस कार तक पहुंचे जिस पर सवार होकर वह आया था। युवक के केस से संबंधित दस्तावेज व मामले से जुड़े पक्ष को कार के पास ही बुलाया गया। वहीं सुनवाई के बाद फरियादी युवक और बीमा कंपनी के बीच समझौता कराया गया। राजीनामा के बाद युवक को बीस लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का फैसला कोर्ट ने सुनाया. लोक अदालत में मामले का निराकरण हो जाने से फरियादी द्वारिका प्रसाद ने खुशी जाहिर की और न्यायालय की इस पहल पर आभार जताया।
ट्रेलर से कार की हुई थी भिड़ंत
फरियादी द्वारिका प्रसाद के मुताबिक 3 दिसंबर 2018 को सुबह लगभग पांच बजे वह चार पहिया वाहन में कोरबा जा रहा था। जैसे ही वह मानिकपुर के पास पहुंचा तो अनावेदक सुनील कुमार यादव के ट्रेलर के वाहन चालक राजकुमार द्वारा लापरवाहीपूर्वक ट्रेलर से कार को ठोकर मारकर द्वारिका प्रसाद को घायल कर दिया गया।
दुर्घटना के परिणामस्वरूप आवेदक के गर्दन के पास रीढ़ की हड्डी टूट गई है, जिसे ऑपरेशन कर रॉड डाला गया है। इस हादसे के कार द्वारिका प्रसाद का पूरा शरीर शिथिल होकर अपंग हो गया है और वह भविष्य में वह आजीवन कोई कार्य नहीं कर पायेगा। नेशनल लोक अदालत में द्वारिका का मामला प्रस्तुत किया गया। जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बीपी वर्मा, आवेदक द्वारिका प्रसाद कंवर के अधिवक्ता पीएस राजपूत व अनावेदक बीमा कंपनी के अधिवक्ता रामनारायण राठौर संयुक्त रूप से न्यायालय परिसर के बाहर सड़क पर मामले की सुनवाई की गई। यहां राजीनामा द्वारा प्रकरण निराकृत कर 20 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि आवेदक को देने का आदेश दिया गया।