December 24, 2024

बड़ी खबर : कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ बच्चन के साथ नजर आऐंगी जिले की महिला फूलबासन,पद्मश्री फूलबासन यादव का चयन केबीसी के स्पेशल एपीसोड के किया गया

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संवाददाता -कामिनी साहू

राजनांदगांव –  कौन बनेगा करोड़पति के स्पेशल एपिसोड में जिले की पद्मश्री फूलबासन बाई बिग बी अमिताभ के साथ नजर आएंगी। फूलबासन का चयन केबीसी के स्पेशल एपिसोड के लिए किया गया है। इस स्पेशल एपिसोड में अमिताभ बच्चन फूलबासन बाई के गरीबी के संघर्ष से लेकर पद्मश्री तक के सफर को बताएंगे। फूलबासन की जिंदगी से जुड़े कुछ खास पहलुओं को कैमरे में कैद करने मुंबई से केबीसी की टीम उनके गांव सुकुलदैहान आएगी।
गौरतलब है कि फूलबासन कभी अपने गांव में बकरी चराया करती थीं, लेकिन अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने एक महिला समूह बनाया जो अब लाखों महिलाओं को रोजगार दे रहा है। फूलबासन बाई ने गांव की महिला से लेकर पद्मश्री हासिल करने तक का सफर तय कर एक मिसाल पेश की है। फूलबासन बाई मां बम्लेश्वरी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष हैं। इनके इस महिला समूह में दो लाख से अधिक महिलाओं का समूह काम कर रहा है, जो अपने आप में एक मिसाल है। फूलबासन बाई नारी सशक्तिकरण का एक अच्छा उदाहरण पेश कर रही हैं।बताएंगे संघर्ष और सफलता की कहानीबचपन में अक्सर भूखे पेट सोकर पहले गरीबी और फिर समाज से लडक़र लाखों महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने वाली पद्मश्री फूलबासन बाई के जज्बे को देश-विदेश के लोग केबीसी के माध्यम से देखेंगे। अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहे कौन बनेगा करोड़पति के मंच पर जिले की पद्मश्री फूलबासन यादव नजर आएंगी। उनका चयन स्पेशल एपिसोड के लिए किया गया है। फूसबासन का कहना है कि केबीसी की हॉटसीट तक पहुंचकर वो जो भी रकम जीतेगी उसे वह अपने उस सपने को पूरा करने में लगाएगी जिसके लिए वह खुद बचपन में तरसी। यानी वह ऐसे बच्चों को पढ़ाना चाहती है, जिनके माता-पिता शिक्षा देने में सक्षम नहीं है।5वीं पास फूलबासन बाई यादव का कमालराजनांदगांव जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर सुकुलदैहान गांव में 5वीं पास फूलबासन बाई यादव शादी करके आई थी। 2001 में उन्होंने दो रुपये और दो मु_ी चावल से महिला समूह का काम शुरू किया। आज इस महिला समूह से दो लाख महिलाएं जुड़ गई हैं और इनकी बचत करोड़ों में है। फूलबासन बाई कहती हैं कि बचपन में पढ़ाई करने की काफी इच्छा थी, लेकिन गरीबी के चलते ये सपना ही रह गया। बड़ी मुश्किल से 5वीं तक की पढ़ाई हो पाई। 13 साल की उम्र में वह ससुराल आ गई। यहां भी उसने गरीबी देखी। फिर कुछ करने की इच्छा मन में जागी और महिला समूह की शुरुआत की। फूलबासन बाई ने 2001 में 10 महिलाओं के साथ स्व सहायता समूह की शुरुआत की थी।उनकी संस्था में महिलाएं बन रही स्वावलंबनपहले पढ़ाई, भलाई और सफाई का नारा देकर गांव में उन्होंने सफाई अभियान शुरू किया। इसके बाद उनके साथ महिलाएं जुड़ती चली गई। धीरे-धीरे नशाबंदी के खिलाफ भी काम करना शुरू किया और आत्मनिर्भर बनने दो मुठ्टी चावल जमा करने से लेकर बाजारों के ठेके तक फूलबसान के ग्रुप ने लिए। महिलाओं की मदद से जल्द ही समिति ने बम्लेश्वरी ब्रांड नाम से आम और नींबू के आचार तैयार किए और छत्तीसगढ़ के तीन सौ से अधिक स्कूलों में उन्हें बेचा जाने लगा। इसके अलावा उनकी संस्था अगरबत्ती, वाशिंग पावडर, मोमबत्ती, बड़ी-पापड़ आदि बना रही है जिससे दो लाख महिलाओं को स्वावलम्बन की राह मिली है।

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