इस बार फिंगर 4 से 8 के बीच नहीं, पैंगोंग झील के दक्षिण में हुई झड़प
पैंगोंग त्सो (झील) के पास ताजा झड़प (Pangong Tso latest clash) के बाद भारत और चीन के बीच तनाव (India China tensions) और बढ़ गया है। पूर्वी लद्दाख से लगी सीमा (Eastern Ladakh border) पर इससे पहले गलवान घाटी में हिंसक झड़प 15 जून को हुई थी। पैंगोंग झील पर भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर मौजूद थीं। सरकार के मुताबिक, 29-30 अगस्त की रात को चीनी सैनिकों ने ‘यथास्थिति बदलने’ की कोशिश की जिसे सफलतापूर्वक रोक दिया गया। खास बात ये है कि झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर एरियाज में पहले भी झड़प हो चुकी है मगर दक्षिणी किनारे पर हाल के सालों में सैनिकों के टकराने का यह पहला मामला है।
उत्तरी किनारे पर फिंगर 4 है तनाव का केंद्र पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर 5-6 मई को करीब 13,900 फीट की ऊंचाई पर चांगला पास के नजदीक दोनों तरफ के जवान टकरा गए थे। इसके बाद से, चीनी सैनिक भारतीय जवानों को फिंगर 4 से पूर्व में नहीं जाने दे रहे। एक सीनियर ऑफिसर के मुताबिक, “भारतीय सेना के सारे मैप दिखाते हैं कि LAC फिंगर 8 पर उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है। फिंगर 3 और 4 के बीच सालों से ITBP की पोस्ट है।” बता दें कि फिंगर्स असल में झील के उत्तरी किनारे पर मौजूद चोटियां हैं जो झील में मिलती हैं। इनपर कंट्रोल को लेकर दोनों देशों में अक्सर विवाद होता है। चीन का दावा फिंगर 2 तक है और भारत फिंगर 8 तक अपनी सीमा मानता है।
दक्षिणी किनारे पर 1962 में हुई थी हलचलपैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के पास ही चुशूल है। वहीं से थोड़ी दूर पर रेजांग ला (पास) है। यहां पर 1962 की जंग में भारतीय सेना की 13 कुमाऊं बटालियन ने आखिरी दम तक चीनी सैनिकों से लोहा लिया था। कंपनी का नेतृत्व मेजर शैतान सिंह कर रहे थे जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उस जंग में 120 जवानों की टुकड़ी ने शहादत देने से पहले 1,300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। झड़प वाली जगह रेजांग ला से 20 किलोमीटर की रेंज में है।
पहले भी चीन कर चुका ऐसी हरकतें1999 में जब भारत का ध्यान करगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ पर था, तब चीन ने अपने बेस से लेकर फिंगर 4 तक एक कच्ची सड़क बना ली थी। बाद में इसे पक्का कर दिया गया। एक मिलिट्री ऑफिसर के अनुसार, “PLA के सैनिक अक्सर फिंगर 8 और सिरजप की पोस्ट से अपनी पोस्ट से गाड़ियों में बैठकर इस इलाके में पैट्रोल करते थे। फिंगर 2 तक दावा करने के बाजवूद उन्होंने इसपर कभी कब्जा नहीं किया था” मगर अब चीन के इरादे अलग लग रहे हैं।
सेना ने पैंगोंग में झड़प पर क्या कहा?भारतीय सेना के बयान के अनुसार, पैंगोंग त्सो एरिया में 29/30 अगस्त की दरम्यानी रात को पीएलए के सैन्य दलों ने उस सहमति का उल्लंघन किया जो पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के दौरान सैन्य एवं कूटनीतिक बातचीत के दौरान बनी थी। चीनी सैनिकों ने यथास्थिति को बदलने के लिए उकसावे की सैन्य गतिविधियां कीं। भारतीय सैनिकों ने पीएलए की गतिविधि को रोकते हुए हमारी स्थिति मजबूत करने के कदम उठाए और जमीनी हकीकत को एकतरफा बदलने की चीन की मंशा को ध्वस्त कर दिया। भारतीय सेना बातचीत के जरिए शांति और स्थिरता कायम रखने को लेकर प्रतिबद्ध तो है लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने को लेकर भी उतना ही दृढ़ निश्चयी है। विवादों को सुलझाने के लिए चुसूल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग चल रही है।”