बड़ी खबर: ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस दुर्घटना में मृत व्यक्ति को 11 सालों बाद CBI ने पकड़ा जिंदा
पश्चिम बंगाल| पश्चिम बंगाल (West Bengal) में फर्जीवाड़ा की एक अनोखी घटना सामने आयी है. लगभग 11 साल पहले की बहुचर्चित ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस (Gyaneshwari Express Accident) दुर्घटना को लेकर एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. दुर्घटना में मृत घोषित किए गए कोलकाता के अमृताभ चौधरी और उसके पिता को जोड़ाबागान इलाके से सीबीआई ने जिंदा पकड़ लिया है. खास बात यह है कि दुर्घटना के बाद अमृताभ के परिवार को चार लाख की वित्तीय मदद और उनकी बहन को रेलवे में नौकरी मिली थी. अब आरोपी से सीबीआई ने पूछताछ के लिए निजाम पैलेस स्थित कार्यालय में तलब किया है.
बता दें कि लगभग 11 साल पहले 26 मई 2010 को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में करीब 150 लोगों की मौत हो गई थी. रेलवे ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक मुआवजा और सरकारी नौकरी दी थी. नियमानुसार मुआवजे के लिए मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र जमा देना होता है. आरोपी अमिताभ ने डेथ सर्टिफिकेट और डीएनए रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा किया था.
दक्षिण पूर्व रेलवे ने सीबीआई को दी थी जानकारी
दक्षिण पूर्व रेलवे की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि कुछ दिनों पहले ही अमृताभ के जिंदा होने की जानकारी विजिलेंस को मिली थी, जिसके बाद सीबीआई के पास उसकी शिकायत दर्ज कराई गई थी. शनिवार को अमृताभ और उसके पिता मिहिर चौधरी को सीबीआई अपने दफ्तर में ले आई थी, जहां दोनों से पूछताछ के बाद घटना का खुलासा हुआ है.
क्या रेलवे का कोई अधिकारी भी है शामिल ?
खास बात यह है कि दुर्घटना के बाद कई लोगों की पहचान नहीं हो सकी थी. इसके बाद डीएनए जांच की गई थी, जिसमें भी कथित तौर पर अमृताभ की मौत की पुष्टि हुई थी, इसलिए सवाल खड़े हो रहे हैं. डीएनए रिपोर्ट असली या नकली इसलिए जांच की जा रही है. इसके अलावा रेलवे और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी इसमें मिले हुए हैं या नहीं इसकी भी जांच की जा रही है. CBI का अनुमान है कि इसके पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है. जब इस तरह के फर्जी दस्तावेज जमा किए जाते हैं, तो वे आमतौर पर जांच के दौरान पकड़े जाते हैं. तो वे पहले क्यों नहीं पकड़े गए? लेकिन क्या इस पूरी घटना में कोई रेलवे अधिकारी भी शामिल है? सीबीआई इसकी जांच कर रही है.
पड़ोसियों ने दी थी खुलासा करने की सलाह
अमिताभ का परिवार जोड़ाबागान थाना इलाके के 5, गंगा नारायण दत्त लेन नंबर में रहता है. पड़ोसियों के अनुसार हादसे के बाद अमिताभ करीब छह साल तक लापता रहा था. वह इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने बताया था कि उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी थी. सात साल बाद जब वह लौटा तो उसके कई पड़ोसियों को इस अवैध गतिविधि के बारे में पता चला. उन्होंने अमिताभ के पिता को पूरे मामले की रिपोर्ट करने और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की सलाह दी. हालांकि चौधरी परिवार से सलाह नहीं मानी थी. अंत में सीबीआई ने उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.