किसान संगठनों ने बातचीत के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र, कानूनों को खत्म करने की मांग पर कायम
नई दिल्ली| तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 6 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक बार फिर सरकार से बातचीत शुरू करने को कहा है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, जिसमें तीनों कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का अनुरोध किया. सरकार और किसान नेताओं के बीच पिछले 4 महीने में कोई बातचीत नहीं हुई है. किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं.
किसान संगठनों ने एक बयान में कहा, “संयुक्त किसान मोर्चा ने आज प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने को कहा है. इस पत्र में किसान आंदोलन के कई पहलुओं और सरकार के अहंकारी रवैये का जिक्र है. प्रदर्शनकारी किसान नहीं चाहते हैं कि कोई भी महामारी की चपेट में आए. साथ में वे संघर्ष को भी नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला है और आने वाली पीढ़ियों का भी.”
पत्र में कहा गया है, “कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उन तीन कानूनों को निरस्त कर देती, जिन्हें किसानों ने खारिज कर दिया है, जिनके नाम पर ये बनाए गए हैं और मौके का इस्तेमाल सभी किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए करती… दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के मुखिया के रूप में, किसानों के साथ एक गंभीर और ईमानदार बातचीत को फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है.”
पहले हो चुकी है 11 दौर की बातचीत
संयुक्त किसान मोर्चा ने पत्र में यह भी लिखा है कि वे अपनी मुख्य मांगों- तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी बनाने की मांग पर कायम हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच आखिरी बार 22 जनवरी को बातचीत थी. केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे किसान नेताओं ने खारिज कर दिया था.
इस पत्र पर किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह धालीवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहन, शिव कुमार कक्काजी, योगेंद्र यादव और युद्धवीर सिंह के हस्ताक्षर हैं, जो अलग-अलग किसान संगठनों से जुड़ें हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा में किसानों के 40 संगठन शामिल हैं. किसानों और सरकार के बीच पिछले साल दिसंबर और जनवरी 2021 के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन ये बैठकें समस्या को सुलझाने में नाकाम रहीं.
26 नवंबर 2020 से जारी है आंदोलन
संयुक्त किसान मोर्चा ने हाल ही में दिल्ली की सीमाओं पर उनके प्रदर्शन के 6 महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में लोगों से 26 मई को अपने घरों, गाड़ियों और दुकानों पर काले झंडे लगाने की अपील की. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच किसानों ने अपना प्रदर्शन जारी रखा. उन्होंने आंदोलन को खत्म करने से इनकार किया, उनका कहना है ये कानून उनकी जिंदगी का ही सवाल है.
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं (सिंघू, गाजीपुर, टिकरी और अन्य बॉर्डर) पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि ये तीनों कृषि कानून MSP को खत्म करने का रास्ता है और उन्हें मंडियों से दूर कर दिया जाएगा. साथ ही किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा. वहीं सरकार लगातार कह रही है कि एमएसपी और मंडी सिस्टम बनी रहेगी.