VIDEO: स्कूल में लापता शिक्षक, बच्चे अकेले ही कर रहे हैं पढ़ाई… कैसे सफल होगा ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का नारा?
संवाददाता : मिथुन मण्डल
पखांजुर। कांकेर जिले के नक्सलप्रभावित क्षेत्र कन्हारगांव के स्कूल के बच्चे अकेले ही करते है पढ़ाई, मामला है कन्हारगांव स्कूल का जहाँ एक ओर कोरोना महामारी जैसे विषम परिस्थितियों में पूरी दुनिया अस्तव्यस्त हैं बच्चों के पढ़ाई पर भी बहुत असर पड़ा है।
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लगभग साल भर बच्चे स्कूल और पढ़ाई से बंचित रहे वही कोरोना के इस दौर पर शासन द्वारा बच्चों के भविष्य को देखते हुए मोहल्ला क्लास का प्रारंभ किया गया ताकि बच्चों का भविष्य अच्छा हो सके पढ़ाई से बच्चे बंचित न हो ?
वही दूसरी ओर नक्सलप्रभावित क्षेत्र के आदिवासी छात्रा जो अपना भविष्य उज्ज्वल करने स्कूल पहुँच कर पढ़ाई करना चाहते हैं और लगातार स्कूल पहुँच रहे हूं वही शिक्षक स्कूल में आना उचित नहीं समझते? कन्हार गांव के ऐसे 3 बच्चे जो स्कूल के आंगन में पढ़ाई करते दिखे जहाँ स्कूल के पास समशानघाट और सरनाटा छाया हुआ था जिसपर राहगीरों की नज़र पड़ी और जब हमारे द्वारा स्कूल में पहुंच के बच्चों से बात की गई तो पता चला स्कूल में कोई शिक्षक है ही नही चपरासी भी उपस्थित नही है बच्चों का कहना है शिकायत द्वारा सुबह बच्चो पढ़ो बोलकर, बच्चों को छोड़कर चले गए।अब सवाल ये है कि शासन द्वारा बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा बुलंद करने में कोई कसर बाकी नही रखी गई।
वही नक्सलप्रभावित क्षेत्र के बच्चे जो अपना भविष्य तलाशने स्कूल पहुँच कर पढ़ना चाहते है गैरजिम्मेदार शिक्षको द्वारा इस प्रकार का जो रामभरोसे स्कूल को बनाया जा रहा है आखिर जिम्मेदार कौन??? राहगीरों द्वारा वर्तमान शासन पर भी सवाल उठा दिए गया कि आखिर शासन के नियमों का जो धज्जियां उड़ाते दिखाई दे रहा है,शासन इसपर मुखदर्शक बनी क्यो दिखाई दे रही हैं???
नोट- जब हमारे द्वारा शिक्षकों का पता लगाया गया तो एक महासाय घर पर मिले जिनका कहना था कि देर रात शादी कार्यक्रम में रहा तो मै छुट्टी लिया हु, और दूसरे शिक्षक हमे भगवान के कृतन सुनते पाया गया ? अब सवाल ये है कि आखिर स्कूल के बच्चे और स्कूल किसके भरोसे चल रहा था, लेकिन मोहल्ला क्लास की ज़मीनी हकीकत कुछ इस प्रकार है।