पत्रकार की मौत के 5 माह बाद भी नही मिला कोई अनुदान: सरकार, जिला प्रशासन, प्रेस क्लब और समाज से नही मिला कोई सहयोग…परिवार वालों का बुरा हाल, छोड़ा आस… पढ़ें पूरी खबर
संवाददाता: कामिनी साहू
राजनांदगांव : पूरे देश मे कोरोना का कहर बरसाया और ना जाने कितने लोगो को अपने आगोश मे लेकर ढूबी है वही छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले मे बिंदास , बेखाब बिना किसी से डरे नीडर होकर सच को लोगो तक लाने का काम करने वाले और 20 साल से पत्रकारिता जगत मे अपनी कलम का लोहा मनवाने वाले साथ ही राजनांदगांव साहू समाज को अलग पहचान देने वाले पुरन साहू को भी 5 माह पहले कोरोना ने अपने आप मे समा लिया और पुरन साहू ने इस दुनिया को छोड गये। अपने पीछे धर्म पत्नी और तीन छोटे बच्चों को छोड़ चले गये।
वही पत्रकार पुरन साहू के मृत्यु के बाद परिजनों को कोरोना रिपोर्ट पाँजिटिव निकला था और घर पर माँ-बेटी, बेटा सब ने मौत को जीया है लोगो का आना जाना बंद था ऐसे स्थिति मे की पत्रकार के मौत के बाद परिवार वालो को 6 से सात लाख रूपये की आर्थिक सहयोग मिला है। बडे दुर्भाग्य की बात है की संस्कारधानी शहर के नाम से जाना वाला शहर आज वहवाही लूटने के लिए मृत आदमी के नाम का सहारा ले रहे है।
हमने 5 माह बीत जाने के बाद मृतक के पत्नी अंजू साहू से बात कर हलात को जानने की कोशिश की तो आप बीती सुनकर हमारे तो पैरो तले जमीन खिसक गई ,जब पत्रकार पुरन साहू कोरोना पाँजिटिव निकला और ईलाज जिला मेडिकल काँलेज कोविड 19 मे अस्पताल मे भर्ती किया गया लेकिन कलमवीर कोविड के सामने लड नही पाये और हम सब को छोडकर चले गये । पत्रकार जगत मे अपनी लेखनी के जरिए एक अलग पहचान बनाने पत्रकार जगत से कोई आर्थिक सहयोग नही मिला वही जिला साहू समाज को भी अलग मुकाम मे लाकर खडा करने वाले पुरन साहू को समाज भी किसी तरह का सहयोग नही किया है वही राजनीतिक से जुडे कई बडे-बडे जनप्रतिनिधि महानुभाव जिले के साथ प्रदेश के कलमवीर मृतक पूरन साहू के घर उनके धर्म पत्नी और बच्चों से मिले और सहनुभूति दिखाई लेकिन किसी तरह कोई मदद नही की।
बता दें, परिवार किस तरह आगे जीवन व्यापन करेगा किसी ने नही सोचा और ना ही आर्थिक मदद नही की वही मृतक की पत्नी अंजू पूरन साहू पोस्ट ग्रेजुएट है और पूरी तरह जिस पर सरकारी नौकरी देकर परिवार की आर्थिक स्थिति मे मदद करने मे एक अहम पहल कर सकती है फिलहाल संस्कारधानी शहर की दुर्भाग्य की बात है की एक कलमवीर के मृत्यु के 5 माह बीत जाने के बाद भी किसी तरह कोई सहयोग नही मिला जिसके कारण परिवार वालो के मन मे सरकार जिला प्रशासन प्रेस जगत और समाज से सहयोग की आस थी लेकिन किसी से सहयोग नही मिला।
जिस तरह स्वास्थ्य टीम और पुलिस कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का नाम दिया है वही पत्रकार भी इस कोरोना काल मे भी शांत ना बैठकर छोटी सी छोटी और बडी से बडी खबर जिला प्रशासन और सरकार तक पहुचाई और सरकार के जनहित कार्य योजनाओं को आम जनता तक पहुचाने का किया है। पत्रकार बीना किसी भय और इस कोरोना बीमारी से डरे नही और अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करते रहे लेकिन पत्रकार साथी को इस कोरोन काँल ने अपना शिकार बनाया तो सरकार हम पत्रकारों पर ध्यान नही दिया।
राजनांदगांव जिले के पत्रकार या पूरे पत्रकार जगत की बात करे तो यह एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है की जो पत्रकार आम जनता और जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन ,स्वास्थ्य ,शिक्षा जनहित और सरकार की योजनाओं की खबर से एक दूसरे को अवगत कराते आ रही है और आगे भी करते रहेगा लेकिन इस बीच कलमवीर का दुर्घटना ग्रस्त हो जाता है तो परिवार की आर्थिक मासिक हलात खराब हो जाती है और संभालने वाला कोई नही रहता।
इस स्थिति मे पत्रकार का परिवार टूट जाता है ऐसे मे जिले के साथ प्रदेश के पत्रकारों को एक होकर एक आवाज बनकर ऐसी हालत मे पत्रकार के परिवार को आर्थिक सहयाता देने की पहल की ओर कदम उठना जरुरी है और सरकार के ओर से भी सहायता करनी चाहिए फिलहाल जिसकी ऊपर दुखो का पहाड टूटता है। फिलहाल अंजू पूरन साहू आज दुख को अपना साथी बनाकर चट्टान की तरह खडे होकर अपने तीनो बच्चों के पालन.पोषण करने के लिए एक आत्मविश्वास के साथ खडी है और अब किसी तरह सहयोग की आस को छोड चुकी है।