अगले सप्ताह शुरू हो जाएगी सेना पीछे हटाने की प्रक्रिया
नई दिल्ली: चीन अपनी बात पर कायम रहा तो दिवाली के तुरंत बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने की तीन चरण वाली प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाके में नवंबर के आखिर तक सामान्य स्थिति बहाल करने का लक्ष्य है। अगर चीन कोई चालबाजी करता भी है तो भारतीय सेना प्लान बी का इस्तेमाल करेगी। भारत के रणनीतिकार पैंगोंग झील के दक्षिण में मानसरोवर क्षेत्र और सामरिक तौर पर अति महत्वपूर्ण डेपसांग को लेकर चीनी पैंतरेबाजी के प्रति आशंकित हैं।
सूत्रों के मुताबिक चीन पहले चरण में टैंक और बख्तरबंद दस्ता हटाने के बाद झील के उत्तरी किनारे से हट कर फिंगर-8 के अपने पुराने ठिकाने पर जाने को तैयार है, लेकिन उसकी असल नजर पैंगोंग के दक्षिणी भाग के मानसरोवर इलाकेपर है जहां अगस्त से भारत की स्थिति काफी मजबूत है। सूत्रों ने बताया, चीन पैंगोंग में मामले को उलझाकर डेपसांग पर तोल-मोल करने पर तुला है। डेपसांग पर अलग बात करने की पेशकश कर रहा है। लद्दाख के उत्तरी पूर्वी इलाके के डेपसांग प्लेन में चीन 2013 से उकसावे की हरकत कर रहा है।
अप्रैल-मई में चीन सेना डेपसांग के वाई जंकशन पर आकर बैठी है जो भारत की ओर एलएसी के करीब आठ किलोमीटर भीतर है। सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण वाई जंक्शन पर चीन की मौजूदगी से भारतीय सेना पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-10,11,11ए और 12 तक नहीं जा पा रही। वाई जंक्शन से चीनी सेना भारत के अहम सैन्य ठिकाने दौलत बेग ओल्डी (डीओबी)को जाने वाले रास्ते पर आसानी से नजर रख रहा है। जंग की स्थिति में यह सामरिक स्थिति सेना के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।