आज से लागू हुए तीन नए आपराधिक क़ानून, जानिए क्या-क्या बदल गया
तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता एक जुलाई यानी सोमवार से देश में हो लागू हो गए हैं.
इस विधेयक को बीते साल संसद के दोनों सदनों में ध्वनिमत से पारित किया गया था.
इस विधेयक को दोनों सदनों से पास करते समय सिर्फ़ पाँच घंटे की बहस की गई थी और ये वो समय था जब संसद से विपक्ष के 140 से अधिक सांसद निलंबित कर दिए गए थे.
उस समय विपक्ष और क़ानून के जानकारों ने कहा था कि जो क़ानून देश की न्याय व्यवस्था को बदल कर रख देगा, उस पर संसद में मुकम्मल बहस होनी चाहिए थी.
सोमवार से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ले चुके हैं.
नए भारतीय न्याय संहिता में नए अपराधों को शामिल गया है. जैसे- शादी का वादा कर धोखा देने के मामले में 10 साल तक की जेल. नस्ल, जाति- समुदाय, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा, छिनैती के लिए तीन साल तक की जेल.
यूएपीए जैसे आतंकवाद-रोधी क़ानूनों को भी इसमें शामिल किया गया है.
एक जुलाई की रात 12 बजे से देश भर के 650 से ज़्यादा ज़िला न्यायालयों और 16,000 पुलिस थानों को ये नई व्यवस्था अपनानी है. अब से संज्ञेय अपराधों को सीआरपीसी की धारा 154 के बजाय बीएनएसएस की धारा 173 के तहत दर्ज किया जाएगा.