December 25, 2024

Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ की इस सीट पर क्षेत्रीय दल बिगाड़ते हैं भाजपा-कांग्रेस का समीकरण, जानिए यहां का सियासी गणित

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Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ के पांच लोकसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के प्रतिबद्ध मतदाताओं की संख्या अधिकतम है। बिलासपुर, जांजगीर, कोरबा व दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव है।

Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ के पांच लोकसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के प्रतिबद्ध मतदाताओं की संख्या अधिकतम है। बिलासपुर, जांजगीर, कोरबा व दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इनकी प्रभावी उपस्थिति के चलते भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों की राजनीतिक संभावनाओं के साथ ही समीकरण भी बिगड़ते देखा गया है।

खासकर लोकसभा चुनाव के दौरान इनकी मौजूदगी का असर भी दिखाई देता है। बसपा के प्रतिबद्ध मतदाताओं के वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर दोनों दलों के रणनीतिकार मशक्कत करते भी नजर आते हैं। मध्य छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आने वाले लोकसभा क्षेत्रों में बसपा राजनीतिक प्रभाव समय-समय पर दिखाई देता है। बसपा प्रत्याशी प्रतिबद्ध मतदाताओं और कार्यकर्ताओं के दम पर अपनी प्रभावी उपस्थिति का अहसास कराते रहते हैं।

छत्‍तीसगढ़ में बसपा का यहां अच्छा खासा प्रभाव

अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में बसपा का जन्म अविभाजित जांजगीर जिले से हुआ है। अविभाजित जांजगीर जिले के अंतर्गत आने वाले कोरबा में काशीराम ने बसपा की स्थापना की। कोरबा तब बसपा का संगठन मुख्यालय हुआ करता था। यही कारण है कि समूचे जांजगीर-चांपा व कोरबा जिले के कोरबा, कटघोरा व रामपुर विधानसभा क्षेत्र के साथ मस्तूरी, बिल्हा, तखतपुर, लोरमी विधानसभा और नवागढ़ विधानसभा सीट पर बसपा का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिलता है।

वर्ष 2009 से 2019 के बीच हुए लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को मिले वोट के आंकड़े पर नजर डालें तो 21 से 27 हजार के बीच वोट शेयर अकेले बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में करते रहे हैं। इसी तरह की स्थिति कोरबा क्षेत्र के तीन विधानसभा सीटों में भी नजर आती है। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नवागढ़ विधानसभा क्षेत्र जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है, बसपा का जोर दिखाई देता है। विधानसभा चुनाव में करीब 15 हजार वोट बसपा ने हासिल किया था।

जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में खेल बिगाड़ सकती है बसपा

बसपा की राजनीति का केंद्र बिंदु जांजगीर-चांपा जिले को कहा जा सकता है। जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में आते हैं पामगढ़,जैजैपुर,चंद्रपुर। ये ऐसी विधानसभा सीट है, जहां से बसपा के विधायक लंबे समय से काबिज रहे हैं। बसपा के प्रदेशाध्यक्ष दाऊराम रत्नाकर 15 वर्ष तक पामगढ़ से विधायक रहे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा की इंदू बंजारे विधायक रहीं। जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2013 व 2018 में केशव चंद्रा विधायक रहे।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बीच सीटों का समझौता हुआ। स्व जोगी की बहु ऋचा जोगी बसपा उम्मीदवार के रूप में अकलतरा विधानसभा से चुनाव लड़ी। 1800 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव हारी थी। चंद्रपुर विधानसभा सीट पर भी बसपा का प्रभाव रहा है।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने रामकुमार यादव को चुनाव मैदान में उतारा था। जीत दर्ज की। 2013 का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार की हैसियत से लड़े चुनाव जीतने में सफल रहे। वर्तमान में रामकुमार यादव चंद्रपुर से कांग्रेस के विधायक हैं।

विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में बसपा के वोटों का तेजी के साथ ध्रुवीकरण हुआ। इसका सीधा फायदा कांग्रेस के उम्मीदवारों को हुआ। ध्रुवीकरण का असर ऐसा कि भाजपा यहां क्लीन स्वीप हो गई।

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