केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- ‘CAA से किसी को डरने की जरूरत नहीं’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) की अधिसूचना को लेकर एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि सीएए से इस देश के अल्पसंख्यकों या फिर किसी दूसरे व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए में किसी भी नागरिकता लेने का प्रावधान है ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि CAA सिर्फ और सिर्फ तीन देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन शरणार्थी आए हैं उनको उनका अधिकार देने का कानून है। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि सीएए कानून कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा। हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना, ये भारत का विषय है, ये भारत की सम्प्रभुता का निर्णय है और इससे कभी समझौता नहीं किया जा सकता।
विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर वोट बैंक को मजबूत करना चाहता है
इसके अलावा गृहमंत्री ने CAA की टाइमिंग पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल पर कहा, सारे विपक्षी दल झूठ की राजनीति कर रहे हैं। इसलिए टाइमिंग का महत्व है ही नहीं। विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर वोट बैंक को मजबूत करना चाहता है।
गृहमंत्री ने कहा मुसलमानों को भी नागरिकता लेने के लिए आवेदन करने का पूरा अधिकार है। भारत सरकार, भारत की सुरक्षा और भारत की बाकी सभी चीजों को देखते हुए उसका निर्णय करेगी।
गृहमंत्री ने कहा यह स्पेशल एक्ट इसलिए बनाया गया है कि ये किसी भी वैध डॉक्यूमेंट के बगैर शरण में आ गए हैं। गृहमंत्री ने आगे जोड़ते हुए कहा वे सभी लोग जिन्होंने 15 अगस्त 1947 और 31 दिसंबर 2014 के बीच भारत में प्रवेश किया है उनका यहां स्वागत है।
NRC का CAA से कोई लेना देना नहीं
केंद्रीय गृहमंत्री ने यह भी बताया कि NRC और CAA इन दोनों का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर्फ नॉर्थ-ईस्ट के वो राज्य जहां पर दो तरह के विशेष अधिकार दिए गए हैं उन्हीं इलाकों में ये CAA लागू नहीं होगा। इनमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां पर पहुंचने के लिए इनर लाइन परमिट जरूरी होता है और वे क्षेत्र जिन्हें संविधान की छठवीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है।
क्या है सीएए-नागरिकता (संशोधन) कानून ?
सीएए-नागरिकता (संशोधन) कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता का प्रावधान है। साथ ही लंबे समय से जो भारत में शरण लेने वाले हैं उनको इस अधिनियम के चलते जिसे लागू कर दिया गया है, उससे बड़ी राहत मिलेगी।
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे, लेकिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई और फिर यह कानून बना। इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था।
सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन होगा जिसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत आए थे। आवेदन करने के पश्चात् गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा। आवेदक को फिर नागरिकता प्रदान की जाएगी।
सीएए नेहरू-लियाकत समझौते, 1950 की भावना के अनुसार है, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों को कुछ सुरक्षा और अधिकार प्रदान करने की मांग की गई थी। वहीं 2016 में सीएए पेश किया गया था जिसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था, ये बदलाव थे कि भारत के तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना।
12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिसंबर 2021 में बताया कि वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 के दौरान पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए कुल 3117 अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी गई। हालांकि आवेदन 8,244 मिले थे।
गृह मंत्रालय की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2021 में कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे छीन नहीं सकता।