स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का छलका दर्द, कहा- राहुल गांधी के दौरे से पहले बदनाम करने की हो रही साजिश, जानिए और क्या कहा…
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर आए दिन कोई ना कोई आरोप लग रहा है.
रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर आए दिन कोई ना कोई आरोप लग रहा है. इससे पहले उनके पार्टी के ही विधायक ने उन पर बड़ा आरोप लगाया था कि उन्हें इनसे जान का खतरा है और उसके बाद आप फिर से एक नया आरोप लगाया जा रहा है. जिस पर मंत्री टीएस सिंहदेव ने आज मीडिया से चर्चा कर आरोपों को लेकर जवाब दिया है.
मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि राहुल गांधी आ रहे हैं. टी एस बाबा को नीचा दिखाना है और कोई ना कोई षड्यंत्र करना है. टीएस बाबा ने जान से मारने की कोशिश की वो बात नहीं चली तो ये नया चीज छोड़ो. छत्तीसगढ़ के लोगों के सामने जमीन की कोई विपरीत प्रभाव पड़े. यह प्रयास कर लोग राहुल गांधी जी के यहां बात पहुंचे, शायद कुछ हो जाए, ये प्रयास करो… तो यही हो रहा है।
जोड़-तोड़ की राजनीति से राजनीति में कभी नहीं टीका और ना मेरी रुचि रही मैं राजनीति में रहा लोगों की सद्भावना के आधार पे और उस सद्भावना को प्रभावित करने का यह सब प्रयास है मेरे को कोई सफाई कहीं और से नहीं चाहिए लोगों के मन में यह जब तक भाव है कि आदमी ठीक-ठाक है. यह आदमी ऐसा नहीं है तो मेरे लिए वह सब कुछ वही है.
मंत्री टीएस सिंहदेव के ऊपर बीजेपी नेता ने आरोप लगाया है जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री सिंहदेव ने कहा है कि या एक आरोप है और दुर्भाग्य है कि प्रजातंत्र एक स्वरूप है कि कोई कुछ भी बोल सकता है ठीक है नियम है कानून है मानहानि के दावे हो सकते हैं किंतु दुर्भाग्य है कि पहले कहकर एक गलत प्रकार का वातावरण बनाने का लोग प्रयास करते हैं मैं इसे उसी सांगला के बाद देख रहा हूं जो किसी से कहलवाया गया था कि उनको मेरे से जान का खतरा है. यह वही सोच के लोग हैं जो राहुल गांधी जी के आने के ठीक पहले एक और प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह से राहुल गांधी के सामने छत्तीसगढ़ के नागरिकों के सामने मेरी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़े वरना मेरे पास कोई सासनी संपत्ति नहीं है जिसका मैंने कब्जा किया है और बाप-दादा उसे भी यही सीख मिली जितना है उतना में रहना सीखो और राज परिवार के थे तो ऐसा भी नहीं था कि कमी है जमीन जायदाद भारत सरकार के साथ जो समझौते हुए थे उसके अनुरूप उतनी थी. अब यदि प्रयास कर रहे हैं कि केवल संपत्ति बेच बेच कर ही काम ना चलाएं कुछ काम भी करें, कुछ बिजनेस में भी भाग ले सकें। ताकि आने वाले समय में जो परिवार है वो बेच-बेच के एक सीमा होती है कि कबतक काम चलाएगा यही हम लोगों की जीवन शैली अभी तक रही है. कुछ लोगों को तकलीफ होती है कि ये स्वावलंबी ना हो जाए. अपने संपत्तियों का उपयोग करके कहीं आर्थिक रूप से स्थिर हो गए तो और इनकी कमजोरी दूर हो जाएगी और हम लोग का परिवार नाम भर के लिए राजा महाराजा के परिवार से हैं आर्थिक स्थिति हमलोग की कभी सुदृढ़ नहीं रही.
वो अलग बात है जो मिला विरासत में वो बहुत है. नाम मिला उससे ज्यादा क्या हो सकता है और उसके बाद हमेशा यही प्रयास किया है कि अपनी जितनी चादर है उतने में ही पांव फैलाएं और कहीं कोई ऐसी बातें उठाते हैं तो सारे दस्तावेज उपलब्ध हैं. आप देख सकते हैं. इन्वेंटरी क्या होती है, लोगों को तो मालूम ही नहीं है. राजाओं के जब राज गए तो किस प्रकार की संधिया हुई. उस पर भी लोगों ने टिप्पणी कर दी की संधि बदल दी. उनको यही नहीं मालूम है. की संधि के बदलने की बात नहीं है संपत्तियों को लेकर जो पत्राचार चलता रहा. ये 1960 के दशक तक चलता रहा. हमने कहा कि हमको यह दे दीजिए सरकार ने कहा कि हम ये नहीं देंगे फिर हमारे तरफ से कहा गया कि ऐसा नहीं ऐसा विचार कर लीजिए, उन्होंने कहा अच्छा ठीक है, ये तो कब से चलता रहा…..।