December 23, 2024

डोंगरगांव पुलिस और और तहसील कार्यालय ने खेला एक खेल, पत्रकारों को विश्वास में लेकर शिनाख्ती को बनाया तमाशा

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राजनांदगाँव जिले के डोंगरगांव थाना क्षेत्र के जामसरार में अवैध रूप से रेत खनन कर रहे रेत माफियो के खिलाफ खबर कवरेज करने गए

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रिपोर्टर-कामिनी साहू

राजनांदगाँव। राजनांदगाँव जिले के डोंगरगांव थाना क्षेत्र के जामसरार में अवैध रूप से रेत खनन कर रहे रेत माफियो के खिलाफ खबर कवरेज करने गए पत्रकारों पर जानलेवा हमला करने और स्थानीय राजनितिक दलों और पुलिस प्रशासन से साठगांठ कर पत्रकारों पर उल्टा काऊंटर केस बनाया जो अब न्यायिक प्रक्रिया में है वही इसी मामले में पत्रकारों के खिलाफ रेत माफिया के सदस्य दीपक बनोटे को प्राथी बनाया है जिस पर शिनाख्ती की प्रक्रिया डोंगरगांव पुलिस को करवाने थी लेकिन जिस दिन रेत माफिया के द्वारा घटना के दूसरे दिन डोंगरगांव थाने को अपने कब्जे में रखा था जिससे पत्रकार भयभीत थे और शक था की अगर डोंगरगांव में शिनाख्ती होती है तो फिर रेत माफिया पुलिस प्रशासन पर हावी होंगे इसलिए पत्रकारों ने डोंगरगांव छोड कही दूसरे स्थान पर शिनाख्ती की प्रक्रिया हो जिससे पत्रकारों को जान मान का नुकसान ना हो इसलिए पत्रकारों ने पुलिस अधीक्षक राजनांदगाँव को लेटर देकर मांग की थी लेकिन डोंगरगांव पुलिस ने पत्रकारों को विश्वास में लेकर डोंगरगांव में ही शिनाख्ती करवाने के लिए राजी कर लिया लेकिन पहले की तरह इस बार भी पत्रकारों को मिला धोखा ।

शिनाख्ती की प्रक्रिया होने से पहले पत्रकारों को पहचान करने आये रेत माफिया के एक सदस्य दीपक बनोटे सहित डोंगरगांव के लगभग और पत्रकारों से मारपीट के मुख्य आरोपी सभी डोंगरगांव तहसील कार्यालय में मौजूद थे और तहसीलदार के आफिस बाहर खडे रहे।

वही पुलिस पहचानकर्ता दीपक बनोटे के सामने पहचान के लिए आये पत्रकारों को उसी के सामने से तहसीलदार के आफिस के अंदर ले जाएगा साथ ही जिनको पहचानना है उसके साथ पुलिस ने दो लोगों वही साथ खडा किया ताकि पहचानकर्ता पत्रकारों को आसानी पहचान सके उसी तरह एक महिला पत्रकार की भी पहचान करवानी थी लेकिन उसके साथ भी खडा करने के लिए डोगरगाव पुलिस कोई अन्य लडकी नही बुलाये थे और पहचानकर्ता दीपक बनोटे सहित के सामने तहसील कार्यालय में काम से आये दो लडकियों को जो महिला पत्रकार से लम्बाई में एक छोटी और एक बडी थी जिससे पहचानकर्ता महिला पत्रकार को आसानी से पहचान सके । डोंगरगांव पुलिस शिनाख्ती की प्रक्रिया के समय किसी तरह की कोई प्रावेशी नही रखी शिनाख्ती के लिए आये रेत माफियाओ को तहसील कार्यालय में घूमने की दी थी पूरी छूट ताकि पत्रकारों को पहचानकर्ता दीपक बनोटे पहचान सके ।

जिस तरह डोंगरगांव पुलिस ने शिनाख्ती की प्रक्रिया के समय पहचानकर्ता के साथ साथ रेत माफियाओ को तहसील कार्यालयके अंदर घूमने की इजाजत दी रखी थी ये एक बडा सवाल खडा करता है की डोंगरगांव पुलिस की मंशा क्या थी?

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