सीएम बघेल ने प्रदेश के युवाओं से की चर्चा, ढाई वर्ष के कामकाज की जानकारी दी प्रदेशवासियों
रायपुर। सूबे के मुखिया सीएम भूपेश बघेल ने लोकवाणी की 20वीं कड़ी में आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत करते हुए सबसे पहले छत्तीसगढ़ी में प्रदेशवासियों को पारंपरिक हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी।
रायपुर। सूबे के मुखिया सीएम भूपेश बघेल (CM BHUPESH BAGHEL) ने लोकवाणी की 20वीं कड़ी में आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत करते हुए सबसे पहले छत्तीसगढ़ी में प्रदेशवासियों को पारंपरिक हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी।
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार हरेली साल का पहला त्यौहार है। इस दिन अपने गांव-घर, गौठान को लीप-पोत कर तैयार किया जाता है। गौमाता की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढिय़ा भावना को ध्यान में रखते हुए हरेली सहित पांच त्यौहारों में सरकारी छुट्टी घोषित की गई है। सीएम बघेल ने प्रदेशवासियों को अगस्त माह में आने वाले त्यौहार हरेली, नागपंचमी, राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, ओणम, राखी, कमरछठ और कृष्ण जन्माष्टमी की भी बधाई दी।
29 नई तहसीलों और 4 अनुविभागों का गठन
मुख्यमंत्री ने कोरिया जिले के सतीश उपाध्याय, बालोद जिले के युवा विनय कुमार मरकाम और बस्तर अंचल के दरभा के रहने वाले सोमनाथ से हुई बातचीत का उत्तर देते हुए कहा, कि हमने ढाई वर्षों में 29 नई तहसीलें और 4 नए अनुविभाग गठित किए हैं। उनमें से अधिकतर आदिवासी अंचल में ही हैं। कोरिया जिले में पटना के साथ चिरमिरी और केल्हारी तहसीलें भी गठित की गई हैं।
इसके अलावा कबीरधाम जिले में रेंगाखार-कला, सरगुजा जिले में दरिमा, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में रामचंद्रपुर, सामरी, सूरजपुर जिले में लटोरी, बिहारपुर, जशपुर जिले में सन्ना और सुकमा जिले में गादीरास आदि प्रमुख हैं। इसी तरह चार नवीन अनुविभागों में दंतेवाड़ा का बड़े बचेली और बस्तर का लोहंडीगुड़ा शामिल है। बरसों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए गौरेला – पेण्ड्रा – मरवाही को जिला ही नहीं बनाया गया बल्कि आदिवासी बहुल आबादी वाले इस क्षेत्र को उनका हक भी दिया गया।
हमारा यह मानना है कि नई प्रशासनिक इकाईयों के गठन से लोगों को अपनी भूमि, खेती-किसानी से संबंधित काम, बच्चों की पढ़ाई, नौकरी या रोजगार से संबंधित कामों के लिए आसानी होगी। सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होगा।
52 वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी
मुख्यमंत्री (CM BHUPESH BAGHEL) ने ग्राम पंचायत चेरपाल की यशोदा पुजारी, सुकमा जिले के पोलमपल्ली निवासी अजय बघेल और कबीरधाम जिले के दयाल सिंह बैगा के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन से हमें लगा था कि आदिवासी अंचलों और शेष क्षेत्रों के बीच विकास का अंतर दूर कर लिया जाएगा। विगत वर्षों में यह अंतर और भी अधिक बढ़ गया है। इसलिए हमने सबसे पहले विश्वास जीतने की बात की।
1637 करोड़ रूपए की लागत से बनी सड़के
सीएम ने कहा, कि प्रदेश में 16 हजार करोड़ रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। जिससे हमारे आदिवासी अंचलों को सैकड़ों ऐसी सड़कें मिलेंगी, जिनका इंतजार वे दशकों से कर रहे थे। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क बहाल करने के लिए हम 1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से सड़कें बना रहे हैं। आदिवासी अंचलों में बिजली की सुविधा देने के लिए अति उच्च दाब के चार वृहद उपकेन्द्र का निर्माण पूरा कर लिया गया है। नारायणपुर, जगदलपुर, बीजापुर और सूरजपुर जिले के उदयपुर में ये उपकेन्द्र प्रारंभ हो जाने से बिजली आपूर्ति सुचारू हो गई है।
14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति
सीएम बघेल ने बताया कि शिक्षा के लिए हमने संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया। जिसके कारण सुकमा जिले के जगरगुंडा में 13 वर्षों से बंद स्कूल बीते साल खुल चुका है। कुन्ना में स्कूल भवन का पुर्ननिर्माण तथा दंतेवाड़ा जिले के मासापारा-भांसी में भी 6 सालों से बंद स्कूल अब खुल गया है।
कोरोना काल में पढ़ाई तुंहर पारा अभियान के तहत लाखों बच्चों को उनके गांव-घर-मोहल्लों में खुले स्थानों पर भी पढ़ाया गया। प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में समझाना अधिक आसान होता है इसलिए हमने 20 स्थानीय बोली-भाषाओं में पुस्तकें छपवाईं, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में मिला। बीस साल बाद प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति आदेश दे दिए गए हैं। इससे आदिवासी अंचलों में भी शिक्षकों की कमी स्थायी रूप से दूर हो जाएगी।