December 23, 2024

जैसे को तैसा…. पैंगोंग झील के उत्तर में चीन की चाल देख दक्षिण में भारत ने ले ली पोजिशन

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जैसे को तैसा…. पैंगोंग झील के उत्तर में चीन की चाल देख दक्षिण में भारत ने ले ली पोजिशन

नई दिल्ली
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो के आसपास स्थित सभी ‘रणनीतिक बिंदुओं’ पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दी है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि भारतीय सेना ने ऐसा पैंगोंग सो क्षेत्र में ‘एकतरफा’ यथास्थिति बदलने के चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के असफल प्रयास के बाद किया। सूत्रों ने कहा कि सेना ने साथ ही पैंगोंग सो के दक्षिणी तट पर एक क्षेत्र पर अतिक्रमण करने के चीन की ताजा कोशिश को नाकाम करने के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे सभी क्षेत्रों में समग्र निगरानी तंत्र को और मजबूत किया गया है। इस बीच एलएसी पर जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सोमवार को चुशूल में ब्रिगेड कमांडर लेवल की मीटिंग हुई। मंगलवार को फिर बातचीत होगी।

पैंगोंग सो इलाके में रणनीतिक रूप से अहम कुछ पॉइंट्स पर भारतीय सेना पहले ही चीन के मुकाबले अडवांस पोजिशन में तैनात थी। यही वजह है कि जब 2 दिन पहले चीन ने भारतीय इलाके में घुसपैठ की हिमाकत की तो बिना कोई समय गंवाए सेना ने उन्हें खदेड़ते हुए उनके नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। अब चीन की ताजा हिमाकत के बाद भारत ने अपनी तैनाती और मजबूत की है।

भारत के सैनिक अब पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर ऊंचाई पर भी तैनात हैं, जिससे वह चीन के मुकाबले अडवांस पोजिशन में हैं। सूत्रों के मुताबिक जब चीन की घुसपैठ की कोशिश की खबर लगी तो भारतीय सैनिक अहम जगहों पर पहले ही पहुंच गए और उन पॉइंट्स पर अपनी स्थिति ज्यादा मजबूत कर ली जिस पर दोनों देश अपना होने का दावा करते हैं। अगर हम नॉर्थ बैंक को देखें यानी फिंगर एरिया को तो वहां चीनी सैनिक फिंगर- 4 की चोटी पर बैठे हैं और हाइट का फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं। अब साउथ बैंक में भारतीय सैनिकों ने वही किया है और ऊंचाई पर तैनाती कर डट गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक पैंगोंग इलाके में भारत ने हाल ही में एक स्पेशल ऑपरेशन बटालियन की तैनाती की थी। सूत्रों ने बताया, ‘भारतीय सेना के जवानों ने ऊंचाई वाले इलाकों पर तैनाती मजबूत की है जिसमें थाकुंग के नजदीक पैंगोंग सो के दक्षिणी हिस्से में स्पेशल ऑपरेशंस बटालियन की तैनाती भी शामिल है। ऊंचाई की वजह से भारतीय पक्ष को रणनीतिक फायदा मिला है जिस वजह से झील के दक्षिणी किनारे और उसके आस-पास के इलाकों पर नियंत्रण की क्षमता देता है।’

इससे पहले सोमवार को दिन में सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि चीन की सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात ‘एकतरफा’ तरीके से पैंगोंग सो के दक्षिणी तट पर यथास्थिति बदलने के लिए ‘उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि’ की लेकिन भारतीय सैनिकों ने उनकी कोशिश को नाकाम कर दिया। सूत्रों ने कहा कि शीर्ष सैन्य एवं रक्षा अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में पूरी स्थिति की समीक्षा की है। साथ ही सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने ताजा टकराव को लेकर शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की। एक सूत्र ने कहा, ‘सेना ने पैंगोंग सो क्षेत्र में स्थित सभी रणनीतिक बिंदुओं पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती को मजबूती प्रदान की है।’

सूत्रों ने कहा कि खासी संख्या में चीनी सैनिक पैंगोंग सो के दक्षिणी तट की ओर बढ़ रहे थे जिसका उद्देश्य उस क्षेत्र पर अतिक्रमण करना था लेकिन भारतीय सेना ने प्रयास को नाकाम करने के लिए एक महत्वपूर्ण तैनाती कर दी। सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना से भी कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में चीन की वायु गतिविधियां बढ़ने के मद्देनजर अपनी निगरानी बढ़ाए। ऐसी रिपोर्ट है कि चीन ने लंबी दूरी के लड़ाकू विमान जे-20 और कई अन्य दूसरी युद्धक सामग्रियों को रणनीतिक रूप से स्थित होतान एयरबेस पर तैनात किया है जो पूर्वी लद्दाख से करीब 310 किलोमीटर दूर स्थित है।

पिछले तीन महीनों में, भारतीय वायुसेना ने अपने सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई-30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमान पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती एयरबेस और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अन्य स्थानों पर तैनात किए हैं। भारतीय वायुसेना ने चीन को एक तरह से यह स्पष्ट संदेश देने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवाई गश्त कर रही है कि वह पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। भारतीय वायुसेना ने साथ ही पूर्वी लद्दाख में अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ अलग-अलग अग्रिम स्थानों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए चिनूक हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टरों को भी तैनात किया है।

चीन ने पैंगोंग सो क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने की जो ताजा कोशिश की है वह 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद क्षेत्र में पहली बड़ी घटना है जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। उस झड़प में चीन के सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन पेइचिंग ने यह सार्वजनिक तौर पर नहीं बताया कि इसमें उसके कितने सैनिक हताहत हुए थे। हालांकि अमेरिकी गुप्तचर रिपोर्ट के अनुसार इसमें चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। भारत और चीन ने पिछले ढाई महीनों में कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के समाधान के लिए कोई अहम प्रगति नहीं हुई।

पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के तरीकों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलिफोन पर हुई बातचीत के एक दिन बाद 6 जुलाई को दोनों पक्षों ने पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, जुलाई के मध्य से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। पीएलए गलवान घाटी और कुछ अन्य टकराव के बिंदुओं से पीछे हट गई है लेकिन पैंगोंग सो, देपसांग और कुछ अन्य क्षेत्रों से उसके सैनिकों के पीछे हटने में कोई प्रगति नहीं हुई है। कोर कमांडर स्तर की बातचीत के पांच दौर में भारतीय पक्ष ने चीनी सैनिकों के जल्द से जल्द पूरी तरह से पीछे हटने और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले की स्थिति बहाली पर जोर दिया था। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध 5 मई को पैंगोंग सो क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। पैंगोंग सो की घटना के बाद 9 मई को उत्तर सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी। झड़प से पहले दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सीमा मुद्दे का हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बरकरार रखना जरूरी है।
(भाषा और एएनआई से भी इनपुट)

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