जिला पंचायत चुनाव: भाजपा ने लहराया जीत का परचम, 75 में से 67 सीटों पर
यूपी(UP)। शनिवार को हुए यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव(UP district panchayat president election) के परिणाम घोषित हो चुके हैं। जिसमें भाजपा(BJP) ने अपनी जीत का परचम लहराया है। भाजपा ने चुनाव में रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। भाजपा ने चुनाव में 75 में से 67 सीटों पर अपना कब्जा जमाया है।वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष के पिछले चुनाव में 63 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी(SP) महज पांच जिलों में ही सिमटकर रह गई। वहीं, कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकीं। वहीं बसपा(BSP) ने इस चुनाव में हिस्सा ही नहीं लिया। वहीं चुनाव के दौरान लखनऊ, बलिया, प्रतापगढ़, संतकबीरनगर, अयोध्या में विवाद की स्थिति बनी और सपाइयों ने हंगामा किया। पुलिस ने उन पर काबू पाया।
22 सीटों पर हुआ निर्विरोध निर्वाचन
बता दे कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में 22 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। शनिवार को 53 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 46, सपा ने 4 सीटें जीतीं। रालोद, जनसत्ता दल व निर्दलीय ने एक-एक जिलों में जीत दर्ज की।राजधानी लखनऊ में भाजपा की आरती रावत अध्यक्ष निर्वाचित हुई। बाराबंकी, अयोध्या, रायबरेली व अमेठी में भी भाजपा का कब्जा रहा। सपा को एटा, इटावा, आजमगढ़, संतकबीर नगर और बलिया में जीत मिली। बागपत में सपा के सहयोगी रालोद की उम्मीदवार ममता जयकिशोर निर्वाचित हुई हैं। जौनपुर में बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी डॉ. श्रीकला रेड्डी और प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल की माधुरी पटेल अध्यक्ष निर्वाचित हुई है।बता दें कि भाजपा ने सपा के वर्ष 2016 में 63 सीटों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए ये जीत हासिल की। सरकार व संगठन की साझा रणनीति से भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
सपा की हार का कारण
सपा के पुराने रणनीतिकारों की मानें तो दिग्गजों की कमी भी हार की बड़ी वजह बनी। पार्टी में यह परिपाटी रही है कि जिलेवार किसी न किसी पुराने नेता को जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। ऐसे नेता चुनावी प्रबंधन के धनबल, बाहुबल से लेकर हर फन में माहिर होते थे। इसके लिए पार्टी पहले से ही हर जिले में एक चेहरा रखती रही है। नए जमाने की सपा में इसका अभाव दिखता है। दूसरी तरफ पार्टी का प्रदेश नेतृत्व खुलकर मैदान में नहीं उतरा। सपा के 51 विधान परिषद सदस्य और 49 विधानसभा सदस्य हैं। ये सदस्य भी जिलों में करिश्मा नहीं दिखा पाए।