स्पूतनिक-वी की 85 करोड़ डोज का देश में होगा प्रोडक्शन
नई दिल्ली| कोरोना वायरस की घातक लहर में सरकार वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। हालांकि, वैक्सीन की सीमित संख्या में उपलब्धता इसमें बाधा पहुंचा रही है, लेकिन अब तीसरी वैक्सीन स्पूतनिक-वी के इस्तेमाल शुरू होने के बाद कुछ हद तक जल्द ही यह कमी दूर हो सकती है। रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने शनिवार को बताया है कि अगस्त तक भारत में स्थानीय स्तर पर स्पूतनिक-वी का प्रोडक्शन की शुरुआत हो जाएगी। वहीं, मई के आखिर में भारत को रूस 30 लाख और स्पूतनिक के डोज मुहैया करवाने वाला है। देश में कुल 85 करोड़ वैक्सीन की डोज का प्रोडक्शन किया जाएगा। वर्मा ने कहा, ”भारत को अभी तक डेढ़ लाख और 60 हजार स्पूतनिक की डोज की सप्लाई की जा चुकी है। मई के अंत तक, तकरीबन 30 लाख डोज और भेजी जाएंगी। जून महीने में यह बढ़कर 50 लाख होने की उम्मीद है। साथ ही अगस्त तक भारत में स्थानीय स्तर पर रूसी वैक्सीन का प्रोडक्शन भी शुरू हो जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान प्लान के अनुसार, भारत में स्पूतनिक-वी की कुल 85 करोड़ डोज का प्रोडक्शन किया जाना है।
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में कहीं भी बनाई गई स्पूतनिक-वी वैक्सीन का 65-70 फीसदी भारत से ही होगा। इसे चरणबद्ध तरीके से उत्पादन और परिवहन के जरिए हासिल किया जाएगा। स्पूतनिक-वी को तीन चरणों में भारत पहुंचाया जा रहा है – डायरेक्ट एक्सपोर्ट, फिल एंड फिनिश मोड और फुल प्रोडक्शन के लिए भारतीय कंपनियों को टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर। फिल एंड फिनिश मोड से मतलब भारत में भरी जा रहीं वैक्सीन की शीशियों से है। वर्मा ने आगे कहा कि इन सभी को मिलाकर कुल 85 करोड़ वैक्सीन का प्रोडक्शन किया जाएगा। उन्होंने सिंगल-डोज स्पूतनिक लाइट के बारे में भी बात की और कहा कि अगर इसे मंजूरी दी जाती है, तो यह भारत और रूस के बीच सहयोग का एक और क्षेत्र होगा।उन्होंने कहा, “रूसी पक्ष ने स्पूतनिक लाइट का भी प्रस्ताव रखा है। भारत में इसके लिए नियामकीय मंजूरी अभी भी पूरी नहीं हुई है। लेकिन एक बार उन नियामक रेग्युलेटरी मिलने के बाद, यह भारत और रूस के बीच सहयोग का एक और क्षेत्र होगा।” बता दें कि इस समय देश में दो वैक्सीन्स बनाने वाली कंपनियां हैं, जिनके पास कोविड का टीका बनाने की जिम्मेदारी है। पहला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया है, जो कि कोविशील्ड बना रही है। दूसरी कंपनी भारत बायोटेक है, जबकि कोवैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही है। रूस की स्पूतनिक-वी को भी पिछले दिनों मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद रूस ने कई लाख वैक्सीन की सप्लाई की है।