कृषि क़ानूनों को डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित किये जाने का प्रस्ताव किसानों के साथ धोखा व छल करना है- विकास उपाध्याय
रायपुर – अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने मोदी सरकार द्वारा कृषि सुधार क़ानूनों के क्रियान्वयन को एक से डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित किये जाने के प्रस्ताव को किसानों के साथ धोखा करना बताया है।उन्होंने कहा, मोदी सरकार किसानों के साथ आंखमिचौली खेल रही है।वह किसानों के साथ छल कर इसे जितना चाहती है और कहा, मोदी सरकार तो बस 18 महीने तक इस क़ानून को स्थगित करना इसलिए चाह रही है, क्योंकि इन 18 महीने में कई राज्यों के महत्वपूर्ण चुनाव ख़त्म हो जाएँगे। विकास उपाध्याय ने कहा भाजपा को अब आम जानता से भय लगने लगा है। यही वजह है कि वह अब छल-कपट पर उतर आई है।किसानों की मूल माँग है, क़ानून को वापस लेने की और एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी की। ना तो सरकार क़ानून वापस ले रही है और ना ही एमएसपी पर कोई गारंटी दे रही है।” ऐसे में केन्द्र सरकार का यह प्रस्ताव किसानों के साथ छलावा के सिवाय और कुछ नहीं है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय आज अपने निवास में पत्रकारों से चर्चा के दौरान मोदी सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि भाजपा की मोदी सरकार देश में अलोकतांत्रिक तरीके से आम जनमानस की मंशा के विपरीत नियम कायदे बना कर उसे छल और कपट के सहारे लागू कर अपना जीत सुनिश्चित करना चाह रही है। उन्होंने यह भी कहा,भाजपा अपने बहुमत में होने का हर बार नाजायज फायदा उठाना चाहती है और यह सिर्फ कृषी कानून तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इसके पूर्व भी कृषि से जुड़े भूमि अधिग्रहण क़ानून पर भी केंद्र सरकार पीछे हटी थी। तब संसद में कांग्रेस के उपाध्यक्ष हमारे नेता राहुल गांधी ने भूमि अधिग्रहण क़ानून का विरोध करते हुए केंद्र सरकार को ‘सूट-बूट की सरकार’ कहा था। इसके अलावा चाहे एनआरसी की बात हो या फिर नए श्रम क़ानून की, इन पर भी मोदी सरकार को भारी विरोध के चलते बैकफुट पर आना पड़ा था। विकास उपाध्याय ने कहा भाजपा की मोदी सरकार इन 6 वर्षों में सारी सीमाओं को लाँघ चुकी है और उसे अब आम जनता का डर सताने लगा है। उसे यह डर हो गया है कि किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति भाजपा की नकारात्मक सोच असम, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ न कर दे।