35 साल में सबसे निम्न स्तर पर पहुँचा यमुना का जलस्तर, कृषि विशेषज्ञ कहा- काफी चिंता का विषय…
नई दिल्ली। पहाड़ों में जमी बर्फ नहीं पिघलने और बारिश कम होने से यमुना का जलस्तर 35 साल में सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गया है। पानी वितरण के लिए हथिनीकुंड बैराज को खुद कम से कम नौ हजार क्यूसेक पानी की जरूरत होती है जबकि फिलहाल तीन हजार क्यूसेक पानी ही हथिनीकुंड बैराज पर पहुंच रहा है। यह स्थिति अगले दो से तीन सप्ताह या इससे ज्यादा समय तक रह सकती है। इससे हरियाणा और दिल्ली में जल संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है।
यमुना के पानी पर निर्भर प्रदेश के कई शहरों में तो दो से तीन दिन के पानी का स्टॉक ही बचा है। वहीं दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने पानी के संकट के मद्देनजर पहले ही प्रदेश सरकार को चि_ी लिखकर पानी में कटौती न करने और अपने हिस्से का पूरा पानी मांगा है। ऐसे में हरियाणा सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है कि यमुना में पानी की मौजूदा स्थिति के चलते प्रदेशवासियों की प्यास बुझाएं, सिंचाई के लिए किसानों को दें या फिर दिल्ली को पर्याप्त मात्रा में पानी भेजें। संकट में फंसी सरकार अब सिंचाई को दिए जाने वाले पानी में कटौती कर सकती है।
अगले कुछ दिनों में यमुना का जलस्तर नहीं बढ़ता है तो सोनीपत, गुडग़ांव, रोहतक, भिवानी, फरीदाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ आदि जिलों में जल संकट हो सकता है। दिल्ली में भी हालत बिगड़ सकते हैं। इस बारे में जब दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं विधायक राघव चड्ढा को कॉल की गई तो उन्होंने कहा कि वे अभी बाहर हैं और सोमवार को इस मुद्दे पर बात करेंगे।
कृषि विशेषज्ञ आरएस राणा का कहना है कि यह काफी चिंता का विषय है कि यमुना में सामान्य से 60 फीसदी तक पानी कम हो गया है। पेयजल की आपूर्ति कम करना सरकार के लिए मुश्किल होगा। ऐसे में सिंचाई के पानी में कटौती से गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।