वन विभाग ने हाथी से बचाव के लिए हाईटेक सायरन, ग्राम पंचायतो को किया चिन्हांकित, पढ़े पूरी स्टोरी
सूरजपुर – जिले का प्रतापपुर वन परिक्षेत्र जहां हाथियों के चिंघाङने की गुंज ग्रामीणों का दहशत बन जाता है। कभी हाथियों से इंसानो की मौत और कभी खुद हाथी इंसानो का शिकार बन जाते है। और वन विभाग पर सवाल दोनो ही परिस्थितियो मे खङी होती है। लेकिन इस बार सूरजपुर वन विभाग ने हाथीयो से ग्रामिणो को सतर्क करने का धरातल पर नया प्रयोग कर एक मिसाल कायम कर रहे है।
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र पिछले कई दशको से हाथियों का रहगुजर क्षेत्र हुआ करता था। लेकिन पिछले एक दशक से हाथीयो का रहवास क्षेत्र बन चुका है। जहां आए दिन हाथी और इंसानी जंग मे दोनो के ही मौत के आंकङे बढते जा रहे है। ऐसे मे जंगलो से सटे सैकङो गांवो मे आज भी हाथी भोजन पानी की तलाश मे गांवो का रुख कर लेते है और फिर जान माल के नुकसान का आक्रोश वन विभाग पर फुटता है। जहां वन विभाग पर हाथीयो की निगरानी न रख पाने के कई बार सवाल खङे हुए है। वही अब वन विभाग ने नया पहल करते हुए हाईटेक सायरन का प्रयोग किया है। जहां फिलहाल कुछ ग्राम पंचायतो को चिन्हांकित कर सायरन लगाया गया है। जहां हाथियो के गांवो का रुख करने पर वन विभाग मोबाईल से ही उस ग्राम पंचायत के सायरन को एक्टीव कर देंगे। जिसकी आवाज सुनते ही ग्रामिण सतर्क होकर खुद को सुरक्षित कर सकते है। पहले हाथियों के आने की जानकारी के लिए वन अमले को गांवो तक पहुंचने मे देर हो जाती थी। ऐसे मे सायरन के माध्यम से हाथियों के रुख की जानकारी पहले की गांवो के लोगो को मिल जाएगी। फिलहाल वन विभाग कि कार्यशैली से नाराज रहने वाले ग्रामिण इस प्रयोग से वन विभाग कि तारीफ करते नजर आ रहे है।
आपको बता दे कि जिले में हाथियों और इंसानी दुरी बनाए रखने के लिए पुर्व मे भी वन विभाग कई प्रयोग किए । जिसमे सोलर बिजुका ,कैमरे से निगरानी जैसे कई प्रयोग किए लेकिन सफल नही हुए। ऐसे मे सूरजपुर जिले से की जा रही प्रयोग कि शुरुआत की जा रही है।वजिसे सजग नाम के प्रयोग के द्वारा मोबाईल से सायरन कि कनेक्टीवीटी के साथ लोगो को सजग करने का प्रयोग को लेकर वन विभाग काफी सक्रिय है।वजहां DFO का मानना है कि इस प्रयोग से ग्रामिणो को हाथीयो के गांवो के ओर रुख करने कि जानकारी समय से पहले ही मिल जाएगी और ग्रामिणो को सतर्क व सुरक्षित रहने मे मददगार साबित होगी।