December 28, 2024

कब और कहां होगा मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार, पूर्व प्रधानमंत्री के Funeral में क्या होता है प्रोटोकॉल?

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दिल्ली – पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली के मोतीलाल नेहरू मार्ग पर उनके आवास पर रखा गया है। कल रात एम्स से उनके पार्थिव शरीर को यहां लाया गया। अब आज उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा जहां खास लोगों के साथ-साथ आम लोग भी उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार कल किया जा सकता है। इसकी औपचारिक घोषणा आज कांग्रेस की तरफ की जाएगी। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूर्व पीएम के निधन पर केंद्र सरकार ने सात दिनों के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। इस दौरान सभी सरकारी संस्थानों में तिरंगा आधा झुका रहेगा।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद मनमोहन सिंह को दिल्ली AIIMS के इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। उन्होंने दो बार प्रधानमंत्री पद पर अपनी सेवाएं दी थीं। आइए आपको बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार में क्या प्रोटोकॉल होता है।

पूर्व PM के अंतिम संस्कार में क्या प्रोटोकॉल होता है?

  1. भारत में पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार के दौरान खास राजकीय प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इसका मकसद देश के प्रति उनके योगदान और पद की गरिमा को सम्मानित करना होता है।
  2. अंतिम संस्कार से पहले पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को भारत के राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे में लपेटा जाता है।
  3. इसके अलावा अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। यह सलामी राजकीय सम्मान के हाईएस्ट लेवल का प्रतीक मानी जाती है।
  4. पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा के दौरान सुरक्षा और प्रोटोकॉल का पालन काफी सख्ती से किया जाता है। उनकी अंतिम यात्रा में आम जनता से लेकर गणमान्य व्यक्ति और राजनेता शामिल होते हैं।

कहां हो सकता है अंतिम संस्कार?

देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार दिल्ली के विशेष स्मारकीय स्थलों पर किया जाता है जैसे जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का अंतिम संस्कार राजघाट परिसर में किया गया था।वहीं, कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए अलग से समाधि स्थल भी बनाया जाता है। हालांकि अंतिम संस्कार का तरीका दिवंगत व्यक्ति और उनके परिजनों के धार्मिक विश्वासों के अनुसार होता है।

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