Lok Sabha Chunav 2024: चुनावी मौसम में नहीं थम रही पार्टी छोड़ने वालों की संख्या, छत्तीसगढ़ में 40,000 से अधिक ने बदला दल
Chhattisgarh Lok Sabha Chunav 2024: छत्तीसगढ़ में चुनावी मौसम में पार्टी छोड़ने वालों की संख्या थम नहीं रही है। पंचायतों से लेकर जिला और प्रदेश स्तरीय नेताओं का दूसरी पार्टी में जाने का क्रम जारी है।
रायपुरl Chhattisgarh Lok Sabha Chunav 2024: छत्तीसगढ़ में चुनावी मौसम में पार्टी छोड़ने वालों की संख्या थम नहीं रही है। पंचायतों से लेकर जिला और प्रदेश स्तरीय नेताओं का दूसरी पार्टी में जाने का क्रम जारी है। भाजपा का दावा है कि बीते तीन माह में विभिन्न पार्टियों के पूर्व विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं सहित 40,000 से अधिक समर्थक भाजपा में आ चुके हैं।
भाजपा नेताओं का कहना है कि इन्होंने इसलिए अपनी पार्टी छोड़ी कि उन पार्टी में अब इनका सम्मान नहीं किया जा रहा था। इसलिए वे ‘राष्ट्रवाद की लहर’ के साथ आ गए हैं। वहीं, कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के पास अपने कार्यकर्ता नहीं है। उन्हें अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं पर विश्वास भी नहीं है। इसीलिए वे आयतित नेताओं और कार्यकर्ताओं के सहारे चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी मौसम में पार्टी छोड़ने का इतिहास बहुत पुराना है। इस बार भी वही इतिहास दोहराया जा रहा है।
नीतियों और विचारधाराओं से प्रभावित होकर भाजपा में कर रहे प्रवेश
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल ने कहा, प्रदेश में विभिन्न पार्टियों के 40,000 से अधिक पूर्व विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भाजपा में प्रवेश किया है। किसी को दबाव डालकर पार्टी में प्रवेश नहीं कराया जा सकता है। नीतियों और विचारधाराओं से प्रभावित होकर भाजपा में प्रवेश कर रहे हैं। कांग्रेस में भारी बिखराव है। कार्यकर्ताओं की कोई इज्जत नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं की क्षमता पर भरोसा नहीं रह गया। इसलिए वह लोकसभा चुनाव में दल बदल करवाकर आयातित कार्यकर्ता खोज रही है। एक महामंत्री को भाजपा प्रवेश की जवाबदारी दी गई है, जिनका काम वार्ड और जिला स्तर के कार्यकर्ताओं को खोजकर उन पर दबाव डालकर प्रलोभन देकर भाजपा प्रवेश कराना है।
विचारधारा नहीं, चुनाव जीतना जरूरी
राजनीति के जानकार डा. अजय चंद्राकर का कहना है कि पार्टी बदलना अब साधारण सी बात हो गई है। वर्तमान में पार्टी विचारधारा नगण्य हो गई है। जब कोई नेता लंबे समय तक पार्टी में रहता है और उन्हें विभिन्न पद और सम्मान मिलते रहता है तो उनकी महत्वाकांक्षाएं और बढ़ जाती है। वे पार्टी से और ज्यादा मिलने की सोचने लगते है। ऐसा नहीं होता है तो वे पार्टी बदल देते हैं।
विद्याचरण शुक्ला पहले कांग्रेस में थे, फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में चले गए। वे फिर भाजपा में शामिल हुए, लेकिन लोकसभा चुनाव हारने के बाद वे फिर से वापस कांग्रेस में आ गए। पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला भी भाजपा में थी, लेकिन कुछ वर्षों बाद कांग्रेस में चली गईं।