December 25, 2024

डरे सहमे भूपेश बघेल तानाशाही पर उतर आए- बृजमोहन अग्रवाल

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार के रासुका संबंधी आदेश को तानाशाही बताते हुए कहा है कि इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई थी और अब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल डर कर आपातकाल लगा रहे हैं।

brijmohan

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार के रासुका संबंधी आदेश को तानाशाही बताते हुए कहा है कि इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई थी और अब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल डर कर आपातकाल लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने डीएनए में प्राप्त संस्कृति के अनुसार छत्तीसगढ़ में अघोषित आपातकाल लगाने की तैयारी कर रही है।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि देश गणतंत्र दिवस की वर्षगांठ मनाने की तैयारी में है और यहां भूपेश बघेल ने गणतांत्रिक व्यवस्था को दरकिनार कर लोकतंत्र को कुचलने के लिए अघोषित इमरजेंसी लगा दी है। छत्तीसगढ़ के राजपत्र में असाधारण सूचना जारी की गई है। जिसमें राज्य के 31 जिलों में कलेक्टरों को इस बात का अधिकार दिया जा रहा है कि किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।

कांग्रेस के 4 साल बीतने के बाद जनता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल कर रही है। भेट मुलाकात में छत्तीसगढ़ का युवा अपना भविष्य खराब करने का सवाल भूपेश जी से पूछ लेते हैं। छत्तीसगढ़ की बेटी प्रदेश के कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री जी पर आरोप लगाती है। अनुसूचित जाति के युवा आरक्षण में अपनी जाति के साथ हुए धोखाधड़ी को लेकर सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री का विरोध करते हैं। जनता के इन सवालों से लगता है मुख्यमंत्री अब डर गए हैं। घबरा गए हैं ।इसलिए तानाशाही कर रहे हैं। और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसा काला कानून लेकर आए हैं।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जब 2 वर्ष पूर्व जुलाई 2021 को सुकमा के एसपी दिनेश शर्मा ने अपने मातहतों को धर्मांतरण के मुद्दे पर सजग रहने के लिए पत्र लिखा। दिसंबर 2021 में बस्तर कमिश्नर चूरेंद्र जी ने धर्मांतरण के विषय में सजग करते हुए पत्र लिखा। तब इन्हें छत्तीसगढ़ का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ता नहीं नजर आया।

मई 2022 को प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू अपने समाज के बैठक में लोगों को धर्मांतरण से बचने की सलाह देते हैं। तब इन्हें छत्तीसगढ़ का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ता नहीं दिखा। आज जब बस्तर का, सरगुजा का आदिवासी वर्ग अपने हक के लिए इन धर्मांतरण करने वाली ताकतों के खिलाफ खड़े होते हैं। तो उनको डराने के लिए यह रासुका जैसे कानून लागू करते हैं।
सितंबर 2022 को पुरानी बस्ती थाने के सामने ईसाई मिशनरी सीना ठोक के कहते हैं कि धर्मांतरण हमारा अधिकार है और करेंगे। क्या भूपेश बघेल ऐसे लोगों को खिलाफ रासुका लगाएंगे

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जिस प्रकार से कारण बताए बिना उद्घोषणा की गई है, वह भी आश्चर्यजनक है। इसका निर्णय कौन करेगा कि कौन शांति भंग कर रहा है, इसका निर्णय कौन करेगा कि कौन सरकार को असुरक्षित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके पहले भी भूपेश बघेल धरना प्रदर्शन के पहले अनुमति लेने का फरमान जारी कर यह साबित कर चुके हैं कि वे जनता के विरोध से कितने भयभीत हैं। सरकारी मशीनरी को रासुका की आड़ में विरोध के स्वर बंद कर लोकतंत्र का गला घोंटने का जो इंतजाम भूपेश बघेल ने किया है, उसे छत्तीसगढ़ की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।

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