( खास खबर) 200 सौ साल पुरानी है मंदिर,भूले बिसरे को मिलवाने का काम करती है गढ माता,मंदिर मे महिला जाकर प्रसाद खाने से हो जाती थी अनहोनी
संवाददाता – कामिनी साहू
राजनांदगांव – जिले के ग्राम रंगकठेरा के 50 से 60 फीट ऊचा पहाड मे स्थित है.गढ माता जहाँ लोगों की मन्नतें होती है पूरी भूले बिसरे लोगों को मिलाने का काम करती है गढ माता मंदिर मे पहुचे भक्त जानो को मिलती है सुकून और शांति ,बिगढे काम बनाती है ।
यू तो हमने हर मंदिर मे विराजमान माँ दुर्गा काँली और अन्य देवी देवताओं की काहनी सूनी और पढही है लेकिन आज हम बात कर रहे है राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव ब्लाँक के ग्राम रंगकठेरा जहाँ पहाड़ो के बीच डोंगरी मे विराज मान है माँ गढ माता ।
पहाड पर विराजमान कई वर्षो पहले माता ढाबा के डोंगरी मे विराजमान थी । लेकिन गांव महमारी फैलने लगी और वही रंगकठेरा के बैगा को सफेद घोडे पर सवार होकर माता पहाडो पर घूमती नजर आई जिसके बाद बैगा ने गांव के मुखिया और ग्रामीण से चर्चा कर गढ माता को.रंगकठेरा के पहाड़ो पर विराजमान करने की बात कही और पेंटर को माता की मूर्ति बनाने कहा वही पेंटर ने बीना जाने ही घोडे.पर सवार माँ गढ माता.की मूर्ति बनाई जिसके बाद बैगा के साथ ग्रामीणों ने पूजा कर.पहाड.पर.माँ गढ माता.की स्थापना की वही इस गढ माता के मंदिर मे बहु बेटीओ और माताओ का जाने के साथ.प्रसाद खाना मना था अगर.कोई महिलाएं भूलकर भी गढ माता का प्रसाद खाते तो कुछ ना कुछ.अनहोनी हो जाता था जिससे गांव साथ आसपास के ग्रामीण परेशान थे वही इस बात को लेकर गांव मे बैठक हुई और माँ के दरबार मे ज्योत जवारा जलाने का निर्णय लिया और 6 ज्योति कलश से ज्योत.जवारा जलाने की शुरूवात की जिसके बाद अब तक लगातार इस गढ माता मंदिर मे माता ,बेटी और महिलाएं माँ के दर्शन कर प्रसाद ग्रहण कर रहे है।
गढ माता लगभग 60 फीट ऊची पर्वत पर.विराजमान है यहा नवरात्रि मे भक्तो का ततार लगा यहा है लेकिन अभी कोरोना 19 के चलते भक्तो मे कमी आई है वही गढ माता की खास चर्चित बात यहा.है की मनुष्य ,जानवर या कोई वस्तु खो जाती है तो परिजन गढ माता मंदिर पहुचकर बंधना बांध्धे तो गुम हुए इंसान ,जानवर या फिर कोई भी वस्तु हो बहुत जल्दी मिल जाती है यहा परमाण है गांव रंगकठेरा के पटेल परिवार का.मुख्या पास के गांव के शोक कार्यक्रम मे गये और वहा से इलाबाद अस्थी विसर्जन करने गये लेकिन और खो गया जिसे घर वालो ने बहुत ढूढे लेकिन कही नही मिला थक हार कर गढ माता के दरबार मे पहुचे और घर के मुख्या मिलने का बंधना बांधे जिसके बाद मुख्या लगभग एक साल बाद मिल गये वही दूसरा प्रमाण निषाद परिवार का है शादी शुदा और.बच्चे वाले युवक अचानक गांव से लापता हो गया परिजन को पता लगता तब तक युवक गांव से बाहर निकल चूका था कहा गया किसी को कुछ पता नही ढूंढते – ढूंढते पूरे 7 साल हो गये थे तब परिजन परेशान हो गये तभी गांव के एक महिला ने बताई की गढ माता के मंदिर जाकर बधना बंधो माँ सब की मन्नत पूरी करती है तब निषाद परिवार पहाड पर विराजमान गढ माता के पास जाकर 7 साल से गुम इंसान के लिए बधना बधे जिसके बाद गुम इसान निषाद परिवार.का पालक वापस मिला इसी तरह गांव के ही वर्मा परिवार के युवक भी इसी तरह अचानक गांव से लापता हो गया परिजन के आस पास सहित पूरे प्रदेश मे खोज बीन किया पुलिस थाने मे गुमशुदा का रिपोर्ट भी दर्ज भी करवाया एक तरफ परिजन और दूसरी तरफ पुलिस युवक की तलाश करते रहे देखते – देखते ही 10 साल बीत गये और.पुलिस और परिजन थक हार कर मरा हुआ भी समझ गया लेकिन कहते है ना जाग। अचानक परिजन डोंगरी मे स्थिति माता गढ माता के दरबार पर पहुचे और गुम हुए इंसान मिल जाने.के लिए बधना बधे और कुछ दिनो मे चमत्कार हुआ.और 10 सालो से लापता वर्मा मिल गया और.परिवार मे.खुशहाली आई।
200 सौ साल से भी पुरानी डोंगरी मे विराजमान माँ गढ माता के मंदिर के आस पास पहाडो के साथ बडी – बडी हरे – भरे वृक्षो से घिरा हुआ है अब मंदिर पहुचने के लिए सीढी भी बनाई गई है साथ पानी की व्यवस्था के साथ ज्योत कक्ष भी बना हुआ है 2011 मे मंदिर के आस पास वृक्ष लगाकर मंदिर का सुंदरता बढा गया ताकि श्राद्धालू जब माँ के दर्शन के लिए पहुचे तो छाय दार पेडो के नीचे भक्त बैठ सके वही इस मंदिर मे 7 ज्योत जवारा से शुरुआत हुई और अब तक लगभग 900 सौ तक पहुच गया.है इस बार कोरोनो 19 संक्रमित बीमारी के चलते मंदिरों के कोरोनो का ग्रहण जरूर लगे है पर भक्त माँ के दर्शन के लिए पहुच रहे है।वही एक भक्त की बात करे तो राजनांदगांव के मनकी मे रहने वाले हीरालाल निषाद पिछले 15 वर्षों से दोनो.नवरात्रि मे गढ माता के दर्शन करने आते है और बता रहे है की माँ के दरबार मे आने से उनके काम सफल हो रहे है.घर पर.सुख शांति है और माँ के दर्शन. के बाद मन को सुकून और शांति मिलती है।