आरक्षण पर प्रदेश में बढ़ा बवाल; मंत्री रविंद्र चौबे बोले- राज्यपाल या तो विधेयक लौटा दें या राष्ट्रपति को भेजें
प्रदेश में आरक्षण पर अब बवाल बढ़ चुका है। मामला इस कदर बिगड़ गया है कि एक बार फिर से आदिवासी समाज आंदोेलन का रुख अख्तियार कर चुका है।
रायपुर। प्रदेश में आरक्षण पर अब बवाल बढ़ चुका है। मामला इस कदर बिगड़ गया है कि एक बार फिर से आदिवासी समाज आंदोेलन का रुख अख्तियार कर चुका है। सरकार की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्यपाल की ओर से विधेयक पर हस्ताक्षर न किए जाने पर नाराज हैं।
मंत्री रविंद्र चौबे ने तो विधेयक लौटा देने की बात भी कह दी। मंगलवार को प्रदेशभर से आए आदिवासी समाज के लोगों ने रायपुर में धरना दिया। सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने राजभवन का घेराव करने रैली भी निकाली। पुलिस ने रैली को सप्रे स्कूल के पास रोक दिया।
प्रशासनिक अफसरों ने तय किया कि एक प्रतिनिधि मंडल राजभवन जाएगा। मगर इस प्रतिनिधि मंडल को राज्यपाल ने मिलने का वक्त नहीं दिया। खबर आई कि राज्यपाल की तबीयत ठीक नहीं है। मगर चर्चा ये भी है कि अब आरक्षण के मामले में अलग-अलग वर्गों से मुलाकात करने से राज्यपाल बच रही हैं। ये सारा बखेड़ा इस वजह से खड़ा हुआ है क्योंकि आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर से राज्यपाल के पास है और इस पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
सर्व आदिवासी समाज 32 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहा है। समाज युवा प्रकोष्ठ के प्रदर्शन में समाज के नेता और सरकार में मंत्री अमरजीत भगत, अनिला भेड़िया, कवासी लखमा, प्रेमसाय सिंह, विधायक केके ध्रुव, शिशुपाल सोरी, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कुंवर सिंह और साथी शामिल हुए।
जो संविधान में लिखा है वही मांग रहे
आदिवासी समुदाय के नेता पूर्व सांसद अरविंद नेताम ने रायपुर में मीडिया से इस मसले पर चर्चा की। उन्होंने कहा- हम कोई अलग चीज देने की मांग नहीं कर रहे, जो संविधान में लिखा है वही मांग रहे हैं। बाबा साहब ने लिखा है कि जितनी आबादी हो उतना आरक्षण दिया जाए। राज्यपाल के विशेषाधिकार पर है कि वो विधेयक पर कब साइन करेंगी, मगर जल्द से जल्द इस पर उन्हें फैसला करना चाहिए।
राज्यपाल के नाम सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने एक ज्ञापन भी सौंपा है। इस ज्ञापन में समाज ने कहा है कि हम 32 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार चाहते हैं। विधेयक पर हस्ताक्षर न होने की वजह से आरक्षण रोस्टर की स्थिति शून्य हो गई है। भर्तियां रुक गई हैं। हजारों युवाओं के सामने रोजगार का संकट पैदा हो रहा है इसलिए बिना देरी किए इस संशोधन विधेयक पर साइन करे।
सर्व आदिवासी समाज द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर राजभवन घेराव से जुड़े सवाल पर मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इतना समय बीत गया है। प्रदर्शन करना जाहिर सी बात है। सरकार ने अपनी तरफ से सब दे दिया है। राजभवन में किस कारण से रूका है, समझ नहीं आ रहा है। राज्यपाल या तो विधेयक को लौटा दें या फिर राष्ट्रपति को भेज दें।
राज्यपाल अनुसुइया उइके अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC वर्ग को दिये गए 27% आरक्षण की वजह से आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं। राज्यपाल ने पहले मीडिया से बातचीत में कहा, मैंने केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। उन्होंने सबका बढ़ा दिया। अब जब कोर्ट ने 58% आरक्षण को अवैधानिक कह दिया है तो 76% आरक्षण का बचाव कैसे करेगी सरकार।
आरक्षण विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, हाईकोर्ट ने 2012 के विधेयक में 58% आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे प्रदेश में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर आ गया। सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में जन आंदोलन शुरू कर दिया। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। तब मैंने सीएम साहब को एक पत्र लिखा था। मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानकारी ले रही थी। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी।