श्रद्धा हत्याकांड जघन्य अपराध की सीमा लांघ गया : रिजवी
श्रद्धा हत्याकांड जघन्य अपराध की सीमा लांघ गया : रिजवी
मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा है कि गुजरात एवं एम.सी.डी. चुनावों को वर्ग विभाजन का मुद्दा बनाया जा रहा है जो आचार संहिता का उल्लंघन तो है ही साथ ही धर्म विशेष को खराब बताने का प्रयास भी है। गोदी मीडिया आफताब का नाम 24 ग 7 अपराधी को छोड़ धर्म विशेष को दोषी सिद्ध कर रहा है जो अनैतिक एवं सोची समझी साजिश का हिस्सा है। गुजरात चुनाव में भाजपा हर तरह का हथकण्डा अपना रही है तथा मोदी जी सहित भाजपा के सभी बड़े नेताओं को चुनावी प्रचार में झोंक दिया है जो भाजपा चुनाव में पराजय के पूर्वाभास को इंगित करता है।
रिजवी ने बताया है कि देश में अन्य प्रदेशों में भी इसी तरह के मामले घटित हुए हैं परन्तु उनको गोदी मीडिया इतना नहीं उछाल रही है क्योंकि उनमें अपराधी का नाम मुसलिम नहीं है। आफताब की जाति क्या है? इस दिशा में मीडिया सहित पुलिस जांच खामोश है जो कई प्रश्न चिन्ह उत्पन्न करता है। पुलिस आफताब के माता-पिता को अभी तक ढूंढ नहीं पाई है और न ही उनके नाम उजागर किए गए हैं। आफताब पूनावाला कहीं पारसी समाज का तो नहीं है, क्योंकि पारसियों में दारूवाला, पूनावाला, बोटवाला, बाटलीवाला जैसे सरनेम पाए जाते हैं। चर्चा है कि आफताब पूनावाला पारसी है। लगता है गोदी मीडिया गुजरात चुनाव के बाद आफताब का सही धर्म व जाति की घोषणा करेगी। आफताब नाम उर्दू का है जिसे अन्य धर्म वाले भी रखते हैं जैसे आफताब शिवदसानी बालीवुड कलाकार का धर्म सिन्धी है। अपराध को अपराधी से जोड़ना चाहिए न कि धर्म से। आजकल मुसलिम नाम रखना चलन में हैं।