December 23, 2024

हिड़मा के सरेंडर पर नक्सली हुए लाल, जनाधार खो चुके माओवादी संगठन का खात्मा होगा अतिशीघ्र

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तेलंगाना के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में एक नक्सली ने हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है.

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तेलंगाना के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में एक नक्सली ने हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है. नक्सली का नाम माडवी हिड़मा है। नक्सली हिड़मा के आत्मसमर्पण के बाद अब इन दोनों राज्यों छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की पुलिस के बीच संशय की स्थिति बनी हुई है. तेलंगाना पुलिस ने इसे वही खूंखार नक्सली बताया है, जिसकी तलाश 5 राज्यों की पुलिस कर रही है. वहीं छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस हिडमा माडवी को एक गांव का छोटा कैडर नक्सली बताया है. जिस पर कम से कम 10 हजार और अधिकतम 50 हजार का ही इनाम हो सकता है। यह नक्सली छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का रहने वाला है.

आत्मसमर्पित माओवादी कैडर माड़वी हिड़मा द्वारा बताया गया कि जब वह 15 वर्ष की आयु में था उस समय नक्सल कमाण्डर दुती कोसा द्वारा माओवादी संगठन में भर्ती की जाकर विगत 09 वर्षों से दक्षिण बस्तर डिवीजन क्षेत्र के टोण्डामरका, कसालपाड़, एलमागुण्डा, गुण्डराजपाड़ इत्यादि ईलाका में सक्रिय रहा तथा इस दौरान रकापाल आईईडी ब्लास्ट, पालोदी आईईडी ब्लास्ट, निमलगुड़ा, ईरापल्ली मुठभेड़ में शामिल रहने की बात स्वीकार किया।विगत 09 वर्षों में माओवादी संगठन की जनविरोधी एवं विकास विरोधी हरकतों को देखने के पश्चात् नक्सल विचारधारा के प्रति असंतुष्ट होकर आत्मसमर्पित माओवादी कैडर माड़वी हिड़मा से लगातार पूछताछ जारी है। इस दौरान प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी माओवादी संगठन के प्रवक्ता द्वारा माओवादी कैडर माड़वी हिड़मा के आत्मसमर्पण की खबर को पुलिस द्वारा किये जा रहे झूठे प्रचार घोषित करना माओवादी संगठन के अंदर वर्तमान में चल रही आपसी घमासान, अविश्वास एवं भ्रम का वातावरण को दर्शाता है।

सुन्दरराज पी. पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज द्वारा बताया गया कि शासन के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर ‘लोन वर्राटू’ तथा ‘पूना नर्कोम’ जैसे अभियान के माध्यम से लगातार हो रहे माओवादियों के आत्मसमर्पण की स्थिति से माओवादी नेतृत्व बौखलाहट एवं भयभीत है। इन सब तमाम कारणों से माओवादी संगठन द्वारा विगत कुछ दिनों से कई विषयों को लेकर दिक़्भ्रमित एवं गुमराह प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है।

पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज द्वारा माओवादियों की प्रेस विज्ञप्ति में सरकार के मनोवैज्ञानिक युद्ध के संबंध में माओवादी प्रवक्ता द्वारा उल्लेख की गई बिन्दु पर प्रतिक्रिया देते हुये बताया गया कि माओवादियों का हिंसात्मक एवं नकारात्मक चेहरा बेनकाब होने से माओवादियों नेतृत्व के मानसिक संतुलन में विपरीत असर पड़ा है। वर्तमान में दिशाविहीन एवं नेतृत्वविहीन हो चुके माओवादी संगठन द्वारा सिर्फ आतंक एवं झूठा प्रचार के सहारे अपने संगठन को बचाकर रखने का असफल प्रयास किया जा रहा है। लेकिन जनाधार खो चुके माओवादी संगठन का खात्मा अतिशीघ्र होगा।

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