धान खरीदी केंद्रों में समस्याओं को लेकर विष्णुदेव ने लिखा सीएम भूपेश को खत, कही ये बड़ी बात
रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। धान खरीदी केंद्रों में ज्यादा धान तौलने की भी शिकायत तिल रही है। वहीं इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है।उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है. साय ने भरोसा जताया कि प्रदेश सरकार धान खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाकर किसानों को राहत पहुंचाने के साथ किसानों की परेशानी का कारण बन रहे लोगों पर कार्रवाई करेगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने पत्र में लिखा कि प्रदेशभर के विभिन्न स्थानों से धान खरीदी केंद्रों में किसानों को अपना धान बेचने के लिए एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। कहीं धान उठाव की धीमी रफ़्तार से खरीदी केंद्रों में धान खरीदी का काम बुरी तरह प्रभाावित हो रहा है, कहीं किसानों को अपना धान बेचने टोकन पाने के लिए भारी मशक़्कत करनी पड़ रही है, और अब धान के तौल में भी गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं।
साय ने कहा कि विभिन्न खरीदी केंद्रों में निर्धारित मात्रा से काफी ज्याादा धान तौलकर किसानों को सीधे-सीधे नुकसान पहुँचाया जा रहा है. विभिन्न खरीदी केंद्रों में धान बेचने वाले किसानों की यह शिकायत काफी संख्या में सामने आई है कि तौल करते समय उनका धान 40.500 किलो के अलावा 250 ग्रााम से लेकर तीन-तीन किलो अतिरिक्त तौला जा रहा है।
महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक की सरकड़ा सोसाइटी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निर्धारित मात्रा से तीन किलो ज्यादा धान तौलने की शिकायत खरीदी केंद्र के प्रबंधकों की लापरवाही को स्पष्ट करती है.
उन्होंने कहा कि इसी तरह धान खरीदी केंद्रों में किसानों को टोकन देने में भी किए जा रहे पक्षपात से असंतोष पनप रहा है। महासमुन्द जिले के ही बेलसोंडा में किसानों को टोकन जारी ही नहीं किया जा रहा था जिससे वहाँ 315 किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे थे। वहाँ भी अप्रिय स्थिति बनी और किसानों की उग्रता के बाद उन्हें टोकन जारी किया गया।
साय ने कहा कि दोनों खरीदी केंद्रों में किसानों को अपने साथ इंसाफ के लिए धरने पर बैठना पड़ा, तब कहीं जाकर आपका प्रशासन तंत्र हरकत में आया. इस स्थिति से यह साफ हो रहा है कि धान खरीदी केंद्रों में व्यापक पैमाने पर भरार्शाही का आलम है. भ्रष्टाचार, अवैध वसूली, माफिया-आतंक आदि के माहौल में प्रदेश सरकार से यह सहज अपेक्षा थी कि कम-से-कम किसानों को तो भरार्शाही का शिकार बनाने से बख़्शा जाए, लेकिन आज किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करती आपकी सरकार के शासनकाल में किसान ही सबसे ज्यादा संत्रस्त हो रहा है।