जेल प्रहरी पे झूठा आरोप लगाने वाली महिला को पुलिस ने किया गिरफ्तार
एक जेल प्रहरी से बदला लेने के लिए आरोपी ने अपनी नाबालिग बेटी के अपहरण के आरोप में फंसाने की कोशिश की।
बिलासपुर। एक जेल प्रहरी से बदला लेने के लिए आरोपी ने अपनी नाबालिग बेटी के अपहरण के आरोप में फंसाने की कोशिश की। आरोपी को रेप के आरोप में जेल हुई थी |जिसमें जेल प्रहरी ने उसे छुड़ाने में मदद की थी और इसी दौरान लेन-देन की बात को लेकर उनके बीच विवाद हो गया था। जिस बच्ची के अपहरण की शिकायत की गई वह अपने घर में ही सही सलामत मिल गई। मामला गौरेला थाने का है।
21 अक्टूबर को रानीझाप निवासी दशरथ सिंह राठौर (38 साल) ने एफआईआर दर्ज कराई कि उसकी 11 वर्षीय नाबालिग पुत्री 28 अक्टूबर को स्कूल जाने के नाम से सुबह 9 बजे घर से निकली थी, जो वापस नहीं आई। किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा उसके अपहरण की उसे आशंका है। शिकायत पर थाने में धारा 363 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। नाबालिग के अपहरण की घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक त्रिलोक बंसल अधीनस्थ अधिकारियों को सक्रिय किया। अलग-अलग टीमों ने मामले की तहकीकात शुरू की।
थोड़ी देर में आशंका होगी कि प्रार्थी द्वारा बताई गई घटना और वारदात की आशंका में काफी अंतर है। आरोपी के बारे में जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि प्रार्थी दशरथ राठौर के खिलाफ अनूपपुर कोतवाली में धारा 376 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज हुआ था जिसके चलते उसे अगस्त 2020 से सितंबर 2021 तक जेल में रहना पड़ा था। वहां के एक जेल प्रहरी से उसने अपनी जमानत के लिए सौदा किया था |
जिसमें रुपयों के लेन-देन को लेकर विवाद हो गया। जेल प्रहरी ने उसे देख लेने की धमकी दी थी तब प्रार्थी ने उससे बदला लेने की ठान ली थी। पुलिस नहीं अभी पता लगा लिया कि जिस बच्ची के मन की बात कही जा रही है वह अपने ही घर में अपने परिवार के साथ है। कड़ी पूछताछ के बाद शिकायतकर्ता दशरथ राठौर ने स्वीकार कर लिया कि उसने उक्त जेल प्रहरी को फंसाने के लिए अपनी बेटी के अपहरण की झूठी एफ आई आर दर्ज कराई थी।
एफ आई आर लिखने से पहले उसने अपनी बेटी को समझा दिया था कि पुलिस के सामने उसे अपहरण की झूठी कहानी कैसे सुनानी है। उसे कहा गया कि वह पुलिस को पता है कि चार पहिया वाहन में दो महिला और एक पुरुष आए थे और उसके मुंह में रुमाल बांधकर उसे जबरन गाड़ी में बिठा कर ले गए थे। झूठी रिपोर्ट के चलते और अभी दशरथ राठौर के विरुद्ध आईपीसी की धारा 182 और 211 के तहत जुर्म दर्ज किया गया है। इसमें सहयोग करने वाले उनके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध अलग से कार्रवाई की जा रही है।