30 हजार रैंक वाले सड़क पर, 4 लाख रैंक वालों को मिल गया कॉलेज
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित ग्लोकल के बंद होने के बाद जिन छात्रों की रैंकिंग करीब चार लाख थी, उन्हें तो नया कॉलेज मिल गया। लेकिन जिन मेधावियों की रैंकिंग महज 30 हजार थी, वे सड़क पर आ गए हैं। ऐसा कॉलेज की लापरवाही के चलते हुआ लेकिन अब कॉलेज प्रबंधन से लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसर तक इन स्टूडेंट्स के सवालों का सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं।
चार साल पहले कॉलेज ने एमबीबीएस में 75 छात्र को दाखिला दिया, जिसमें से केवल 25 का ही रजिस्ट्रेशन करवाया गया। कॉलेज बंद हुआ तो रजिस्ट्रेशन वाले 25 छात्र को दूसरे कॉलेज में समायोजित कर दिया गया जबकि सालाना 15 लाख रुपये फीस देकर पिछले तीन साल से पढ़ाई कर रहे 50 एमबीबीएस स्टूडेंट्स अब सड़क पर हैं। कॉलेज बंद हो चुका है और चिकित्सा शिक्षा विभाग इन्हें दूसरे कॉलेज में भेजने को तैयार नहीं है।
अधर में फंसे छात्र, अब जाएं कहां?
ग्लोकल मेडिकल कॉलेज बंद हो चुका है। इसके प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ इसपर बात नहीं कर रहा। संस्था से जुड़े आला अधिकारी मीटिंगों में व्यस्त होने की बात कहते हुए फोन काट देते हैं और चिकित्सा शिक्षा विभाग बिना रजिस्ट्रेशन इन्हें किसी भी दूसरे कॉलेज में भेजने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि छात्र कहां जाएं? तीन साल तक जमा किए गए 1.50 करोड़ रुपये किससे मांगे? नीट क्वॉलिफाई करके तीन साल तक एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद अब क्या करें? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब कोई भी अधिकारी देने को तैयार नहीं है।
जानकारी छिपाते हुए फीस वसूल रहे हैं कॉलेज?
छात्रों मुताबिक जब दो साल पहले कॉलेज बंद करने का फैसला नहीं हुआ था, उस वक्त भी डीजीएमई से कॉलेज बदलने की गुहार लगाई थी। उस वक्त किसी ने नहीं बताया कि छात्रों का रजिस्ट्रेशन नहीं है। कॉलेज बंद होने के बाद छात्र कोर्ट गए तो तब जाकर इसकी जानकारी हुई। कॉलेज प्रशासन पर जानकारी छिपाते हुए फीस वसूलने का आरोप भी लग रहा है।
गड़बड़ी की टाइम लाइन
- 2016 में नीट परीक्षा पास कर स्टूडेंट्स ने 7 अक्टूबर को मॉप अप राउंड में एडमिशन लिया।
- 2017 में रिजल्ट आने के बाद 2018 में स्टूडेंट्स ने शिक्षक, संसाधन और सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए डीजीएमई को पत्र लिखा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
- 28 मई 2019 को छात्रों ने कॉलेज बदलने के लिए हाई कोर्ट में अपील कर दी। इसपर एमसीआई ने इन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन न होने की बात कही।
- इसके बाद भी कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट से पढ़ाई और परीक्षा की मंजूरी का हवाला देते हुए इन छात्रों को धोखे में रखा।
- 3 जनवरी 2020 को प्रदेश सरकार ने मानक पूरे न होने के चलते कॉलेज को बंद करने का फैसला किया।
- 10 जून 2020 को रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद काउंसलिंग करवाने वाले 25 स्टूडेंट्स को दूसरे कॉलेज में समायोजित कर दिया गया। जबकि 50 छात्र अधर में फंस गए।