December 25, 2024

दिव्यांग होने के बावजूद दृढ इच्छा शक्ति से आगे बढ़ने की ललक, देश ने प्रतिनिधित्व करने का दिया मौका,जाने क्या है पढ़े पूरी खबर

0
IMG_20200917_130042_copy_1024x779

संवाददाता  – इमाम हसन

सूरजपुर – दृढ संकल्प और मजबुत इच्छा शक्ति अगर हो तो कोई भी इंसान अपने मंजील तक पहुंच सकता है। ऐसा ही कुछ किया है सूरजपुर जिले के प्रतापपुर स्थित ढेकिनाला के शासकिय प्राथमिक स्कुल मे पदस्थ शिक्षक नरेश तिर्की ने…जहां नरेश दिव्यांग होने के बाद भी ताईक्वांडो जैसे खेल मे विदेशो मे न केवल भारत का प्रतिनिधित्व किया है। बल्कि आज शिक्षा के माध्यम से छात्रो को दृढ संकल्प की पाठ भी पढा रहे है। 
महज 11 साल की उम्र मे एक हादसे मे अपनी दांई हाथ गंवा चुके शिक्षक नरेश का मनोबल नही टुटा और दिव्यांग होने के लेकर कभी भी खुद को किसी से कम नही समझा। जहां नरेश ताईक्वांडो खेल की ओर खुद को समर्पीत कर भारत की ओर से एशियन गेम मे भी फिलीपींस मे शामिल हुए हालांकी मैच नही जीत सके। इस बात का आज भी मलाल है लेकिन नरेश ने लंदन फिलीपींस साउथ कोरीया जैसे विदेशो मे कई गेम मे शामिल हुए है। ऐसे मे गरीब परिवार मे होने के कारण कई स्थानिय लोगो ने आर्थिक सहायता कर उनकी मदद करते आ रहे है। लेकिन उम्र के साथ नरेश का हौसला नही टुटा है और आज भी शासन से मदद मिलने पर फिर से भारत के लिए खेलने कि जज्बा रखे हुए है। जहां आज कोरोना के दौर मे दिव्यांग शिक्षक अपने स्कुल के छात्रो को भी शिक्षा देते हुए जीवन के किसी भी पड़ाव  मे मुसीबत आने पर अपने इच्छा शक्ति से लङाई लङने की पाठ भी पढा रहे है।
 एक ओर दिव्यांगता शब्द से ही लोगो की सहानुभुती जुङी होती है। लेकिन शिक्षक नरेश ने अपने बुलंद हौसले से दिव्यांगता का अर्थ ही बदल दिया और आज जहां वे बाईक बखुबी चलाते हुए स्कुल तक जाते है तो वही तैराकी मे भी किसी से पीछे नही है। यहां तक की स्वीमींग कम्पीटीशन मे भी अपना जौहर दिखा चुके है।  ऐसे मे ताइक्वांडो जैसे खेल मे देश का प्रतिनिधित्व के साथ नेशनल रेफरी का भी खिताब अपने नाम कर रखा है। जहां जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नरेश की तारीफ करते नही थकते और आर्थिक सहायता करने कि भी बात करते नजर आए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *