मुख्यमंच पर संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत राजकीय गीत से साथ, दर्शकों ने खड़े होकर किया सम्मान,बाल कलाकार श्रद्धा महानंद के गीतों ने बांधा शमा़
संवाददाता – प्रतीक मिश्रा
राजिम– माघी पुन्नी मेला के तृतीय दिवस मुख्यमंच पर लोक कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की झांकी को नृत्य गीत के माध्यम से उजागर किया। मुख्यमंच के सामने व सीढ़ी के ऊपर दर्शकों की खचाखच भीड़ रही। प्रतिदिन सांस्कृतिक मंच में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांध कर रखा। कलाकार घनश्याम महानंद एवं उनकी टीम ने कार्यक्रम की प्रथम कड़ी में राजकीय गीत अरपा पैरी के धार से…. कार्यक्रम का शुभारंभ किया
राजकीय गीत के सम्मान में समस्त दीर्घा में बैठे सारे दर्शक सावधान की स्थिति में खड़े हो गये और गीत की प्रस्तुति के पश्चात् में छत्तीसगढ़ महतारी की जयकारे के बाद ही सभी अपने स्थान पर बैठ गये। ’’छत्तीसगढ़ी हा हमर भाखा हे येकर मान बढ़ाबों हमन गढ़बों छत्तीसगढ़…. छत्तीसगढ़ी मा गोठियाबों…’’ इस नृत्य व गीत की सुंदर प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ की महिमा बोली, भाषा के महत्व को गीत के माध्यम से बहुत ही सुंदर ढंग से दर्शाया गया जिसे सुनकर दर्शकों ने सहज ही जोरदार तालियों से स्वागत किया। आदिवासी आवव रे आदिवासी आवव रे…. की इस सुंदर प्रस्तुति में कलाकार ढोलक, मंजीरे की थाप पर एक ताल और लय देकर अपने सुंदर भाव भंगीमा के साथ बहुत ही मनमोहक प्रस्तुती दी। जिसमें आदिवासीयों की परंपराओं, रीति-रिवाजों और उनके मनोंरंजन के साधनों को नृत्य और गीत कें माध्यम से प्रस्तुत किया। जिससे पूरा महोत्सव स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
छत्तीसगढ़ की उभरती गायिका श्रद्धा महानंद जो कि घनश्याम महानंद की सुपूत्री है, उन्होंने लाली गुलाल ला छितत रहिबे रसियां मोर…. चैरा मा गोंदा फूल… गीतों की बहुत सुंदर प्रस्तुती दी। इस नन्हीं बालिका की प्रस्तुती ने सभी का मन मोह लिया। मया होगे रे तोर संग मया होगे न…. इस प्रसिद्ध लोकगीत से दर्शक दीर्घा झूम उठे। रही रही के सूरता आथे तोर…, गोला रे गोला चांदी के गोला ना…., झूले नजर मा तोरेच चेहरा…, ये रानी मोला बईहा बना देबे का…, मोला नीक लोगे रानी लाली लाली लुगरा हा तोर…. व अंत में संगवारी रे झूलना झूलाहू आमा के डार मा…. जैसे गीतों को मशहूर गीत सुनकर दर्शकों से वाह-वाही लूटी। छत्तीसगढ़ी कलाकार की दूसरी श्रृंखला मंे महादेव हिरवानी भी दर्शको को मंत्र मुग्ध करने में सफल रहे उनके कलाकार संगीत के साथ गायन नृत्य के भरोसे राजिम माघी पुन्नी मेले में अपना अमिट छाप छोड़े। कार्यक्रम का शुरूआत मां सरस्वती वंदना और गणेश वंदना से कलाकारो के द्वारा छत्तीसगढ़ी वेशभूषों से परिपूर्ण होकर किया। उसके बाद जसगीत के माध्यम से मां दुर्गा की गीत दाई दुर्गा तोर महिमा हे अबड़़…. ये गीत में जितनी मां की ममता थी उतने ही नृत्य भी मनमोहक लग रहा था। इस झांकी को देखकर ऐसा लग रहा था कि हम लोग विशाल पर्दे पर जसगीत का आनदं ले रहे हो । फिर महादेव हिरवानी और साथ ही कलाकारो के द्वारा छत्तीसगढ़ी मिझरा गीत की प्रस्तुति दी गई। हसत देखत रेंगत रहे बेलबेली टुरी… इस गीत ने दर्शकों को धून में मोह लिया। धानी मूनी जोड़ दे पानी दमोर दे… तरी हरी नाना… मंच में ही कलाकारों के द्वारा छत्तीसगढ़ में बच्चे के द्वारा खेले जाने वाले फुगड़ी और खो-खो को गीत के माध्यम से प्रस्तुति दी।
इसी के साथ मंच पर गौरी-गौरा स्थापना से लेकर विसर्जन से तक की घटनाक्रम को झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसी के साथ राउत नाचा की प्रस्तुति दी गई। जिसमें राउत कलाकार सचमुच का राउत लग रहे थे। राउत नाचा को देख दर्शक भी दोहा लगाने लगे थे। लहर मारे बुन्दिया… इस गीत तो हद ही कर दिया कि दर्शक भी मंच के समीप आकर नृत्य कर बैठे। कलाकारों का सम्मान एसपी भोजराम पटेल, सीईओ चंद्रकांत वर्मा, अपर कलेक्टर जेआर चैरसिया, एएसपी सुखनंदन राठौर, नप अध्यक्ष रेखा सोनकर, एल्डरमेन रामानंद साहू, अशोक श्रीवास्तव, प. अर्जुन तिवारी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन पुरूषोत्तम चन्द्रकार, मनोज सेन और महेन्द्र पंत ने सफलता पूर्वक किया।