गायत्री मंदिर प्रकाश स्तंभ बनेगाआपके द्वार- पहुंचा हरिद्वार के तहत चल रहा है कार्यक्रम – डॉ चिन्मय पंड्या
संवाददाता – संतोष कुमार
बीजापुर – परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्म का सपना था मंदिर चेतना का केंद्र बने और मंदिरों से ज्ञान का प्रचार हो लोगों के जीवन को आमूलचूल परिवर्तन करने वाला एक प्रयोगशाला बने यही मंदिरों का उद्देश्य रहा है, बीजापुर का गायत्री मंदिर बस्तर क्षेत्र के आस्था का प्रमुख स्तंभ बनेगा यह गायत्री मंदिर बांस कोट ही नहीं , बल्कि पूरे बस्तर क्षेत्र को आलोकित करेगा ।इस जगह से ज्ञान का विस्तार होगा और गायत्री परिवार के कार्यों को गति मिलेगी यह उद्गार गायत्री परिवार ट्रस्ट बीजापुर के तत्वाधान में आयोजित गायत्री मंदिर में यज्ञ शाला देवार्पण कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि डॉ चिन्मय पंड्या प्रति कुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा सभा के दौरानअपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के निर्देशन में चल रहे कार्यक्रम जिसमें इस वर्ष 2021 को शांतिकुंज का स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप में घोषित है इस वर्ष को शांतिकुंज एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रव्यापी योजना ,आपके द्वार- पहुंचा हरिद्वार, चला रहा है इसके तहत शांतिकुंज परिवार श्रद्धालुओं तथा गायत्री परिजनों तक गंगा जली, वेदमाता एवं युग साहित्य लेकर देशभर में जा रहे हैं
यह क्रम मकर संक्रांति से प्रारंभ हो चुका है जो अगले 3 माह तक चलेगा योजना को गति देने के उद्देश्य शांतिकुंज के युवा प्रतिनिधि डॉ चिन्मय पंड्या प्रति कुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा भी दौरा किया जा रहा है इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के तीन दिवसीय प्रवास के दौरान बीजापुर पहुंचने पर डॉ चिन्मय पंड्या का अभूतपूर्व स्वागत भारतीय संस्कृति के परंपरा अनुसार आरती उतारकर तिलक लगाकर किया। इस अवसर पर सर्वप्रथम डॉ चिन्मय पंड्या के ऊपर फूलों की वर्षा करते हुए सड़क के दोनों और गायत्री परिवार एवं श्रद्धालु कार्यकर्ता गण पुष्प वर्षा करते हुए डॉ चिन्मय पंड्या को मंच तक लाया गया । इस दौरान गायत्री मंदिर प्रांगण में सजल श्रद्धा – प्रखर प्रज्ञा एवं मां गायत्री को प्रणाम करके दर्शन उपरांत डॉ चिन्मय पंड्या ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई ।तत्पश्चात डॉ चिन्मय पंड्या ने अपने उद्बोधन में कहा कि आवलखेड़ा के छोटे से कोठरी से निकला गायत्री परिवार मत्स्य अवतार के रूप में दिनों दिन बढ़ता गया और बीजापुर की धरती में जो आज मैं देख रहा हूं गायत्री मंदिर निर्माण की बात उसी का ही एक परिणीति है गायत्री परिवार 80 देशों में फैला है 15 से 20 करोड़ लोग जुड़े हैं 5000 केंद्र हैं । गायत्री परिवार एक मत्स्य अवतार की तरह से फैल रहा है। कार्यक्रम पश्चात नगर के 5 घरों में डा चिन्मय जी द्वारा देव स्थापना किया गया ।