मूलभूत सुविधाओ से वँचित पंडो अपने बच्चों को बचपन मे शिक्षा के बदले सिखा रहे हैं हथियों से बचने का हुनर
संवाददाता – इमाम हसन
सूरजपुर: सूरजपुर जिले के प्रतापपुर इलाके मे हाथीयो का रहवास क्षेत्र अब ग्रामिणो के लिए मुलभुत सुविधाओ से वंचित होने को मजबुर कर रखा है। जिनके लिए न ही वन विभाग और न ही कोई जनप्रतिनिधि कोई पहल कर रहे। सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के सोनगरा दुरती धरमपुर समेत दर्जनो ऐसे गांव है जिनके हालात हाथीयो के दहशत से ज्यादा प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियो कि उदासीनता ने बिगाङ रखी है।
दरअसल तस्वीरो मे दिखाई दे रहा जंगलो के बीच से गुजरने वाली जर्जर कच्ची सङक प्रदेश के शिक्षा मंत्री और प्रतापपुर विधानसभा के विधायक प्रेमसाय सिंह के क्षेत्र के दुरती पंचायत का पंडोपारा गांव है।जहां लगभग 25 से ज्यादा पंडो जनजाती के ग्रामिण निवास करते है।जहां गांव तक पहुंचने का जहां मार्ग ही नही है,,,तो वही गांव कि बिजली भी बङी मुश्किल से महिने मे एक सप्ताह ही रहती है। तो वही पीने के पानी कि समस्या तो कभी खत्म ही नही हुई,,,ऐसे मे हाथीयो का दहशत ने इन पंडो जनजाती के बच्चो को भी बचपन मे ही शिक्षा कि जगह हाथीयो से बचने के तरीके मां बाप सिखा रहे है,,जहां बिजली पानी के अभाव मे किसी तरह से खेती करते है तो हाथी के द्वारा इनके फसलो को नुकसान पहुंचा दिया जाता है और फिर पंडो जनजाती अपने किस्मत के भरोसे जींदगी शुरु कर देते है और ये हाथी वर्षो से इन ग्रामिणो के परेशानी का सबब बने हुए है लेकिन नगरीय इलाको से सटे इस पंडोपारा गांव मे न ही कोई जनप्रतिनिधि जाता है और न ही प्रशासनिक अधिकारी।
सूरजपुर जिले मे नए कांग्रेस सरकार मे मंत्रीयो कि भरमार है तो बङे बङे दिग्गज नेता ग्रामिणो के हितैसी बनने गांवो मे बङी बङी सभाए भी करते नजर आ जाते है लेकिन हथियों के दहशत के साए मे मुलभुत सुविधाओ के अभाव मे जीवन बिताते पंडोपारा समेत दर्जनो ऐसे गांव है जिन पर इनकी नजर ही नही पङती दुसरी ओर जंगलो से सटे इन गांवो मे हाथी दहशत का पर्याय है और वन विभाग करोङो के योजनाओ का प्रयोग कर हाथीयो को गांव से दुर रखने का दावा भी करते है जो केवल दावे तक ही सिमित है। धरातल पर नजर नही आता चाहे लाखो कि लागत से गुणवत्ताहीन सोलर फेंसिग का काम हो या मधुमक्खी पालन जैसे और दुसरे प्रयोग,,सभी प्रयोग केवल पैसो कि बंदरबाट का ही तरीका है जहां ग्रामिणो का आरोप है कि वन विभाग इनके फसलो के नुकसान का सही मुआवजा नही देती है तो वही हाथीयो पर निगरानी रखना तो वन विभाग के लिए बहुत दुर कि बात है जहां वन विभाग के मैदानी अमला तो हाथीयो पर निगरानी रखने के दावे के साथ वर्तमान के स्थिति मे हाथीयो कि कम संख्या कि मौजुदगी का दावा करते नजर आए लेकिन नुकसान हुए फसलो के सही मुआवजा और हाथीयो के डर के साए मे जीवन बिताते ग्रामिणो के उत्थान के लिए कोई भी आला अधिकारी के पास जवाब नही है।
बहरहाल ये तस्वीरे केवल पंडोपारा सोनगरा धरमपुर कि ही नही है बल्की प्रतापपुर इलाके के कई ऐसे गांव है जिनकी तस्वीरे और भयावह है और इन गांव के ग्रामिण हाथीयो के दहशत के साथ मुलभुत सुविधाओ के अभाव कि जींदगी बिताने को मजबुर है,, ऐसे मे इनकी मजबुर दुर करने और कितने सालो के बाद प्रशासन और जनप्रतिनिधियो कि निंद खुलती है यह तो सवाल ही बना रहेगा
बाईट-1- हंसलाल पंडो, ग्रामिण पंडोपारा
बाईट-2- इंद्रजीत, ग्रामिण सोनगरा
बाईट-3- शैलेष गुप्ता, बीट प्रभारी,(धरमपुर वन सर्किल)