December 23, 2024

NH MMI नारायणा अस्पताल ने स्टमक कैंसर और पैन्क्रियाटिक कैंसर के स्टेज-3 से ग्रसित मरीजों को लौटाई मुस्कान भरी ज़िन्दगी… जाने सफलता की कहानी

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रायपुर: कई वर्षों से देखा गया है कि कैंसर के संदर्भ में जागरूकता बढ़ी है लेकिन इसके आधुनिक इलाज के तरीकों और कैंसर के व्यापक क्षेत्र के बारे में जानकारी लोगों में अब भी पहुँचने की ज़रूरत है। कैंसर के बारे में आंकड़े बेशक चिंताजनक हैं और पेट के कैंसर के आंकड़े भारत में 3 से 12 केसेस प्रति एक लाख हैं, साथ ही इसके शुरुवाती लक्षण जैसे जी मचलाना, पेट में दर्द होना, काले रंग का मल आना आदि पेट से सम्बंधित अन्य आम समस्याओं के होने का भ्रम भी पैदा कर सकती हैं। इसलिए नवम्बर के स्टमक एंड पैन्क्रियाटिक कैंसर जागरूकता माह को ध्यान में रखते हुए एनएच एमएमआई, नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल ने अपने स्टमक कैंसर और पैन्क्रियाटिक कैंसर सर्वाइवर्स के साथ मिलकर इस विषय पर विभिन्न प्लेटफार्म के ज़रिये जागरूकता फैलाने का कदम उठाया।

जहाँ सर्वाइवर्स ने अपने सफल इलाज और उसके बाद की जिंदगी की कहानी साझा की वहीं डॉक्टर मऊ रॉय, डॉक्टर सिद्दार्थ तुरकर और डॉक्टर पियूष शुक्ला, ऑन्कोलॉजी टीम, एनएच एमएमआई, नारायणा, सुपरस्पेशेलोटी अस्पताल, रायपुर ने शुरूवाती जांच और सही समय पर इलाज शुरू कर देने की ज़रूरत पर अपने विचार प्रकट किये। मरीज़ों ने अपने सफल इलाज के बारे में बताया और एनएच एमएमआई, नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल के प्रति धन्यवाद प्रकट किया जिनके ज़रिये उन्हें वापस बेहतर जिंदगी जीने का मौका मिला। इनमें सबसे गंभीर केस माधवी का था, वे एनएच एमएमआई स्टेज 3 स्टमक कैंसर के साथ आईं थीं, उनके सर्जरी समेत कीमोथेरेपी के 4 साइकल्स हुए फिर अजुवेंट कीमोथेरेपी के 4 साइकल्स हुए। बेशक यह केस जटिल था, एनएच एमएमआई, नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल में इलाज के बाद वे नियमित फ़ॉलो अप पर हैं और बीते एक वर्ष से बेहतर स्थिति में हैं।

एक अन्य मरीज़ सरस्वती कोसीमा ने भी अपने स्टेज 3 स्टमक कैंसर के बारे में साझा किया, 14 साल पहले उनकी पेट की सर्जरी के साथ साथ 6 साइकल्स कीमोथेरेपी के भी हुए, अब वे एकदम सामान्य ज़िन्दगी जी रही हैं। एक अन्य मरीज़ सुखजनी की इस वर्ष लॉकडाउन से पहले व्हिपल सर्जरी हुई, अब वे बीते 9 महीने से पूरी तरह ठीक हैं। रमा की भी पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए की जाने वाली सर्जरी व्हिपल्स पैन्क्रियाटिको डुओनेक्टॉमी करीब डेढ़ साल पहले की गई थी, अब वे भी बिल्कुल ठीक हैं।

डॉक्टर मऊ रॉय( कंसल्टेंट, सर्जीकल ऑन्कोलॉजी) ने कहा-  “ कैंसर के लक्षणों के बारे में जागरूकता मरीज़ों के लिए बेहद ज़रूरी है। अगर मरीज़ में मिलने वाले लक्षण पक्रियाटिक कैंसर और डाइनोसिस की ज़रूरत की ओर इशारा करते हैं तो उन्हें तुरंत प्रोटोकॉल बेस्ड ट्रीटमेंट के लिए मल्टीस्पेशेलिटी कैंसर टीम से डाइग्नोसिस और इलाज के लिए संपर्क करना चाहिए, जिसमें रेडिकल सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन आदि शामिल हैं ताकि बचाव के बेहतर परिणाम सुनिश्चित हों। जिन मरीज़ों ने अपने इलाज और इलाज के बाद के अनुभव साझा किये वे निश्चित रूप से इस बात का उदाहरण हैंकि कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है और मरीज़ वापस सामान्य जिंदगी में भी लौट सकते हैं। तरीकों में भी बहुत आधुनिकता आई है, और पश्चिमी देशों के मुकाबले कम कीमत पर उपलब्ध है। लेकिन फिर भी मृत्युदर बहुत ज्यादा है, जिसका मुख्य कारण सही समय पर डाइग्नोसिस और इलाज शुरू न होना है।

डॉक्टर अनुपम महापात्रा, और डॉक्टर अभिषेक जैन (गैस्ट्रोएंट्रोलाजी टीम) ने स्टमक कैंसर के बारे में बात रखी, और इस बात पर जोर दिया कि, “ जल्दी लक्षणों की पहचान करना बेहद ज़रूरी है। पेट के उपरी हिस्से में दर्द, काले मल का आना, पेट में असहनीय दर्द आदि जैसे लक्षणों को कभी नज़रंदाज़ न करें। धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहें और अपने वजन को नियंत्रण में रखें क्योंकि मोटापा भी स्टमक कैंसर का जोखिम बढ़ाता है।”

नवीन शर्मा (फैसिलिटी डायरेक्टर) ने कहा “ हमारा अस्पताल ऑन्कोलॉजी का व्यापक सुपरस्पेशेलिटी केंद्र है। इसमें स्टमक और पैन्क्रियाटिक कैंसर केलिए एडवांस्ड डाईग्नोस्टिक फैसिलिटी के साथ डिपार्टमेंट ऑफ़ गैस्ट्रोएंट्रोलाजी उपलब्ध है” और डॉ आलोक कुमार (स्वाइन, मेडियकल डायरेक्टर) ने और अधिक जानकारी देते हुए कहा की ” जो सविधाये हमारे कैंसर डिपार्टमेंट की ओर से प्रदान की जा रही है, उन्हे हमारे सुपरस्पेशेलिटी सुविधाओं की सहायता से हम लोगों को और भी अधिक और अच्छे विकल्प प्रदान कर सकते हैं जैसे कि, कैंसर की मैपिंग के लिए एंडोस्कोपी और बायोप्सी और कैंसर के शुरुवाती दौर में इलाज, कैंसर की स्टेजिंग के लिए एंडोअल्ट्रासाउंड, ऑपरेशन के बाद आईसीयू बैक अप के साथ मेजर कैंसर सर्जरी के लिए हाई-टेक ऑपरेशन थिएटर्स, एक छत के नीचे कीमोथेरेपी और रेडिएशन की फैसिलिटी मौजूद हैं।

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