Rajnandgaon: एक अपील पर यहां रोड शो करने पहुंच गईं थी इंदिरा गांधी, जानें बीजेपी का गढ़ कैसे बन गई यह सीट
Rajnandgaon Lok Sabha Seat: राजनांदगांव लोकसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। इस सीट पर इस बार रोचक मुकाबला है। यहां से कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद संतोष पांडेय को ही टिकट दिया है। यह ओबीसी वोटर्स की आबादी अधिक है।
राजनांदगांव: लोकसभा चुनाव के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से एक सीट राजनांदगांव सबसे हॉट सीटों में से एक है। इस सीट से बीजेपी की तरफ से संतोष पांडेय तो कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम भूपेश बघेल को उम्मीदवार बनाया गया है। राजनांदगांव लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर पूर्व सीएम रमन सिंह का भी प्रभाव है। आजादी के 10 साल के बाद राजनांदगांव लोकसभा सीट साल 1957 में अस्तित्व में आई। जब यहां पहली बार चुनाव हुए तब खैरागढ़ रियासत के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह राजनांदगांव से 1957 से 1962 के मध्य दो बार सांसद चुने गए हैं।
उनके बाद 1967 में राजपरिवार की पद्मावती देवी सांसद बनकर संसद पहुंची। 1971 में कांग्रेस ने पद्मावती देवी का टिकट काटकर मुंबई के व्यवसायी रामसहाय पांडे को टिकट दी। पांडे ने पद्मावती देवी को शिकस्त दे दी, लेकिन 1977 के लोकसभा चुनाव में रामसहाय को जनता पार्टी के मदन तिवारी ने करारी शिकस्त दी। फिलहाल राजनांदगांव लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। संतोष पांडे ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के भोलाराम साहू को हराया था। इससे पहले इस सीट से रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह भी सांसद रह चुके हैं।
जब इंदिरा गांधी ने किया था रोड शो
साल 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजनांदगांव के मानपुर में रोड शो किया था। तीन बार सांसद रह चुके शिवेंद्र बहादुर के बेटे भवानी ठाकुर ने बताया है कि तब के सांसद शिवेंद्र बहादुर और लाल श्याम शाह ने इंदिरा गांधी से मुलाकात की थी। लाल श्याम शाह वही शख्स है जिन्होंने आदिवासियों के लिए लंबे समय तक लड़ाई लड़ी। शिवेंद्र बहादुर और लाल श्याम सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मानपुर में रोड शो करने का आग्रह किया था, इसके बाद इंदिरा गांधी ने भिलाई से सड़क मार्ग से होते हुए मानपुर पहुंची थी। इसी के बाद साल 1988 में राजीव गांधी भी राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले भोरमदेव पहुंचे थे, जहां राजीव गांधी ने बैग प्रोजेक्ट की शुरुआत भी की थी।
अब तक 17 बार चुनाव
राजनंदगांव के लिए माता बमलेश्वरी मंदिर और भोरमदेव मंदिर अलग पहचान बनाता है। यहां संस्कृति से जोड़ने के लिए कई हस्तियों ने काम किया है। राजनांदगांव की इस पावन धरती से महंत राजा घासीदास, गजानन माधव मुक्तिबोध, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी भी जुड़े रहे हैं। साल 1957 के बाद अब तक यहां पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है, क्योंकि 17 में से 9 बार कांग्रेस ने अपना लोहा मनवाया। बाकी आठ बार भाजपा की जीत हुई है। हालांकि 1999 के बाद कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिली है
।आठ विधानसभा सीटे हैं
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र आठ विधानसभाओं से मिलकर बनाया गया है। इसमें राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला- मानपुर, डोंगरगढ़ खैरागढ़, कवर्धा और पंडरिया है। यहां की जातिगत समीकरण की बात की जाए तो राजनांदगांव लोकसभा सीट पर पिछड़ा वर्ग की आबादी अधिक है। यहां साहू समाज का भी दबदबा है।