कोयला खदान के बंद होने से कर्मचारियों की बढ़ी परेशानी, श्रमिक नेताओं ने दर्ज कराई आपत्ति
कोरबा के बांकीमोंगरा में संचालित सुराकछार कोयला खदान बंद होने के बाद कर्मचारियों के सामने बड़ी परेशानी आ गई है। खदान में काम करने वाले कर्मचाारियों के साथ ही मजदूरों को दूसरे खदान में स्थानांतरण किया जा रहा है जिसे लेकर श्रमिक संगठनों ने विरोध दर्ज कराना शुरु कर दिया है। हाल ही में 28 मजदूरों को रजगामार खदान भेजा गया है जबकि बाकी के मजदूरों को सिंघाली,ढेलवाडीह सहित बगदेवा खदान स्थानांतरित किया जा रहा है जिसे लेकर श्रमिक संगठन प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारियों में जुट गए है।
जानकारी के अनुसार, आने वाले दिनों में एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ श्रमिक संगठनों के द्वारा बड़ा आंदोलन हो सकता है। खदान बंद होने की मुख्य वजह केंद्रीय पर्यावरण मंडल से खदान संचालन के लिए अनुमति नहीं लिया जाना है। इस संबंध में श्रमिक संगठनों ने बताया कि, 2015 में पर्यावरण मंडल ने प्रबंधन को खदान संचालन के लिए अनुमति लेने को कहा था,लेकिन प्रबंधन ने केंद्र के बनाए राज्य पर्यावरण मंडल से अनुमति लेकर खदान का संचालन करने लगा। साल के अंत में केंद्रीय पर्यावरण मंडल ने बिना अनुमति के खदान संचालन नहीं होने देने का नोटिस थमाया तब प्रबंधन ने अनुमति लेने के बजाए खदान को ही बंद करना मुनासिब समझा जिसका प्रभाव कर्मचारियों पर पड़ रहा है।
श्रमिक संगठनों ने यह भी बताया,कि सुराकछार माइंस में अभी भी काफी मात्रा में कोयला है जो उर्जा उत्पादन के साथ ही अन्य कामों के लिए काफी काम आ सकता है,लेकिन खदान बंद होने की स्थिती उस कोयले का भविष्य क्या होगा यह एक बड़ा सवाल है।