December 23, 2024

धरना स्थल बदलने के पूर्व राजनैतिक दलों, कर्मचारी नेताओं व इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मिडिया से चर्चा किया जावे-धरना स्थल बदलने का विरोध

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छत्तीसगढ़ प्रदेष तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने बूढ़ातालाब धरना स्थल को बदलने के जिला एवं पुलिस प्रषासन के प्रयासों को अनुचित बताते हुए इस संबंध में कोई भी निर्णय लेने के पूर्व प्रदेष के राजनैतिक दलों के नेताओं, कर्मचारी संगठनों, तथा प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मिडिया के प्रतिनिधियों से भी संवाद करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।

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रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेष तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने बूढ़ातालाब धरना स्थल को बदलने के जिला एवं पुलिस प्रषासन के प्रयासों को अनुचित बताते हुए इस संबंध में कोई भी निर्णय लेने के पूर्व प्रदेष के राजनैतिक दलों के नेताओं, कर्मचारी संगठनों, तथा प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मिडिया के प्रतिनिधियों से भी संवाद करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए। समाचार पत्रों में स्थल चयन होने व तैयारी होने का समाचार मिलने से धरना स्थल बदलने के विरोध में स्वर उठने लगे है। संध के प्रदेष अध्यक्ष विजय कुमार झा, जिला षाखा अध्यक्ष इदरीष खाॅन ने बताया है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने व राज्य की राजधानी रायपुर बनने के पूर्व से लगभग 25-30 सालों में धरना स्थल 3-4 बार बदला जा चुका है। कालांतर में जयस्तंभ चैक में धरना दिया जाता था।

इसके पष्चात् षास्त्री चैक, नगर धड़ी चैक में धरना स्थल था। षहर की आबादी बढ़ने व वाहनों की संख्या में बेतहाषा वृद्वि होने के कारण धरना स्थल जयस्तंभ चैक, षास्त्री चैक, अंबेडकर चैक में वाहनों के दबाव व यातायात का दबाव बढ़ने के कारण मोतीबाग प्रेस क्लब के सामने धरना स्थल बनाया गया।

राज्य निर्माण के बाद स्वाभाविक रूप से लोकतंत्र में धरना, प्रदर्षन, रैली षासन प्रषासन का ध्यान आकृट करने तथा जनमानस में षासन की नीतियों के प्रस्तुतीकरण हेतु आवष्यक अंग है। इसी बुढ़ातालाब धरना स्थल का चयन किया गया जहां चारो दिषाओं में आवागमन की सुविधा, धरना स्थल मुख्य मार्ग के अंदर व सामने तालाब पानी की व्यवस्था को दृष्टिगत् रखते हुए, धरना रैली की स्थिति की स्थिति में अन्य दिषाओं के मार्गो से आवागमन की व्यवस्था हो जाने के कारण चयनीत किया गया।

राजनैतिक दलों के नेतागण भी इसी धरना स्थल पर धरना प्रदर्षन कर ही सत्ता की उचाईयों कों प्राप्त किए है। ऐसी स्थिति में प्रदेष के राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों, कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों व प्रेस प्रिंट व इलेक्टानिक मिडियों के प्रतिनिधियों से चर्चा करने के बाद ही धरना स्थल बदलने व नवीन स्थल चयनीत करने के संबंध में निर्णय लिया जाना चाहिए।

जहां तक सराफा ऐषोसिएषन के यह आरोप की व्यवसाय प्रभावित होता है, इसलिए तर्क संगत प्रतीत नहीं होता है क्योंकि धरना स्थल पर कोई भी बड़े धरना प्रदर्षन होने पर अनेक ढेलों में फल बेग साड़ियां जूते चप्पल सहित अनेक जीवनोपयोगी वस्तुओं की बिक्री बड़ी मात्रा में करके छोटे व्यापारी अपना जीवन यापन करते है। धरना प्रदर्षन करने आए अन्य जिलों के प्रदर्षनकारी हजारों रूपये एकत्र कर रायपुर आते है।

सभी राषि राजधानी में खर्च कर अपना खजाना खाली कर वापस लौटते है। ऐसी स्थिति में व्यापारियों को आर्थिक क्षति स्वीकारार्य नहीं है।आम नागरिकों को यातायात की परेषानी अवष्यंभावी होता है। उनके लिए चारों दिषाओं में पृथक पृथक मार्ग से आवागन संचालित हो जाता है। धरना प्रदर्षन षहर के बाहर करने पर ‘‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा‘‘ वाली कहावत् चरितार्थ होगी। बिना धरना प्रदर्षन के षासन प्रषासन पिड़ित, षोषित्, परेषान नागरिकों की समस्याओं को नहीं सुनती है। आधे आंदोलन तो केवल अफसरषाही के कारण होता है। यदि जिम्मेदार अधिकारी उचित समस्याओं का अपने स्तर पर नियमानुसार कार्यवाही कर निराकरण कर देें तो आधे धरना प्रदर्षन प्रदर्षन की आवष्यक्ता नहीं होगी।

संध के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, विमल चंद्र कुण्डू रामचंद्र ताण्डी, सुरेन्द्र त्रिपाठी, रविराज पिल्ले, आलोक जाधव, प्रकाश ठाकुर, एम.पी.आंड़े, नरेश वाढ़ेर, संजय झड़बड़़े, स्वास्थ संयोजक संध के प्रांतीय अध्यक्ष टार्जन गुप्ता, संभागीय सचिव प्रवीण ढीढवंशी, दिनेश शर्मा आदि नेताओं ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल से इस संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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