प्रदेश भाजपाध्यक्ष विष्णुदेव साय, अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम और प्रदेश भाजपा प्रवक्ता के राजेश मूणत के प्रेस वार्ता
रायपुर – छत्तीसगढ़ में जबसे कांग्रेस की सरकार सत्ता में आयी है, दलितों/आदिवासियों समेत समाज के हर वर्ग के खिलाफ संगीन अपराध की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. ऐसे कुछ मामलों में कांग्रेस के नेताओं की संलिप्तता भी आपने लगातार देखा ही है. प्रदेश में हर तरह के माफियाओं को हौसले ऐसे बुलंद हैं कि वे जन-प्रतिनिधियों/पत्रकारों तक के साथ बर्बरता करने से बाज़ नहीं आ रहे. हाल में आपने रेत माफिया द्वारा भाजपा समर्थित आदिवासी जन प्रतिनिधि की बर्बर पिटाई और उसके अपराधी माफिया को कांगेसी संरक्षण, बिना किसी बीमारी के मेकाहारा में अपराधी की मेज़बानी आदि का मामला देखा ही. कांग्रेस के ही गुंडों द्वारा पत्रकार बंधुओं के साथ कैसी बर्बरता कांकेर में की गयी, वह भी आपने देखा. ऐसी तमाम घटनाएं लगातार हो रही है और कांग्रेस सरकार न केवल हाथ पर हाथ धरे बैठी है बल्कि तमाम अपराधों में भागीदार भी है कांग्रेस. खास कर आदिवासी-दलित वर्ग की महिलाओं के साथ जिस तरह की घटनाएं हो रही है, उसने प्रदेश का सर शर्म से झुका दिया है. प्रदेश सरकार का, जिन पर न केवल छत्तीसगढ़ के क़ानून व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मेदारी है, उनका रुख कैसा है इन मामलों पर यह भी आपने मंत्री शिव डहरिया के बयान में देखा ही. उनके हिसाब से यहां ‘छोटे बलात्कार’ हो रहे हैं. न तो इस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने और न ही स्वयं मंत्री ने माफी तक मांगना भी मुनासिब नहीं समझा. मंत्री को दंड देना तो दूर की बात है. अभी एक सबसे दर्दनाक घटना केशकाल से सामने आई है. वहां दुष्कर्म की शिकार नाबालिग आदिवासी किशोरी न केवल 7-7 दोषियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई बल्कि कहीं से न्याय नहीं मिलने पर उसने आत्महत्या भी कर ली. फिर भी मामले को दबाने की भरसक कोशिश की गयी. अंत में आजिज़ आ कर किशोरी के पिता ने भी आत्महत्या की कोशिश की, तब मामला बाहर आ पाया है. लगातार ऐसी घटनाएं होना और उसकी रिपोर्ट तक नहीं लिखाने के पीछे सरकार का यह अलिखित आदेश है कि ऐसी कोई घटना दर्ज न किये जायें. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े में प्रदेश में अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि का खुलासा हो रहा है. ऐसे में अपराध कम करने, दोषियों के खिलाफ कारवाई करने से अधिक ध्यान सरकार का मामले को छिपाने पर है, यह स्पष्ट दिख रहा है. खबर के अनुसार किशोरी आत्महत्या की खबर से उस गांव में एक बैठक किया गया और उस घटना में शामिल आरोपियों को थाना में बुलाकर 15/15 हजार रुपया आरोपियों से लेने की बातें सामने आ रही है. कहते हुए अपार कष्ट हो रहा है कि इस सरकार में प्रदेश के माताओं-बहनों के सम्मान और प्राण की यही कीमत रह गयी है. पीड़ित पक्ष ने दूसरे दिन ही थाने में अपराध पंजीबध्द कराने की बात कही है लेकिन किसके दबाव में एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई क्यों पीड़ित के पिता को दो महीने से पुलिस थाने के चक्कर लगाने पड़े।