गोबर से पेंट, बिजली के बाद अब चप्पल बनाई जा रही
छत्तीसगढ़ में गोबर से पेंट, बिजली ओर अन्य उत्पाद बनाने के बाद अब इससे पैरो में पहनने वाली चप्पल बनाई जा रही है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में गोबर से पेंट, बिजली ओर अन्य उत्पाद बनाने के बाद अब इससे पैरो में पहनने वाली चप्पल बनाई जा रही है। गोकुल नगर में पशुपालक रितेश अग्रवाल प्लास्टिक के बजाय गोबर से चप्पल बना रहे हैं। प्लास्टिक का इस्तेमाल चप्पल बनाने में बढऩे से पर्यावरण के साथ गौवंश को भारी नुकसान हो रहा है। छत्तीसगढ़ में गौठान बनाकर सड़कों पर लावारिस घूमने वाले गौवंश को संरक्षित किया गया है। गाय सड़को पर पड़े प्लास्टिक खाकर 90 प्रतिशत गौवंश बीमार होते हैं। 80 प्रतिशत गौवंश की प्लास्टिक के कारण मौत हो जाती है। उनको प्लास्टिक से दूर रखना जरूरी है।
छत्तीसगढ़ में गौठान तो बन गए हैं। यहां से गाय के गोबर भी बिकने लगे है। पशुपालकों को आय का स्रोत और रोजगार सृजन पैदा करने की ओर लगातार प्रयोग हो रहे हैं। हमने गोबर से चप्पल, दीए, ईंट और भगवान की प्रतिमा बनाने की शुरुआत की है। दिवाली में 1 लाख 60 हजार दीए की बिक्री हुई।