दंतेवाड़ा में 500 से ज्यादा सरेंडर कर चुके नक्सलियों को मिला रोजगार, 120 को सरकारी नौकरी दी गई
दंतेवाड़ा में सरेंडर के बाद नक्सलियों को रोजगार के तमाम काम देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा में सरेंडर के बाद नक्सलियों को रोजगार के तमाम काम देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। अब तक 500 से ज्यादा सरेंडर कर चुके नक्सली अलग- अलग कामों से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे। इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों को सरेंडर करवा रोजगार से जोड़ने वाला दंतेवाड़ा देश का पहला जिला बन गया। नक्सल पीड़ित परिवार के सदस्यों को भी लाभ दिया जा रहा है। इन सरेंडर नक्सलियों में कई कमांडर स्तर के भी हैं। जिन्होंने माओवाद का दामन छोड़ दिया और मुख्यधारा में लौट आए। जो आज रोजगरा से जुड़कर खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।
दंतेवाड़ा में नक्सलियों के सरेंडर करने के बाद सबसे पहले उनके सरकारी दस्तावेज बनाए जा रहे ताकि उन्हें खुद की पहचान मिल सके। जिले में अब तक 531 राशन कार्ड, 407 आधार कार्ड, 440 वोटर आईडी व 392 से ज्यादा सरेंडर नक्सलियों का बैंक में खाता भी खोला गया है। उनकी इच्छा अनुसार उन्हें रोजगार के काम दिए जा रहे हैं। सरेंडर नक्सली अलग- अलग कामों से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे। आत्मसमर्पित नक्सली व पीड़ित परिवार शासन की योजनाओं से रोजगार को अपनाकर क्षेत्र के विकास कार्य में अब बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
120 से ज्यादा सरेंडर नक्सलियों को मिली नौकरी
दंतेवाड़ा जिले में आत्मसमर्पण किए 120 से ज्यादा सरेंडर माओवादियों को सरकारी नौकरी भी दी गई है। कईयों को DRG में शामिल किया गया है। जिनके जिस्म में पहले काली वर्दी हुआ करती थी अब खाखी वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रहे हैं। साथ ही कई सरेंडर नक्सलियों को शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों में भी नौकरी दी गई है। इसके अलावा राज्य व केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं से भी इन्हें जोड़ा गया है।
दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों को उनकी इच्छा के अनुसार ट्रैक्टर भी दिया गया है। दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि, सरेंडर नक्सलियों का ‘जय लय्योर जय कम्मई’ नाम का एक समूह बनाया गया। इस समूह को ट्रैक्टर दिया गया। समूह के सदस्य खेती किसानी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। साथ ही महाराकरका गांव को सरेंडर नक्सलियों द्वारा पशुपालन करने वाला पहला मॉडल गांव बनाया जा रहा। इस गांव में सरेंडर नक्सली सरकारी मदद से मछली, बकरी, बतख, गाय, कड़कनाथ मुर्गा पालन आदि के कई सारे काम करेंगे। इसके लिए पशुपालन विभाग द्वारा ट्रेनिंग भी दी गई।
एक साल में 440 नक्सलियों का हुआ सरेंडर
दंतेवाड़ा पुलिस के द्वारा जिले में ‘लोन वर्राटू’ यानी घर वापस आइए अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का पुलिस को बड़ा फायदा मिला। SP डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि, इस अभियान से प्रभावित होकर अब तक 440 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इनमें से 116 पर इनाम भी घोषित है।