December 23, 2024

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गांधीनगर में कुम्हार समुदाय को विद्युत चालित चाक वितरित किए

0
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गांधीनगर में कुम्हार समुदाय को विद्युत चालित चाक वितरित किए

नई दिल्ली : खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की कुम्हार सशक्तिकरण योजना से जुड़कर गांधीनगर और अहमदाबाद के 20 गांवों के सीमांत कुम्हार समुदाय के 200 परिवारों ने आज स्थायी स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुजरात के गांधीनगर के अपने संसदीय क्षेत्र के रंधेजा गांव में आयोजित एक समारोह में 200 प्रशिक्षित कारीगरों को 200 ​विद्युत चालित चाक और अन्य बर्तन बनाने वाले उपकरण वितरित किए।

केवीआईसी ने जिन 20 गांवों का चयन किया था उनमें से 15 गांव गांधीनगर जिले में आते हैं जबकि शेष पांच गांव अहमदाबाद जिले के अन्तर्गत आते हैं। विद्युत चालित चाक के वितरण से समुदाय के कम से कम 1200 सदस्यों को लाभ​ मिलेगा और उनकी उत्पादकता व आय बढ़ेगी जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का एक सपना है।

अमित शाह ने केवीआईसी की विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं जैसे हनी मिशन, कुम्हार सशक्तिकरण योजना, चमड़ा कारीगरों के सशक्तिकरण और प्रोजेक्ट डिग्निटी की सराहना की। गृह मंत्री ने विद्युत चाक वितरित करते हुए, चार कुम्हारों के साथ बातचीत की। जिनके नाम हैं – सलेशभाई प्रजापति, भरतभाई प्रजापति, अवनीबेन प्रजापति और जिग्नेशभाई प्रजापति। इन्हें केवीआईसी ने मिट्टी के बर्तन बनाने का 10-दिवसीय प्रशिक्षण दिया है और उन्हें इलेक्ट्रिक चाक और अन्य उपकरण प्रदान किए गए हैं। इन कुम्हारों ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे वे बेहतर आजीविका कमा पाएंगे और “आत्मनिर्भर” बन पायेंगे।

अमित शाह ने कहा कि विद्युत चालित चाक ना केवल कुम्हारों को अपना उत्पाद बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि वे नए फैंसी उत्पाद बनाने में भी सक्षम बन जाएंगे जिससे दशहरा और ​दिवाली त्योहारों के दौरान उन्हें अच्छी कमाई होगी। उन्होंने प्रत्येक लाभार्थी से समुदाय के बड़े लाभ के लिए कम से कम 10 अन्य परिवारों को कुम्हार सशक्तिकरण योजना से जोड़ने का आग्रह किया।

अमित शाह ने कहा, “सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार कर कुम्हार (प्रजापति) समुदाय का सशक्तिकरण हमारे माननीय प्रधान मंत्री का सपना रहा है। केवीआईसी की कुम्हार सशक्तिकरण योजना का उद्देश्य मिट्टी के बर्तनों की कला को संरक्षित करते हुए उनके लिए स्थायी स्थानीय रोजगार पैदा करके कुम्हारों को “आत्मनिर्भर” बनाना है। यह महत्वपूर्ण है कि युवा कुम्हार मिट्टी के बर्तनों की कला को अपनाएं और देश भर में इसका विस्तार करें।”

उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने उत्पादों की बिक्री के लिए भारतीय रेलवे के साथ गठजोड़ सहित उचित मार्केटिंग चैनल बनाए हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय रेलवे ने पहले से ही 400 रेलवे स्टेशनों को नामित किया है जहां केवल खाद्य और पेय पदार्थ बेचने के लिए मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल किया जा रहा है। मैं रेल मंत्री से अनुरोध करूंगा कि वे ऐसे रेलवे स्टेशनों की पहचान करें ताकि हमारे कुम्हारों को एक बड़ा मार्केटिंग प्लेटफॉर्म प्रदान किया जा सके।” साथ ही उन्होंने कुम्हारों को रेलवे स्टेशनों पर अपने तैयार उत्पादों को बेचने के लिए सहकारी समितियों के गठन की भी सलाह दी।

केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि वे गरीब और हाशिये के समूहों के लिए शु​रू की गई हर पहल के लिए उपलब्ध रहे हैं।

सक्सेना ने बताया कि देश भर में अब तक 18,000 से अधिक विद्युत चालित चाक वितरित किए गए हैं, जिससे समुदाय के लगभग 80,000 लोग लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत कुम्हारों की औसत आय लगभग 3000 रुपये प्रति माह से बढ़कर लगभग 10,000 रुपये प्रति माह हो गई है।

गौरतलब है कि गुजरात के कई क्षेत्र, विशेष रूप से कच्छ और सौराष्ट्र, पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों की कला के लिए प्रसिद्ध हैं। 2018 में कुम्हार सशक्तिकरण योजना के शुभारंभ के बाद से, केवीआईसी ने गुजरात में लगभग 800 कुम्हारों को प्रशिक्षित किया है। मिट्टी के मिश्रण के लिए केवीआईसी ने उन्हें विद्युत चालित चाक और ब्लोन्जर मशीनें जैसे अन्य उपकरण वितरित किए हैं। इससे मिट्टी के बर्तनों के निर्माण की प्रक्रिया से कठिन परिश्रम समाप्त हो गया है और इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में 3-4 गुना वृद्धि हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed